दुर्ग। जिला पंचायत सभा कक्ष में छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (बिहान) के अंतर्गत एसएचजी-बैंक क्रेडिट लिंकेज की प्रगति एवं लखपति योजना के उद्देश्यों की पूर्ति हेतु बैंकर्स प्रशिक्षण सह कार्यशाला का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम में मास्टर ट्रेनर सुधाकर सतपति (राज्य कार्यालय प्रतिनिधि, एनआरएलएम) एवं सा-धन संस्था से दिलीप साहू (रिसोर्स पर्सन) ने बैंकर्स, एनआरएलएम स्टाफ, बैंक मित्रों व बैंक सखियों को प्रशिक्षण दिया।
इस प्रशिक्षण में स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) को बैंकों से जोड़ने, ऋण प्रक्रिया, वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने तथा ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक विकास के विषयों पर विस्तार से चर्चा की गई।
-प्रशिक्षण में मुख्य बिंदु:
-एसएचजी-बैंक लिंकेज कार्यक्रम का परिचय एवं महत्व
-एसएचजी का गठन, कामकाज और सदस्यों की ऋण आवश्यकताएं
-बैंकों द्वारा एसएचजी को ऋण प्रदान करने की प्रक्रिया
-क्रेडिट लिंकेज से होने वाले लाभ
-एसएचजी-बैंक लिंकेज में आने वाली चुनौतियां एवं समाधान
-वित्तीय साक्षरता व वित्तीय समावेशन में एसएचजी की भूमिका
सुधाकर सतपति ने बताया कि यह प्रशिक्षण बैंक शाखाओं एवं बैंक प्रबंधकों को एसएचजी के साथ प्रभावी ढंग से काम करने, ऋण देने तथा उनकी जरूरतों को समझने में मदद करेगा। इससे बैंकों व समूहों के बीच विश्वास एवं सहयोग को बढ़ावा मिलेगा।
इस अवसर पर जिले के विभिन्न बैंकों के 53 शाखा प्रबंधक, एनआरएलएम के ब्लॉक स्तर के अधिकारी-कर्मचारी, बैंक मित्र एवं बैंक सखियां उपस्थित रहीं। सहायक परियोजना अधिकारी, जिला पंचायत दुर्ग ने बताया कि यह कार्यक्रम ग्रामीण क्षेत्रों में वित्तीय समावेशन व आर्थिक प्रगति के लिए बेहद जरूरी है। दुर्ग जिले में भी एसएचजी-बैंक लिंकेज को सक्रिय रूप से क्रियान्वित किया जा रहा है ताकि अधिक से अधिक समूहों को बैंकिंग सुविधाओं से जोड़ा जा सके।
उल्लेखनीय है कि स्वयं सहायता समूह-बैंक लिंकेज कार्यक्रम (एसएचजी-बीएलपी) की शुरुआत नाबार्ड द्वारा वर्ष 1992-93 में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में की गई थी। आज यह कार्यक्रम ग्रामीण गरीबों के सशक्तिकरण का प्रभावी माध्यम बन चुका है।
संपादक- पवन देवांगन
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