छत्तीसगढ़

फुटू निकालने जंगल गए आदिवासियों को नक्सलियों ने बनाया निशाना

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-आईईडी ब्लास्ट में तीन ग्रामीण घायल, जंगल में गए थे फुटू निकालने 
भोपालपटनम।
सुरक्षा बलों से हारे नक्सली अब निरीह आदिवासियों को निशाना बनाने लगे हैं। तेंदूपत्ता तोडऩे और फुटू निकालने जंगल गए आदिवासियों को आईईडी के जरिए हताहत करने लगे हैं। ?सी ही एक घटना बीजापुर जिले के मद्देड़ थाना क्षेत्र अंतर्गत ग्राम पंचायत अंगमपल्ली के आश्रित गांव धनगोल के जंगली पहाड़ी इलाके में रविवार शाम को हुई। यहां नक्सलियों द्वारा बिछाए गए आईईडी के विस्फोट की चपेट में आने से तीन ग्रामीण गंभीर रूप से घायल हो गए। यह घटना उस समय हुई जब ग्रामीण जंगल में जंगली मशरूम फुटू संग्रहण के लिए गए हुए थे। घायलों में 24 वर्षीय कोरसे संतोष पिता लक्ष्मैया, 26 वर्षीय चिंडेम कन्हैया पिता किस्टैया और 17 वर्षीया कुडेम कविता पिता नगैया शामिल हैं।ग्रामीणों के अनुसार तीनों धनगोल के जंगल में फुटू निकालने गए थे तभी विस्फोट हो गया। प्रारंभिक जानकारी के अनुसार यह विस्फोट नक्सलियों द्वारा प्लांट किए गए आईईडी (इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) के कारण हुआ।घटना की जानकारी मिलते ही मौके पर गांव के लोग मौके पर पहुंचे और उन्होंने घायलों को मद्देड़ स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया। प्राथमिक उपचार के बाद तीनों को बीजापुर जिला अस्पताल भेजा गया। जहां घायलों का इलाज जारी है और सभी खतरे से बाहर बताए जा रहे हैं।

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छीन रहे आदिवासियों का हक..
तेंदूपत्ता तोड़ाई के दौरान जंगलों में नक्सलियों के बिछाए आईईडी ब्लास्ट की घटनाओं और बीजापुर जिले के मद्देड़ इलाके में फुटू खोजने के दौरान हुई इस ताजा घटना ने जाहिर कर दिया है कि अब नक्सली वनोपज इकठ्ठा करने वाले लोगों को भी निशाना बना रहे हैं और तेंदूपत्ता, बोड़ा, फुटू, साल बीज, महुआ आदि वनोपजों पर हक जमाकर उनका कारोबार खुद करना चाहते हैं। बस्तर के आदिवासी बरसात के मौसम में जंगलों से फूटू बोड़ा संग्रहित कर उन्हें गांव शहरों में बेचते हैं।
इससे वे रोजगार विहीन बरसात के मौसम में घर चलाने के लिए थोड़ी बहुत रकम की व्यवस्था कर लेते हैं। पुलिस और सुरक्षा बलों द्वारा लगातार किए जा रहे कड़े प्रहार से नक्सलियों का संख्या बल काफी कम हो चुका है और उनकी आर्थिक स्थिति भी डांवाडोल हो चुकी है। बौखलाहट में अब वे आदिवासियों के आर्थिक स्त्रोत पर कब्जा जमाने की कोशिश कर रहे हैं। इस हरकत से अब साफ हो गया है कि वो बौखला गए है और ऐसी हरकत कर रहे है सरकार का दवाब अब साफ दिख रहा है। नक्सलियों की ? सी करतूत से आदिवासी समुदाय में नाराजगी देखी जा रही है।

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