राजनीति

छत्तीसगढ़ का मत्स्य बीज हब बना कांकेर

58018062025231734img-20250618-wa0269.jpg

-मत्स्य बीज उत्पादन और निर्यात के मामले में कांकेर राज्य का अग्रणी जिला
-हैचरी क्रांति ने राज्य को बनाया आत्मनिर्भर, देशभर में मांग
रायपुर।
छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले ने मत्स्य पालन के क्षेत्र में एक नई मिसाल कायम की है। कांकेर न केवल मत्स्य बीज उत्पादन में, बल्कि देश के कई राज्यों में मत्स्य बीज की आपूर्ति के मामले में राज्य के अग्रणी जिले के रूप में अपनी पहचान कायम की है। मत्स्य बीज उत्पादन और निर्यात सेे जिले की अर्थव्यवस्था को नया आयाम मिला है। 
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा है कि कांकेर जिले की यह उपलब्धि छत्तीसगढ़ के आत्मनिर्भर और समृद्ध ग्रामीण अर्थव्यवस्था की दिशा में एक मजबूत कदम है। पखांजूर क्षेत्र के मत्स्य कृषकों ने नीली क्रांति को वास्तव में धरातल पर उतारा है। यह सफलता हमारी योजनाओं की प्रभावी क्रियान्वयन, स्थानीय सहभागिता और मेहनतकश मछुआरों की लगन का परिणाम है। राज्य सरकार मत्स्य पालन को और अधिक प्रोत्साहन देने हेतु हरसंभव सहयोग देती रहेगी।
 गौरतलब है कि कुछ वर्ष पूर्व तक कांकेर जिले को मत्स्य बीज के लिए पश्चिम बंगाल और आंध्रप्रदेश पर निर्भर रहना पड़ता था, लेकिन आज कोयलीबेडा विकासखंड के पखांजूर क्षेत्र में बडी संख्या में मत्स्यबीज के पिकअप वाहन, मत्स्य कृषक और क्रियाशील हैचरियां जगह-जगह दिखाई देती हैं। यह बदलाव नीली क्रांति योजना और प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना की मदद से संभव हुआ, जिसके तहत मत्स्य बीज हैचरियों और तालाबों का निर्माण कराया गया। इन योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन से पखांजूर में मत्स्य बीज का सरप्लस उत्पादन होने लगा है। 
अब स्थिति यह है कि कांकेर में उत्पादित उच्च गुणवत्ता और किफायती मूल्य पर उपलब्ध मत्स्य बीज का न केवल छत्तीसगढ़ के अन्य जिलों को, बल्कि अन्य राज्यों जैसे आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र, उड़ीसा, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, झारखंड, गुजरात और बिहार में भी निर्यात किया जा रहा है। पखांजूर का बीज इसलिए भी खास है क्योंकि यह उच्च गुणवत्ता युक्त, अन्य राज्यों से सस्ता, और अप्रैल-मई जैसे प्रारंभिक महीनों में ही उपलब्ध हो जाता है, जिससे किसानों को समय रहते मत्स्य पालन में मदद मिलती है।

मत्स्य पालन विभाग के सहायक संचालक के अनुसार, कांकेर जिले में कुल 34 मत्स्य बीज उत्पादन हैचरी संचालित हैं। वर्ष 2025-26 में 337 करोड़ स्पॉन और 128 करोड़ 35 लाख स्टैंडर्ड फ्राय उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। अभी तक जिले में 192 करोड़ स्पॉन और 7 करोड़ 42 लाख स्टैंडर्ड फ्राय का उत्पादन हो चुका है। यहां की हैचरियों में मेजर कार्प के साथ-साथ पंगेसियस मछली का भी बीज तैयार किया जा रहा है। मत्स्य कृषक श्री विश्वजीत अधिकारी और मृणाल बराई बताते हैं कि क्षेत्र से प्रतिदिन 10-15 पिकअप वाहन मत्स्य बीज लेकर अन्य जिलों एवं प्रदेशों में जाते हैं। 

पखांजूर क्षेत्र की मत्स्य बीज उत्पादन की इस सफलता ने करीब 550 स्थानीय लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार प्रदान किया है। मत्स्य बीज उत्पादन, परिवहन, विक्रय और संबंधित गतिविधियों से जुड़े ग्रामीण अब स्थायी आय प्राप्त कर रहे हैं। कांकेर जिला आज छत्तीसगढ़ की मत्स्य संपन्नता का प्रतीक बन गया है। यहां की हैचरी क्रांति ने राज्य को बाहरी निर्भरता से मुक्त किया और गुणवत्तायुक्त मत्स्य बीज के लिए देशभर की पहली पसंद बन गया है।

RO. NO 13286/85

एक टिप्पणी छोड़ें

Data has beed successfully submit

Related News

Advertisement

97519112024060022image_750x_66bc2a84329bd.webp
RO. NO 13286/85
16001062025110914whatsappimage2025-06-01at11.52.01_c072f5ce.jpg
35214062025145422img-20250614-wa0006.jpg

Popular Post

This Week
This Month
All Time

स्वामी

संपादक- पवन देवांगन 

पता - बी- 8 प्रेस कॉम्लेक्स इन्दिरा मार्केट
दुर्ग ( छत्तीसगढ़)

ई - मेल :  dakshinapath@gmail.com

मो.- 9425242182, 7746042182

हमारे बारे में

हिंदी प्रिंट मीडिया के साथ शुरू हुआ दक्षिणापथ समाचार पत्र का सफर आप सुधि पाठकों की मांग पर वेब पोर्टल तक पहुंच गया है। प्रेम व भरोसे का यह सफर इसी तरह नया मुकाम गढ़ता रहे, इसी उम्मीद में दक्षिणापथ सदा आपके संग है।

सम्पूर्ण न्यायिक प्रकरणों के लिये न्यायालयीन क्षेत्र दुर्ग होगा।

logo.webp

स्वामी / संपादक- पवन देवांगन

- बी- 8 प्रेस कॉम्लेक्स इन्दिरा मार्केट
दुर्ग ( छत्तीसगढ़)

ई - मेल : dakshinapath@gmail.com

मो.- 9425242182, 7746042182

NEWS LETTER
Social Media

Copyright 2024-25 Dakshinapath - All Rights Reserved

Powered By Global Infotech.