-बेंगलुरु में आयोजित विज़ुअल कॉन्फ्लुएंस – संस्करण 3’ समकालीन सामूहिक कला प्रदर्शनी में पहुंचे डॉ. अजय आर्य
-कला और कलाकार का संबंध मां और संतान जैसा: डॉ. अजय आर्य
दुर्ग। बेंगलुरु में विज़ुअल कॉन्फ्लुएंस 03 कला प्रदर्शनी का आयोजन कर्नाटका चित्रकला परिषद में आयोजित किया गया। छत्तीसगढ़ दुर्ग के आचार्य डॉ. अजय आर्य को कला प्रेमी अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया। प्रदर्शनी में अबाक कुंडू,अजय कुमार, अजय मिश्रा, राजस्थान, अमर ज्योति शर्मा, कोलकाता, अशोक कुमार वर्मा, अविक चक्रवर्ती, दीपक डोंगरे, गिरीश चौरसिया राजकोट, कौशिक दास, कौशलेश कुमार, मोना रघुवंशी, मनोश्री रॉय, पंकज शर्मा, ऋचा चंद्रा, रौनक राय, मध्यप्रदेश, सजित मिंज, शांति तिर्की – छत्तीसगढ़, सौमेंद्र सरकार , कोलकाता, सुनील कुमार, सिल्विया दासगुप्ता अभी की कलाएं प्रदर्शित की गई। छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश झारखंड असम कर्नाटक राजस्थान बिहार आदि के कलाकारों ने इस प्रदर्शनी में भाग लिया।
मुख्य अतिथि के रूप में धर्मेन्द्र पटले,उपायुक्त, विशिष्ट अतिथि के रूप में कोलकाता के वरिष्ठ व प्रख्यात चित्रकार जहर दासगुप्ता, और सम्मानित विशिष्ट अतिथि के रूप में आर. प्रमोद एवं श्रीमती हेमा के. सहायक आयुक्त उपस्थित रहे।
डॉ अजय आर्य ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि कला जीवन की संवेदना, सहृदयता को बनाए रखने वाला एक प्रवाह है। कला आप भावनाओं की कोख में जन्म लेती है, इसे सिर्फ रंग और कूंची का खेल समझना समझना संकुचित दृष्टिकोण है। कला की समझ मनुष्य को मनुष्य बनाए रखतीहै। इसीलिए संस्कृत ग्रंथों में कल विभिन्न व्यक्ति को पशु के समान बताया गया है। मनुष्य को किसी ने किसी कला से जुड़े रहना चाहिए। कला की समझ और जुड़ाव मनुष्य को संवेदन शील बनाता है।
यहाँ नारी के संघर्ष का बोध, प्रकृति और मनुष्य का टकराव, रामायण की संस्कृति चेतना, मानव चेतना के विकास का रूप, परिपक्व मनुष्य की कथा, झुर्रियों में छिपे अनुभव और जल, जंगल और जमीन के विविध सौंदर्य और संदेश को उकेरने की कोशिश की गई है।
विज़ुअल कॉन्फ्लुएंस
उल्लेखनीय है कि इससे पहले दो संस्करण पहला संस्करण, 15 आर्टिस्ट के साथ 2023 वाराणसी, दूसरा संस्करण 15 आर्टिस्ट के साथ 2024 कोलकाता में आयोजित किया गया था।
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