नईदिल्ली । जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई ने आज भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) के रूप में शपथ ली है। उनका कार्यकाल 23 नवंबर यानी करीब 6 महीने का होगा।
इसके बाद अगले सीजेआई के तौर पर जस्टिस बीवी नागरत्ना का नाम सबसे आगे हैं। अगर जस्टिस नागरत्ना सीजेआई बनीं तो उनका कार्यकाल केवल 36 दिन का होगा।
बता दें कि जस्टिस नागरत्ना सीजेआई बनने वाली देश की पहली महिला होंगी।
वरिष्ठता के नियम के अनुसार, जस्टिस नागरत्ना अगले साल सीजेआई बन सकती हैं। उनका कार्यकाल 24 सितंबर, 2027 से 29 अक्टूबर, 2027 तक रहेगा।
आमतौर पर न्यायपालिका में वरिष्ठता के आधार पर न्यायाधीशों को पदोन्नत कर सीजेआई बनाए जाने का अलिखित नियम है। इस नियम के अनुसार, सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश को सीजेआई बनाया जाता है।
इससे पहले जस्टिस कमल नारायण केवल 17 दिनों के लिए सीजेआई नियुक्त किए गए थे।
सुप्रीम कोर्ट में फिलहाल केवल 2 महिला न्यायाधीश हैं, जबकि कुल न्यायाधीशों की संख्या 34 हैं। सितंबर, 2024 में जस्टिस हिमा कोहली सेवानिवृत्त हो गई हैं।
फिलहाल जस्टिस नागरत्ना और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी ही सुप्रीम कोर्ट में महिला न्यायाधीश हैं।
1989 में जस्टिस फातिमा बीवी सुप्रीम कोर्ट में जज बनने वाली पहली महिला थीं। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में अभी तक कोई भी महिला सीजेआई नहीं बनी हैं।
जस्टिस यशवंत विष्णु चंद्रचूड़ ने सबसे लंबे समय तक सीजेआई का कार्यभार संभाला है। वे 7 साल और 139 दिन तक सीजेआई के पद पर रहे, जो अब तक का सबसे लंबा कार्यकाल है।
वहीं, जस्टिस न्यायमूर्ति कमल नारायण सिंह ने मात्र 17 दिनों का सबसे छोटा कार्यकाल पूरा किया।
दूसरे नंबर पर जस्टिस एस राजेंद्र बाबू आते हैं, जिनका कार्यकाल केवल 29 दिनों का था।
जस्टिस नागरत्ना का कार्यकाल तीसरा सबसे छोटा कार्यकाल होगा।
जस्टिस नागरत्ना 75 साल के इतिहास में पहली महिला सीजेआई बनेंगी।
वे तब तक सुप्रीम कोर्ट में महिला न्यायाधीश के रूप में सबसे लंबे कार्यकाल का रिकॉर्ड भी अपने नाम कर लेंगी।
जस्टिस नागरत्ना के पिता भी देश के 19वें सीजेआई रहे हैं। इस तरह ये सीजेआई बनने वाले पिता और बच्चों की दूसरी जोड़ी होगी। इससे पहले जस्टिस चंद्रचूड़ और उनके पिता यशवंत विष्णु चंद्रचूड़ दोनों ही सीजेआई रहे हैं।
30 अक्टूबर, 1962 को बेंगलुरु में जन्मीं जस्टिस नागरत्ना ने दिल्ली विश्वविद्यालय से बीए और एलएलबी की पढ़ाई की है।
1987 में उन्होंने बतौर वकील प्रैक्टिस शुरू की। 1987 से 1994 तक वे एक निजी कंपनी में और इसके बाद स्वतंत्र वकालत करती रहीं।
18 फरवरी, 2008 को उन्हें कर्नाटक हाई कोर्ट में अतिरिक्त जज नियुक्त किया गया। फरवरी, 2010 में उन्हें स्थायी नियुक्ति मिली।
जस्टिस नागरत्ना 31 अगस्त, 2021 को सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त हुईं।
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