-शंकरन नायर के चरित्र में है सच के लिए संघर्ष की प्रेरणा
दुर्ग। बुद्धिजीवी फिल्म समीक्षक संघ के 14 सदस्यों ने आज केसरी 2 फिल्म देखी। कार्यक्रम की अध्यक्षता राहत तस्नीम ने की। कार्यक्रम में राजेश चंद्राकर, टकेश्वर साहू, सतीश धीवर, फेबुलस एक्का, एसके राजपूत, पल्लवी धीवर, बिंदु साहू, वर्षा वर्मा, आशुतोष सिंह आदि शामिल हुए। फिल्म शुरू होने से पहले एक परिचर्चा आरंभ की गई। कार्यक्रम का सूत्रधार डॉ अजय आर्य को बनाया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्ष राहत तस्लीम ने कहा - हम सभी को कभी-कभी अपने रुटीन के पिंजरे से बाहर निकाल करके बाहरी दुनिया को औपचारिकता से बाहर आकर देखना चाहिए। अपने साथियों के साथ जब हम फिल्म देखते हैं तो फिल्म के विभिन्न पक्षों पर अपने-अपने नजरिए को स्पष्ट करते हैं।
आशुतोष सिंह ने बताया माइकल ओ'डायर की हत्या की थी। उधम सिंह ने माइकल ओ' डायर को 13 मार्च 1940 को लंदन में गोली मारकर हत्या कर दी थी। डिप्रेशन का शिकार होकर के जलियांवाला बाग हत्याकांड के 4 वर्ष बाद जनरल डायर की मौत हो गई थी। सामान्यतः लोग उधम सिंह ने जनरल डायर को मारा ऐसा ही जानते हैं।
-इस फिल्म में क्या खास है
अक्षय कुमार की फिल्म 'केसरी चैप्टर 2: द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ जलियांवाला बाग' अंग्रेजों की अत्याचार और सच को छुपाने के तरीकों को समझने में मदद करती है। यह फिल्म 1919 के जलियांवाला बाग नरसंहार की अनकही कहानी को पर्दे पर लाती है।
फ़िल्म समीक्षक संघ के महासचिव डॉ. अजय आर्य ने कहा - केसरी और केसरी 2 दोनों अलग-अलग कहानी है।जहां पहली 'केसरी' फिल्म सारागढ़ी की जंग पर आधारित थी। वहीं, दूसरा चैप्टर कोर्ट रूम ड्रामा है। दोनों ही फिल्मों की कहानी अलग-अलग है कुछ लोग कह रहे हैं कि हमने केसरी नहीं देखी तो हम केसरी 2 को नहीं समझ पाएंगे जो कि गलत है। फिल्म में वकील शंकरन नायर की ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ कानूनी लड़ाई को दिखाया गया है, जो इस दुखद घटना की सच्चाई को दुनिया के सामने लाने की कोशिश करते हैं। शंकरन नायर अंग्रेजों के कृपा पात्र थे किंतु जलियांवाला बाग को जानते हुए अंग्रेजों के अत्याचारों को उन्होंने समझा और उसका विरोध किया महात्मा गांधी ने भी उनकी प्रशंसा की थी।
फेबुलस एक्का ने बताया - रघु पलट और पुष्पा पलट की किताब 'द केस दैट शुक द एम्पायर' पर आधारित यह फिल्म सत्य के लिए संघर्ष करने के लिए प्रेरणा देती है।
बिंदु साहू ने कहा -अक्षय कुमार इस रोल में शानदार लगे हैं, यह किरदार अक्षय कुमार के लिए ही था। अक्षय कुमार की बॉडी लैंग्वेज और डायलॉग डिलीवरी गहराई तक प्रभाव छोड़ते हैं।
टकेश्वर साहू ने बताया आर माधवन का किरदार भी कमाल का है और अनन्या पांडे ने कहानी के हिसाब से अपने किरदार को बखूबी निभाया है। अनन्य पांडे ने अभी तक कैरेक्टर वाले रोल नहीं किए हैं, किंतु उनकी यह शुरुआत अच्छी है।”
बुद्धिजीवी फिल्म समीक्षक संघ क्या है?
बुद्धिजीवी फिल्म समीक्षक संघ के सूत्रधार डॉ. अजय आर्य बताते हैं कि आजकल फिल्मों का स्तर दूसरा ही हो गया है। पारिवारिक फिल्में कम बनती हैं। बनती है तो चलती नहीं है। हमारा संघ समूह में अच्छे लोगों को फिल्म देखने के लिए प्रेरित करता है। हम मानते हैं कि जैसे दर्शन होते हैं वैसे ही स्तर की फिल्में पड़ोसी जाती हैं। हम कोशिश करते हैं कि महीने दो महीने में ऐतिहासिक सांस्कृतिक और सामाजिक फिल्मों को देखने के लिए बुद्धिजीवियों को प्रेरित करती हैं। हमारे इस संघ से अभी तक 50 लोग जुड़ चुके हैं। मैं मानता हूं कि स्वस्थ मनोरंजन व्यक्ति को अच्छा कार्य करने की प्रेरणा देता है। शारीरिक और मानसिक संतुलन और स्वास्थ्य में भी मनोरंजन की एक बहुत बड़ी भूमिका है।
-प्रभावशाली डायलॉग..
- जुल्म करने वाले अंग्रेज गलत हैं तो जुल्म सहकार आवाज़ ना उठाने वाले हिन्दुस्तानी उनसे भी ज्यादा गलत हैं।
- कोर्ट मे सही और गलत नहीं, हार और जीत का फैसला होता।
- कुछ बातों को भुला देना बेहतर होता है।
- सच कभी छुट्टी पर नहीं जाता।
संपादक- पवन देवांगन
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