होम / बड़ी ख़बरें / मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट में कड़ी सजा का प्रावधान करें सरकार- डॉ. भानुशास्त्री
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-आईएमए का स्टेट कॉन्फ्रेंस शुरू, प्रदेशभर से जुटे डॉक्टर्स
-कोविड वैक्सीन के साइड इफेक्ट का साइंटिफिक प्रमाण नही- डॉ.गुलेरिया
दुर्ग। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन दुर्ग- भिलाई द्वारा सागर इंटरनेशनल होटल में आयोजित दो दिवसीय 20वें स्टेट कॉन्फ्रेंस में शनिवार को प्रदेशभर से विशेषज्ञ डॉक्टर्स जुटे। कॉन्फ्रेंस का आईएमए के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. दिलीप भानुशास्त्री (हैदराबाद) ने दीप प्रज्वलित कर शुभारंभ किया। इस अवसर पर कोरोनाकाल के समय एम्स नई दिल्ली के तत्कालीन डायरेक्टर रहे वरिष्ठ डॉ. रणदीप गुलेरिया व अन्य डॉक्टर विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद रहे। कॉन्फ्रेंस में विशेषज्ञ डॉक्टर्स द्वारा मेडिकल साइंस की नई तकनीक, मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट के बिंदुओं, कार्य के दौरान उत्पन्न होने वाली समस्याओं के अलावा अन्य विषयों पर चर्चा की गई, साथ ही डॉक्टर्स द्वारा अपने व्याख्यान प्रस्तुत किए गए। स्टेट कांफ्रेंस के आयोजन के बीच आईएमए के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. दिलीप भानुशास्त्री और एम्स नई दिल्ली के वरिष्ठ डॉ. रणदीप गुलेरिया मीडिया से रूबरू हुए। चर्चा में आईएमए के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. दिलीप भानुशास्त्री ने कहा कि ऐसे स्टेट कॉन्फ्रेंस का आयोजन जरूरी है। जिसमें मेडिकल साइंस की नई तकनीक की जानकारी मिलती है, साथ ही डॉक्टर्स की समस्याओं पर विस्तार से चर्चा होती है। कॉन्फ्रेंस से डॉक्टर्स को कुछ ना कुछ नया सीखने का अवसर मिलता है। डॉ. भानुशास्त्री ने कहा कि आईएमए डॉक्टर और मरीजों के हित में हमेशा संघर्षरत रहा है। कैंसर व डायबिटीज के मरीज लगातार बढ़ रहे हैं। लेकिन उक्त बीमारी की दवाइयों पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगाने की वजह से दवाइयां काफी महंगी हो गई है। इस मुद्दे को आईएमए ने जीएसटी काउंसिल के समक्ष रखा है। आईएमए की मांग है कि उक्त दवाई से जीएसटी खत्म करें या कम करें। मुद्दे के समाधान के लिए जीएसटी काउंसिल की आगामी बैठक में आईएमए के पदाधिकारियो को आमंत्रित करने पर सहमति भी बनी है। एक सवाल के जवाब में डॉ. भानुशास्त्री ने कहा कि मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट छत्तीसगढ़ सहित अन्य राज्यों में लागू है, लेकिन एक्ट के प्रावधानों में एकरूपता नहीं है। अलग-अलग राज्यों में नियम कानून अलग-अलग है। कानून में कड़ी सजा के प्रावधान नहीं किए गए हैं। सभी राज्यों में कानून में एकरूपता व ठोस सजा के प्रावधान होने चाहिए। इसे लेकर आईएमए लगातार आवाज उठा रही है।
कोरोनाकाल के समय एम्स नई दिल्ली के तत्कालीन डायरेक्टर रहे वरिष्ठ डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि वर्तमान समय में मेडिकल शिक्षा व नई तकनीक मैं लगातार वृद्धि हो रही है। इन सारे विषयों की कांफ्रेंस के माध्यम से जानकारी होती है। ऐसे आयोजन समय की मांग है। डॉ. गुलेरिया ने वित्तमंत्री सीतारमण द्वारा शनिवार को पेश किए गए केंद्रीय आम बजट को मेडिकल क्षेत्र के लिए बड़ी उपलब्धि बताया है। उन्होंने कहा है कि बजट में नया मेडिकल कॉलेज खोलने, 10 हजार सीट बढ़ाने, सरकारी अस्पतालों में कैंसर डे केयर सेंटर बनाने के प्रावधान किए गए हैं। इसके अलावा 36 जीवन रक्षक दावों से ड्यूटी टैक्स खत्म करने का जिक्र किया गया है। जिससे दवाइयां सस्ती होगी और सुविधाओं का मरीजोंं को लाभ मिलेगा। एचएमपीवी वायरस के बढ़ते प्रभाव से जुड़े एक सवाल के जवाब में डॉ. गुलेरिया ने कहा कि यह वायरस नया नहीं है। इसकी पिछले 10 वर्ष पूर्व जानकारी हुई थी। बच्चों में निमोनिया की जांच के दौरान यह वायरस पकड़ में आया था। सर्दी के मौसम में इस वायरस का इंफेक्शन होता है। कोविड वैक्सीन के साइड इफेक्ट से जुड़े सवाल पर डॉ. गुलेरिया ने कहा कि कोविड वैक्सीन के साइड इफेक्ट होने की लोगों में धारणा हो सकती है, लेकिन इसके कोई साइंटिफिक प्रमाण अब तक नहीं मिले हैं। कोविड वैक्सीन का स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव नहीं पड़ता है। मीडिया से चर्चा के दौरान आईएमए छत्तीसगढ़ राज्य शाखा अध्यक्ष डॉ. प्रभात पांडेय, सचिव डॉ. कौशलेंद्र ठाकुर भी मौजूद रहे।
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