दुर्ग-भिलाई

जो लोक के लिए जीता है वही सच्चा शासक- रघु ठाकुर

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- सोशलिस्ट चिंतक व राजनेता ने संघर्ष के साथी गुलाब सिंह को याद किया 
भिलाई
। ' समाजवाद का अर्थ है संपन्नता और समता। सूर्य सबको उजाला देता है, नदियां किसी को स्नान करके पवित्र होने से नहीं रोकतीं । जो लोक के लिए जीता है वही सच्चा शासक होता है। यही समाजवाद और उसकी व्यवस्था है। समाजवाद में मजदूर  और मालिक को सब कुछ बराबर मिलता है। समाजवाद में राष्ट्रवाद भी निहित है और रामराज्य भी। समाजवादी चिंतन में राष्ट्रवाद का अर्थ है बलपूर्वक छीनी गई देश की भूमि को वापस पाना। डॉ राममनोहर लोहिया ने तिब्बत पर चीन के आक्रमण को तिब्बत की भ्रूण हत्या करार देते हुए भारत पर चीनी आक्रमण से बहुत पहले ' पंचशील ' और ' हिन्दी चीनी भाई - भाई ' के नारे में छिपे छल को पहचाना था और सरकार को आगाह किया था। समाजवादी एक ऐसा ' रामराज्य ' चाहते हैं जिसमें सब सुखी हों और बराबर हों। भारत का मतलब उसके 140 करोड़ लोग, यहां की नदियां, यहां के पर्वत- समुद्र सब कुछ है। देश में जिस तरह की विषमता है उसे देखते हुए एक आदर्श जनतंत्र डॉ राममनोहर लोहिया की सिविल नाफरमानी से ही बन सकता है। भिलाई के समाजवादी साथी गुलाब सिंह  ऐसे ही जनतंत्र के लिए हर संघर्ष में साथी बने।' 
सुप्रसिद्ध समाजवादी चिंतक व राजनेता  रघु ठाकुर ने यह विचार भिलाई के समाजवादी गुलाब सिंह की स्मृति में भिलाई के मैत्री नगर में आयोजित स्मरण- सभा में यह विचार व्यक्त किये। रघु ठाकुर इस आयोजन में मुख्य वक्ता के रूप में बोल रहे थे।
रघु ठाकुर ने कहा कि देश में लड़ाई कट्टरपंथ बनाम उदारता की है। इस वैचारिक द्वंद्व में सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों ही ग़लत राह पर हैं। सत्तापक्ष पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष दिल्ली से तय कर रहा है। विपक्ष के नेता कह रहे हैं उनकी लड़ाई ' इंडियन स्टेट'  के साथ है। जबकि यह लड़ाई इंडियन सिस्टम के खिलाफ होनी चाहिए। सच्चा शासक वही है जो लोक के लिए जीता है।
रघु ठाकुर ने कहा कि मार्क्सवाद समाजवाद नहीं है। यह पश्चिम का वैचारिक उपनिवेशवाद है।

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गुलाब सिंह से जुड़े संस्मरणों को साझा करते हुए रघु ठाकुर ने कहा गुंडरदेही के बावन गांवों में नहर का पानी लाने के लिए मिल कर संघर्ष किया, अन्यथा वहां के किसान सिंचाई के अभाव में खेत बेच रहे थे। आज वहां नहर का पानी आने से किसान धान की तीन फसलें ले रहे हैं। 
रघु ठाकुर ने बताया कि जिस समय होमगार्डों की बेहतर सेवा शर्तों के लिए आंदोलन कर रहे थे तब भी गुलाब सिंह ने कंधे से कंधा मिलाकर संघर्ष में साथ दिया, जेल गये, यहां तक कि दिवाली भी जेल में मनाई।
आज होमगार्डों को पुलिस व वन विभाग की नौकरियों में पंद्रह प्रतिशत आरक्षण मिला है, वेतन बढ़ा है, वर्दी सरकार से मिलने लगी है, सेवा स्थल पर आवास की सुविधा मिली है। लेकिन एक समय ऐसा था जब उन्हें आठ रुपये रोज के मेहनताने में वर्दी भी खुद सिलवानी पड़ती थी और हवालात के कमरों में रात गुजारनी पड़ती थी, जितने दिन के लिए बुलाया जाता था उतने ही दिन का मेहनताना मिलता था। 
रघु ठाकुर ने होमगार्डों की बेहतर जिंदगी के लिए जो आन्दोलन छेड़ा उसमें गुलाब सिंह जैसे साथियों ने संघर्ष में साथ दिया था। वे सन् 1977 के बाद हर संघर्ष में साथ रहे। गुलाब सिंह अगर यह संघर्ष कर पाये तो अपनी जीवनसंगिनी के सहयोग के कारण, उन्होंने ही बच्चों को पाला।
वरिष्ठ पत्रकार जयंत सिंह तोमर ने कहा कि इंसान की उम्र वह नहीं होती जो वह जीता है बल्कि उसके न रहने पर कितने समय तक उसे समाज याद करता है वह वास्तविक आयु होती है।सम्राट अशोक को लगभग दो सौ साल पहले तब लोग जान पाए जब ब्राम्ही लिपि को जेम्स प्रिंसेप  पढ़ने में सफल हुए और अशोक के दर्शन और विचारों को सामने लाया।
व्याख्यान का यह आयोजन स्वर्गीय गुलाब सिंह के पुत्र श्याम मनोहर सिंह ने किया।
इस अवसर पर त्रिभुवन पांडेय, बी के सिंह ने भी अपने विचार रखे।
श्रद्धांजलि सभा में  अशोक पंडा , श्री गुप्ता, कन्हैया शिव शिंदे,  त्रिलोक मिश्रा, हजारी पप्पू सिंह, मिश्रा, अब्दुल फरीद,विपिन सिंह डॉ सेन श्रीमती मंजू सिंह , शांति क्षत्रिय, कुसुम सिंग, रानी तिवारी, नागेंद्र पाण्डेय, बी एन सिंह, महंत सिंह साहू, संतोष सिंह, पप्पू  चंद, कन्हैया लाल गौतम , एस के तिवारी,  मंजीत सिंह, पप्पू  सिंह सहित बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए।

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