होम / बड़ी ख़बरें / पूर्व मंत्री कवासी लखमा 7 दिन के ईडी रिमांड पर
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रायपुर । छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित 2 हजार करोड़ के शराब घोटाला मामले में पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा की गिरफ्तारी पर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा है कि ईडी की जांच जारी है. जो भी दोषी है उन पर कार्रवाई होगी. बता दें कि शराब घोटाला मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने आज तीसरी बार पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा और बेटे हरीश लखमा से पूछताछ की. इसके बाद ईडी ने कवासी लखमा को गिरफ्तार कर जस्टिस अतुल श्रीवास्तव की कोर्ट में पेश किया. दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद कवासी लखमा को 7 दिन की ईडी की रिमांड पर भेजा गया। बता दें कि शराब घोटाला मामले में 28 दिसंबर को ईडी ने पूर्व मंत्री लखमा और उनके बेटे हरीश लखमा के ठिकानों पर छापेमार कार्रवाई की थी. छापेमार कार्रवाई में ईडी ने नगद लेनदेन के सबूत मिलने की जानकारी दी थी. इस मामले में आज तीसरी बार पूछताछ के बाद इडी ने कवासी लखमा को गिरफ्तार किया। दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में 11 मई, 2022 को आयकर विभाग ने पूर्व अनिल टुटेजा, उनके बेटे यश टुटेजा और सौम्या चौरसिया के खिलाफ याचिका दायर की थी. जिसमें बताया गया था कि छत्तीसगढ़ में रिश्वत, अवैध दलाली के बेहिसाब पैसे का खेल चल रहा है. महापौर ऐजाज ढेबर का भाई अनवर ढेबर का भाई अवैध वसूली के खेल में शामिल है. जिसके बाद ईडी ने 18 नवंबर, 2022 को के तहत मामला दर्ज किया. अबतक मामले में 2161 करोड़ के घोटाले की बात का कोर्ट में पेश चार्जशीट में जिक्र किया है। ईडी की चार्जशीट के अनुसार, साल 2017 में आबकारी नीति में संशोधन कर ज़रिये शराब बेचने का प्रावधान किया गया, लेकिन 2019 के बाद शराब घोटाले के किंगपिन अनवर ढेबर ने अरुणपति त्रिपाठी को नियुक्त कराया, उसके बाद अधिकारी, कारोबारी, राजनैतिक रसूख वाले लोगों के सिंडिकेट के ज़रिये भ्रष्टाचार किया गया, जिससे 2161 करोड़ का घोटाला हुआ. अरुणपति त्रिपाठी मनपसंद डिस्टिलर की शराब को परमिट करते थे. देशी शराब के एक केस पर 75 रुपये कमीशन दिया जाना था, इस कमीशन की त्रिपाठी एक्सेलशीट तैयार कर अनवर ढेबर को भेजते थे . आरोप है कि अनवर ढेबर और अरुणपति त्रिपाठी के सिंडिकेट ने नकली होलोग्राम लगाकर अवैध तरीके से शराब की बेधड़क बिक्री की. इससे राज्य के राजस्व को बड़ा नुकसान हुआ. आपराधिक सिंडिकेट के जरिये ष्टस्रूष्टरु की दुकानों में सिर्फ तीन ग्रुप की शराब बेची जाती थीं, जिनमें केडिया ग्रुप की शराब 52 प्रतिशत, भाटिया ग्रुप की 30 प्रतिशत और वेलकम ग्रुप की 18 प्रतिशत हिस्सा शामिल है।
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