होम / बड़ी ख़बरें / तहसील तमनार के किसान को गुमराह में रख कराया गया जमीन की रजिस्ट्री
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नामांतरण पर रोक लगाने आवेदन के बावजूद भी तमनार तहसीलदार के द्वारा किया गया नामांतरण
रायगढ़ ( सरोज श्रीवास)। तमनार तहसील अंतर्गत ग्राम पंचायत भालूमुड़ा के आश्रित ग्राम चिंर्रामुड़ा में किसान लाल साय राठिया पिता चमार सिंह राठिया को धोखे में रखकर एवं बिना जानकारी दिए एवं मिलीभगत कर किसान को आधार कार्ड पर नाम को सुधार कराने के नाम से गुमराह कर उसी के छोटे भाई कन्हैया राठिया, हल्का पटवारी डेविड सिदार एवं तमनार तहसीलदार ऑफिस में पदस्थ बाबू अजीत बेक के द्वारा लाल साय राठिया को दिनांक 19.11.24 को घरघोड़ा रजिस्टार ऑफिस में बुलाकर एवं उनको गुमराह में रख कर उससे रजिस्ट्री पेपर पर दस्तखत करवा लिया गया। जिसका किसान को कोई भी जानकारी नहीं था,और उनके हिस्से की जमीन को बेच दिया। जिसमें मास्टरमाइंड उनके सगे भाई कन्हैया राठिया हैं। क्योंकि उन्हीं ने पटवारी एवं बाबू से मिली भगत कर जमीन बिक्रय हेतु चतुर सीमा बनवाया जिसका किसान को कोई भी जानकारी नहीं था, क्योंकि कन्हैया राठिया का भी उस जमीन पर आधा हिस्सा एवं अधिकार था। लेकिन उनके भाई को ही धोखे में रखकर एवं बिना जानकारी दिए आधार कार्ड पर सुधार करने के नाम से उनसे जमीन की रजिस्ट्री पर सिग्नेचर एवं अंगूठा का निशान करवा लिया गया क्योंकि आज लाल साय राठिया की उम्र काफी हो गई है जिसके हिसाब से वह सही गलत का आकलन करने सक्षम नहीं है, किसान को यह बात की पता तब चली जब उनके ही परिवार के किसी व्यक्ति के द्वारा उनको यह संपूर्ण जानकारी दिया गया। लेकिन मामला काफी विलंब हो चुका था। जिसका पूरा-पूरा फायदा उनके छोटे भाई एवं अन्य लोगों ने लिया। जिसमें हल्का पटवारी एवं तहसील ऑफिस में पदस्थ तहसीलदार के बाबू भी हैं।किसान का यह कहना है। तथा उस जमीन का खसरा नं.45 एवं रकबा 1.825 इतना है। और उस जमीन के खरीदार अनीता बेक है और तमनार तहसील में पटवारी के पद पर पदस्थ हैं एवं बाबू अजीत बेक की पत्नी है। बस कारण यही है कि भू स्वामी लाल साय राठिया के लिखित शिकायत एवं रजिस्ट्री हुए जमीन की नामांतरण पर दिनांक 09.01.25 को रोक लगाने के बावजूद भी तमनार तहसील में पदस्थ तहसीलदार विकास जिंदल के द्वारा किसान से प्राप्त आवेदन मिलने के बाद भी दूसरे ही दिन दिनांक 10.01.25 को ही नामांतरण प्रक्रिया को पूरा कर दिया गया। आखिर क्यों यह पता नहीं, लेकिन इससे तो यह प्रतीत होता है कि आज एक सक्षम अधिकारी न्याय की कुर्सी पर बैठकर अपने कर्तव्यो का गलत इस्तेमाल करते हुए एक पक्षीय कार्यवाही एवं अपने तहसील में पदस्थ बाबू एवं पटवारी के कारनामे पर पर्दा डालते हुए आज एक गरीब को न्याय पाने से वंचित रखा गया। अब देखना यह होगा कि किसान को अपनी जमीन पाने के लिए कहां-कहां न्याय की गुहार लगानी पड़ती है और कब तक किसान को न्याय मिल पाता है।
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