छत्तीसगढ़

रानू साहू और माया वारियर ने एक साल में किया 125 करोड़ रुपयों से भी अधिक का घोटाला..!

image_380x226_671606950736b.jpg

RO. NO 13207/90

-कांग्रेस और भाजपा दोनों दलों के घोटालेबाज जल्द जाएंगे जेल, कतिपय पत्रकारों के नाम भी घोटालेबाजों में शामिल

कोरबा । छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में डीएमएफ घोटाले की परतें प्याज के छिलकों की तरह उतरने लगी है। परियोजना प्रशासक और सहायक आयुक्त कोरबा रह चुकी श्रीमती माया वारियर की गिरफ्तारी के बाद पता चल रहा है कि तत्कालीन कलेक्टर रानू साहू और आदिवासी विकास विभाग की सहायक आयुक्त माया वॉरियर के कार्यकाल में 125 करोड़ रुपए से अधिक की सामग्री की खरीदी की गई थी। इसमें आत्मानंद स्कूलों के लिए फर्नीचर, कैमरे, टीवी भी शामिल हैं। जबकि इसकी जरूरत भी नहीं थी।बहुचर्चित डीएमएफ घोटाले में निलंबित आईएएस रानू साहू और माया वॉरियर को ईडी गिरफ्तार कर चुकी है। अभी पूछताछ के लिए दोनों ही ईडी की रिमांड पर हैं। तत्कालीन कलेक्टर रानू साहू जून 2021 से जून 2022 तक कोरबा की कलेक्टर रही हैं। इसी दौरान आदिवासी विकास विभाग में माया वॉरियर सहायक आयुक्त रह चुकी हैं। सबसे अधिक गड़बड़ी खरीदी में ही की गई है। लोकल टेंडर करने के लिए बाहर से लोगों को बुलाया गया था। नियम के तहत जेम पोर्टल से खरीदी होनी चाहिए थी, लेकिन यहां लोकल टेंडर के माध्यम से खरीदी की जाती थी। आत्मानंद स्कूल जहां भवन ही नहीं बने थे, वहां के लिए भी फर्नीचर की खरीदी की गई। आश्रम और छात्रावासों के लिए लकड़ी का - बेड, अलमारी लॉकर, वाशिंग मशीन भी खरीदी की गई। स्कूलों में अभी बैंक की तरह लॉकर दिया गया है। इसका उपयोग भी नहीं हो रहा है। कई स्कूलों में तो एक कमरे में रखा हुआ है। इसके कारण ही क्लास लगाने के लिए अतिरिक्त कमरे की जरूरत पड़ रही है। कटघोरा ब्लॉक में 80 लाख रुपए का कंबल बांटने का मामला भी काफी सुर्खियों में रहा है। लेकिन इसकी शिकायत के बाद भी ना तो जांच हुई और ना ही कार्रवाई हुई। यही नहीं, महिला व बाल विकास विभाग में खिलौने, फर्नीचर के साथ अलमारी की खरीदी की गई थी। ऐसा कोई विभाग नहीं बचा था, जहां पर खरीदी नहीं की गई। इसमें ही अधिक कमीशन का खेल चला है। सामग्री सप्लाई के वर्क ऑर्डर की प्रक्रिया ही एक से दो महीने के बीच ही पूरी कर ली जाती थी।सूत्रों के अनुसार रानू साहू के अल्प कार्यकाल में रायपुर, दुर्ग, भिलाई, धमतरी, नैला जांजगीर, चाम्पा और बिलासपुर सहित कोरबा के सप्लायर फर्जीबाड़ा में जुटे हुए थे। इतना ही नहीं ट्रायबल और एजुकेशन सहित महिला एवं बाल विकास विभाग में मरम्मत और निर्माण कार्य के नाम पर भी फर्जी बिल बनाकर करोड़ों रुपयों का घोटाला किया गया था। माया वारियर ने आदिवासी परियोजना में भी जमकर फर्जीबाड़ा किया और बिना काम कराए आदिवासी विकास विभाग में एकछत्र राज करने वाले ठेकेदारों के कॉकस को करीब 4 करोड़ रुपयों का फर्जी भुगतान कर दिया था। बहरहाल अब ईडी और ईओडब्ल्यू की जांच में ऐसे 20 से अधिक ठेकेदारों और सप्लायर्स की जेल यात्रा के कयास लगाए जा रहे हैं। बताया जा रहा है कि जेल जाने वालों में कांग्रेस से जुड़े ठेकेदारों और सप्लायर्स के साथ कुछ भाजपा से जुड़े कोरबा के लोग भी शामिल हैं। सुत्रों के अनुसार कतिपय पत्रकारों के नाम भी घोटालेबाजों की सूची में शामिल है। करीब 10 करोड़ रुपयों के काम में मीडिया की संलग्नता के समाचार मिल रहे हैं।

RO. NO 13207/90

एक टिप्पणी छोड़ें

Data has beed successfully submit

Related News

Advertisement

97519112024060022image_750x_66bc2a84329bd.webp
RO. NO 13207/90
69811042025172147d_getfile.jpg

Popular Post

This Week
This Month
All Time

स्वामी

संपादक- पवन देवांगन 

पता - बी- 8 प्रेस कॉम्लेक्स इन्दिरा मार्केट
दुर्ग ( छत्तीसगढ़)

ई - मेल :  dakshinapath@gmail.com

मो.- 9425242182, 7746042182

हमारे बारे में

हिंदी प्रिंट मीडिया के साथ शुरू हुआ दक्षिणापथ समाचार पत्र का सफर आप सुधि पाठकों की मांग पर वेब पोर्टल तक पहुंच गया है। प्रेम व भरोसे का यह सफर इसी तरह नया मुकाम गढ़ता रहे, इसी उम्मीद में दक्षिणापथ सदा आपके संग है।

सम्पूर्ण न्यायिक प्रकरणों के लिये न्यायालयीन क्षेत्र दुर्ग होगा।

logo.webp

स्वामी / संपादक- पवन देवांगन

- बी- 8 प्रेस कॉम्लेक्स इन्दिरा मार्केट
दुर्ग ( छत्तीसगढ़)

ई - मेल : dakshinapath@gmail.com

मो.- 9425242182, 7746042182

NEWS LETTER
Social Media

Copyright 2024-25 Dakshinapath - All Rights Reserved

Powered By Global Infotech.