दुर्ग। नगर पालिका निगम दुर्ग परिषद की लोक कर्म प्रभारी अब्दुल गनी और जल कार्य प्रभारी संजय कोहले अपने विभाग का विश्लेषण करने के बजाय विद्युत विभाग का विश्लेषणकर राज्य की भारतीय जनता पार्टी की सरकार पर आरोप लगा रहे हैं की दुर्ग नगर निगम में राज्य सरकार के कारण निगम क्षेत्र के आउटर क्षेत्र में बिजली नहीं लगा सकी गई ।
वरिष्ठ पार्षद शिवेंद्र परिहार ने इस बयान पर कड़ी आपत्ति दर्ज करते हुए कहा कि वर्ष 2017 में चंद्रिका चंद्राकर की शहर सरकार थी उस समय 18000 लाइट लगी । उसके बाद धीरज बाकलीवाल के कार्यकाल में किसी भी वार्डो में कोई लाइट नहीं लगी । अरुण वोरा जी ने अपने निधि से 2 करोड़ की राशि हाई मास्क, चाइना लाइट जैसे कार्यों में खर्च कर दिए सिर्फ अपने चहेते को काम देने के लिए । जब की पूर्व सरकार ने हाईमास्क लाइट प्रतिबंधित किया था । क्योंकि उससे बिजली की अनावयसक खपत होती है। जबकि अभी वर्तमान विधायक गजेंद्र यादव ने अपनी निधि से 40 लाख रुपए देकर शहर को अंधेरे से मुक्ति दिलाना शुरू किया है। उन्होंने कहा निगम क्षेत्र की आउटर कॉलोनियां अंधेरे में डूबी है बाकलीवाल के इस परिषद में कई वार्ड ऐसे है जहां एक ही पोल में 3, 3 लाइट लगी है और आउटर के वार्डो में सैकड़ों पोल बिना लाइट के है । इस बात को प्रभारी महोदय भी स्वीकार कर रहे हैं ।
आगामी नगरीय निकाय चुनाव को देखते हुए कांग्रेस के ये प्रभारी गण आउटर क्षेत्र के निवासियों की चिंता अपनी सफाई दे रहे हैं । कहते हैं राज्य की भारतीय जनता पार्टी की सरकार के द्वारा राशि नहीं दी जा रही है जिसके कारण निगम के आउटर क्षेत्र में बिजली नहीं लग सका गया है । कांग्रेस की शहर सरकार ने पांच साल क्या किया । चुनाव में वोट के लिए निगम के आउटर क्षेत्र के लोगों को अब साधने की कोशिश की जा रही है और इसलिए आउटर क्षेत्र में बिजली की याद आने लगी है।
पूरे शहर के नागरिक गंदा पानी पीने मजबूर फिल्टर प्लांट में लेने वाला आज भी साफ नहीं हो सकता घर के लोगों को इस बार बारिश के समय में भी पानी की किल्लत से जूझना पड़ा है। आज पुलगांव नाला से आने वाला गंदा पानी को डायवर्ट करने की योजना अधूरा है । एमआईसी प्रभारी संजय कोहले को जिम्मेदारी का विश्लेषण कर जनता को बताना चाहिए ।
नगर निगम सीमा क्षेत्र में बने हैं दोनों ही और ब्रिज की हालत बिल्कुल जर्जर है शहर की जनता रोड में चलने का टैक्स तो दे रही है । शहरी सरकार ने दुर्ग निगम गरीब, बेरोजगारों के लिए कोई योजना बना नहीं सकी। वे केन्द्र व राज्य सरकार की योजना पर ही टिकी हुई थी। शहर में मूलभूत के कार्य अधूरे पड़े है । लोक कर्म प्रभारी अपनी नाकामी को छुपाकर जनता को गुमराह नहीं कर सकते ।
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