- पर्युषण पर्व आरंभ तप तपस्या धर्म अराधना जोरदार आरंभ
- सूत्र वाचन एवं प्रवचन का लाभ उठा रहे हैं लोग
देवकर। नगर देवकर में इस वर्ष 2024 का चातुर्मास पर्व श्रमण संघ के सन्त श्री रतन मुनी जी मसा. के सुशिष्य श्री सतीश मुनि जी मसा, श्री शुक्ल मुनी जी मसा, श्री रमण मुनी जी मसा, श्री आदित्य मुनी जी मसा के सानिध्य में पुरे उत्साह उमंग और तप तपस्या धर्म के साथ गतिमान है। चार माह तक चलने वाले इस चातुर्मास में जैन धर्म का सबसे महत्वपूर्ण आठ दिनों का महापर्व पयुॆषण का आरंभ 1 सितंबर से हो गया है। इस अवसर पर नगर के जैन समुदाय के महिलाओं, पुरूषों, युवा, बालक बालिका मण्डल द्वारा जोरदार तप तपस्या धर्म अराधना उपवास व्रत आदि चल रहा है। जिसमें सबसे महत्वपूर्ण और गौरवपूर्ण बात बोरा परिवार के लाड़ले युवा रत्न तपस्वी रौनक बोरा पिता निर्मल बोरा माता समता बोरा 24 वर्ष जिनका 46 वां दिन उपवास व्रत सोमवार 2 दिसम्बर को और आगे वे गतिमान है। पुरे छत्तीसगढ़ में इतना बड़ा तपस्या करने वाले वे इस वर्ष पहला युवा रत्न है जो नगर के साथ ही साथ परिवार के लिए शान की बात है। इसके पूर्व रौनक बोरा ने तीन और मासखम्मण 30 - 30, दिनों की उपवास व्रत कर चूका है। यह चौथा अवसर है जब वे हाफ सेंचुरी की ओर अग्रसर है।
नगर में चल रहे चातुर्मास में रोजाना नियमित रूप से धार्मिक कार्यक्रम सुचारू रूप से संचालित हो रहा है जिसमें सुबह प्रथणा, सुबह 8, 30 से 9, 30, प्रवचन, दोपहर 1, 30, से 02, बजे तक बड़ा मंगलिक, सांयकाल प्रतिक्रमण, रात्री कालीन धार्मिक कार्यक्रम प्रतियोगिता आदि चल रहे हैं।
प्रवचन में श्री सतीश मुनि जी मसा श्री आदित्य मुनी जी मसा ने फ़रमाया कि -पयूॆषण पर्व अध्यात्मिक अराधना का पर्व है आत्मा को शुद्ध और पवित्र बनाते का पर्व है जीवन को व्यसनों से दुर रखें जिसकी आत्मा जागृत होती है वह जाग जाता है और अपनी आत्म कल्याण कर लेता है। मुनि श्री जी ने कहा कि जहां जहां अंहकार होता है वहां वहां जीवन अंधकार मय हो जाता है । हमें हमारे अन्दर जो कडूता बैर,छल कपट ,राग देव्श का गांठ है उसे खत्म करना है निकालना है। शरीर की गांठ को हम आपरेशन कर निकलवा लेते हैं पर अपने मन की गांठ को हमें खुद ही निकालना पड़ेगा। सभी जीवों पर दया भाव रखें अभय दान अहिंसा के मार्ग पर चलें तभी हमारा मानव जीवन सार्थक होगा।
कषाय से मुक्ति और हृदय से शुद्धि ही पयुॆषण पर्व का मुख्य मार्ग है शरीर का मोह ममत्व साज श्रृंगार इन आठ दिनों तक छोड़ कर आत्मा के पास बैठना, उसके साथ रहना यह पर्व आत्म जागरूकता का संदेश लेकर आता साल एक बार आता है। इस दौरान जैन समुदाय द्वारा जोर-शोर से तप त्याग संवर दया उपवास व्रत, आदि किया जाता है इस पर्व की अंतिम तिथि रविवार 9 तारीख को क्षमा पर्व के रूप में मनाया जावेगा। इस दौरान पुरे साल में जाने, अनजाने मे हुई गलती,पाप, कषाय, आदि कै लिए समस्त जीवों से क्षमा मांगी जायेगी।
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