नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने आज मंगलवार को कलकत्ता हाई कोर्ट के 2023 के उस विवादित फैसले पर रोक लगा दी है जिसमें यौन हमले से जुड़े मामले में एक आरोपी को बरी कर दिया था और किशोरियों को यौन इच्छा नियंत्रित करने की आपत्तिजनक सलाह भी दी गई थी। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने जजों के लिए किशोरों से जुड़े मामलों में फैसले लिखने के तौर-तरीकों के बारे में भी दिशा-निर्देश जारी कर दिया।
जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्ज्वल भुइंया की बेंच ने यह फैसला लिया है। पिछले साल विवाद बढऩे पर सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर स्वत: संज्ञान लिया था। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश पर रोक भी लगा दी थी। यही नहीं देश की सबसे बड़ी अदालत ने हाईकोर्ट के आदेश की आलोचना भी की थी। साथ ही इसे आपत्तिजनक और अवांछित टिप्पणी करार दिया गया था। कोलकत्ता हाई कोर्ट के पिछले साल 18 अक्टूबर 2023 को दिए फैसले के खिलाफ पश्चिम बंगाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।
इससे पहले देश की शीर्ष अदालत ने पिछले साल आठ दिसंबर को हाई कोर्ट के फैसले की कड़ी आलोचना की थी। साथ ही इसे हाई कोर्ट की बिल्कुल आपत्तिजनक और पूर्ण रूप से अवांछित टिप्पणी करार दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले के दौरान की गई उन कुछ टिप्पणियों का स्वत: संज्ञान लिया था और उस पर रिट याचिका के रूप में सुनवाई शुरू की थी। तब शीर्ष अदालत ने यह कहा था कि फैसला लिखते वक्त जजों से उपदेश की उम्मीद नहीं की जाती है।
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