दुर्ग

श्री उवसग्गहरं पार्श्व तीर्थ नगपुरा में मनाया गया तीर्थंकर श्री नेमिनाथ प्रभु का जन्म कल्याणक एवं श्री लब्धिसूरी जी म सा की पुण्यतिथि

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दुर्ग/नागापुरा। श्री उवसग्गहर पार्श्व तीर्थ नगपुरा में आज श्रावण सुदी पंचमी को २२ वें तीर्थंकर श्री नेमिनाथ प्रभु का जन्म कल्याणक एवं कविकुल किरीट व्याख्यान वाचस्पति तीर्थोपकारी पूज्यपाद आचार्यदेवेश श्रीमद् विजय लब्धि सूरीश्वर जी म० सा० की पुण्यतिथि उत्सव पूर्वक मनाया गया।
तीर्थ अध्यक्ष गजराज पगारिया, मैनेजिंग ट्रस्टी  पुखराज दुगड़ के मार्गदर्शन में तीर्थ परिसर में संचालित वर्धमान गुरुकूल  के विद्यार्थीयों नें तीर्थ परिसर से ग्राम गनियारी तक अहिंसा रैली का आयोजन किया।

इस अवसर पर तीर्थ के प्रवचन सभागृह में " गुणानुवाद सभा" का आयोजन हुआ। सभा में श्री नेमिनाथ प्रभु एवं पूज्यपाद गुरुदेव श्री लब्धि सूरीजी म० सा० के तैलचित्र  पर माल्यार्पण कर दीप प्रज्ज्वलित कर गुरुभक्त अमृत लाल राठौड़ राजनांदगांव एवं किरण भाई गांधी अहम‌दाबाद ने कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। 
गुणानुवाद सभा में किरण गांधी ने श्री नेमिनाथ प्रभु के जीवन चरित्र को स्मरण करते हुए कहा कि जैन धर्म अहिंसा का प्रर्वतक है। नेमिनाथ प्रभु  जीवदया भावना से ओत-प्रोत होकर , अबोल पशु की पुकार सुनकर वैराग्य को आत्मसात कर कर्म खपाते हुए तीर्थकर पद को प्राप्त किए। पूज्यपाद श्रीलब्धि सूरिदेव का जीवन विभिन्न गुणों का भंडार है जिनेश्वर भक्ति में निमग्न पूज्य गुरुदेव श्री पहले ऐसे संत थे जिन्होंने हाट बाजार में खड़े होकर प्रवचन के देते थे और लाखों लोगों को धर्म से जोड़े। अनेको साहित्य, ग्रंथों का आपने रचना किए।

आपके द्वारा लिखित"द्वादशार नयचक्र" ग्रंथ का विमोचन तत्कालिन राष्ट्रपति सर्वपल्ली डॉ-राधाकृष्णन ने किया था। काका कालेकर, राजर्षि पुरुषोत्तमदास टंडन जैसे विद्वान  राजनेता आपके परम भक्त थे । अनेको स्तवन - स्तुति - सज्झायो की रचना किए. पूज्यपाद गुरुदेव वचनसिद्ध महापुरुष थे। 'यथा नाम तथा गुण को सार्थक करने वाले पूज्य श्री लब्धिगुरुदेव ने धार्मिक स्तुति के साथ ही सैकड़ों जीवन प्रेरणास्पद गीतों का उपहार भी समाज को दिए।
गुणानुवाद सभा में वर्धमान गुरूकूल के विद्यार्थीयो ने स्तुति / स्तवन प्रस्तुत किए। इस अवसर पर शिक्षिका मीना गोस्वामी, गणेश देशमुख  डा. दानेश्वर टण्डन, डॉ. आदित्य उपाध्याय, डा. दिव्या रात्रे ने अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम का संचालन शिक्षक खिलेश साहू ने किया।

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