छत्तीसगढ़

एक चित्र: छत्तीसगढ़ की प्राचीन धरोहरों का संकलन

image_380x226_66af2c041b189.jpg

छत्तीसगढ़ एक ऐसा प्रदेश है जहां हर एक अवसर और कार्यों के लिए विशेष प्रकार के उपकरणों एवं वस्तुओं का उपयोग किया जाता रहा है। इस चित्र में पारंपरिक वस्तुओं को एक ही जगह पर दिखाया गया। जो कि छत्तीसगढ़ की प्राचीन धरोहर का हिस्सा है। इनमें - 

 काठा:  इस चित्र में सबसे बाएं दो गोलनुमा लकड़ी की संरचना दिख रही है, जिसे काठा कहा जाता है। पुराने समय में जब गांवों में धान मापन के लिए तौल कांटा बाट का प्रचलन नही था, तब काठा से धान का मापन किया जाता था। सामान्यतः एक काठा में चार किलो धान आता है। काठा में ही नाप कर पहले मजदूरी के रूप में धान का भुगतान किया जाता था।

 खुमरी: सिर के लिए छाया प्रदान करने के लिए बांस की पतली पतली टुकड़ों से बनी, गुलाबी रंग से रंगी और कौड़ियों से सजी घेरेदार संरचना खुमरी कहलाती है। यह प्रायः गौ वंश चराने वाले चरवाहा मवेशी चराते समय अपने सिर पर धारण करते है। जिससे धूप और बारिश से राहत मिलती है। पहले चरवाहा कमरा और खुमरी लेकर पशु चराने निकलते थे। कमरा जो कि जूट के रेशे से बने ब्लैंकेट नुमा मोटा वस्त्र होता था। जो कि बारिश के समय ओढ़ने से आसानी से पानी अंदर नहीं जाता था। कमरा को रेनकोट की तरह ओढ़ने के काम में लिया जाता था।

 कांसी की डोरी : खुमरी के बगल में डोरी का गोलनुमा गुच्छा कांसी पौधे के तने से बनी डोरी है। यह पहले चारपाई या खटिया में उपयोग होने वाले निवार के रूप में प्रयोग किया जाता था। डोरी बनाने की प्रक्रिया को डोरी आंटना कहा जाता है। बरसात के शुरुआती मौसम के बाद जब खेत के मेड़ों में कांसी पौधे उग आते है। तब उसके तने को काटकर डोरी बनाई जाती थी। जो कि चारपाई बनाने के काम आती थी।

 झांपी: चित्र के सबसे दाएं तरफ ढक्कन युक्त लकड़ी की गोलनुमा बड़ी संरचना झाँपी कहलाती है। यह पुराने जमाने में छत्तीसगढ़ में बैग या पेटी के विकल्प के रूप में उपयोग किया जाता था। यह खासकर विवाह के अवसर पर बारात जाने के समय दूल्हे का कपड़ा, श्रृंगार समान, पकवान आदि सामग्रियां रखने का काम आता था। यह बांस की लकड़ी से बनी मजबूत संरचना होती थी, जो कई वर्षों तक आसानी से खराब या नष्ट नहीं होती थी। 

 कलारी : बांस के डंडे के छोर पर लोहे का नुकीली हुक लगा हुआ वस्तु कलारी कहलाता है। यह प्रायः धान मिंजाई के दौरान उपयोग में लाया जाता था। यह धान को मिंजते समय धान को उलटने पलटने के काम आता था

एक टिप्पणी छोड़ें

Data has beed successfully submit

Related News

Advertisement

ताज़ा समाचार

Popular Post

This Week
This Month
All Time

स्वामी

संपादक- पवन देवांगन 

पता - बी- 8 प्रेस कॉम्लेक्स इन्दिरा मार्केट
दुर्ग ( छत्तीसगढ़)

ई - मेल :  dakshinapath@gmail.com

मो.- 9425242182, 7746042182

हमारे बारे में

हिंदी प्रिंट मीडिया के साथ शुरू हुआ दक्षिणापथ समाचार पत्र का सफर आप सुधि पाठकों की मांग पर वेब पोर्टल तक पहुंच गया है। प्रेम व भरोसे का यह सफर इसी तरह नया मुकाम गढ़ता रहे, इसी उम्मीद में दक्षिणापथ सदा आपके संग है।

सम्पूर्ण न्यायिक प्रकरणों के लिये न्यायालयीन क्षेत्र दुर्ग होगा।

logo.webp

स्वामी / संपादक- पवन देवांगन

- बी- 8 प्रेस कॉम्लेक्स इन्दिरा मार्केट
दुर्ग ( छत्तीसगढ़)

ई - मेल : dakshinapath@gmail.com

मो.- 9425242182, 7746042182

NEWS LETTER
Social Media

Copyright 2024-25 Dakshinapath - All Rights Reserved

Powered By Global Infotech.