" हर घड़ी हमारी अंतिम घड़ी है " यह स्मृति रहने से हमारे कर्म सदैव श्रेष्ठ होंगे -जगदंबा सरस्वती

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RO No.12784/129

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- दिव्यता की प्रतिमूर्ति जगदंबा सरस्वती की पुण्यतिथि का आयोजन

दुर्ग (छत्तीसगढ़)। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के बघेरा स्थित "आनंद सरोवर " के सभागार में ब्रह्माकुमारी संस्था की प्रथम संचालिका ओम राधे जिसे सभी ब्रह्मावत्स जगदंबा व मम्मा के नाम से संबोधित करते थे। आज उनकी पुण्यतिथि का आयोजन किया गया । जिसमें केलाबाड़ी, आर्य नगर , सिंधिया नगर व ग्रामीण अंचलों से अनेक सेवाकेन्द्रों के भाई-बहनें इस आयोजन में उपस्थित हुए । सभी ने उस महान विभूति को अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित कर उनके बताए हुए मार्ग पर चलने का संकल्प लिया । इस अवसर पर प्रातः 7 से 11 बजे तक विशेष योग तपस्या का आयोजन कर समग्र विश्व के सभी मनुष्य आत्माओं के सुख-शांति सपन्न  रहने की मंगल कामना की।

         ब्रह्माकुमारी दुर्ग की संचालिका रीटा बहन ने जगदंबा सरस्वती के जीवन चरित्र पर प्रकाश डालते हुए कहा  कि  निराकार परमपिता परमात्मा "शिव" ने इस साकार सृष्टि पर प्रजापिता ब्रह्मा के तन में दिव्य अवतरण होकर जो ज्ञान दिया उसे संपूर्ण रूप से आत्मसात कर अपने जीवन को श्रेष्ठ बनाने का प्रथम सौभाग्य मातेश्वरी जगदंबा सरस्वती को जाता है उनकी मुख्य शिक्षा यही रही कि हर घड़ी अपनी अंतिम घड़ी समझकर हम हर कर्म करेंगे तो हमारा कर्मों के प्रति ध्यान रहेगा व हमारे कर्म श्रेष्ठ व सुखदाई होंगे तथा आपने बताया हम सबको मुख्य शिक्षा यह मिली हुई है कि यह संसार कर्मक्षेत्र है, इस कर्मक्षेत्र में कर्मों से बीज बोना है। जो कर्म हम करते  हैं उसका फल अवश्य हमें मिलता ही है। परमात्मा पिता हमें कर्मों का बीज किस प्रकार बोयें उसकी विधि सिखा रहे हैं। जैसे खेती करना सिखाते हैं कि कैसे बीज़ डालो, कैसे उसकी सम्भाल करो, उसका भी प्रशिक्षण देते हैं। तो परमात्मा आ करके हमें कर्मों को कैसे श्रेष्ठ बनायें उसकी शिक्षा भी दे रहे हैं और विधि भी सिखा रहे हैं कि अपने कर्मों को ऊंच बनाओ, अच्छे बीज डालो अर्थात् अच्छे कर्म करो तो फल अच्छा मिलेगा। जब कर्म अच्छा होगा फिर जो बोयेंगे उसका फल अच्छा मिलेगा। अगर कर्म रूपी बीज़ में ताकत नहीं होगी, कर्म बुरे बोयेंगे तो फल क्या मिलेगा? तो अपने कर्मों का जो बीज है, वह अच्छा बनाओ और फिर अच्छा बोना सीखो। तो यह सभी चीज़ों को समझ करके अभी अपना पुरुषार्थ करो।