-जीई फाउंडेशन का दिव्यांग बच्चों का वार्षिक खेल मेला 'उड़ान' सफलतापूर्वक आयोजित
भिलाई। सामाजिक संगठन गोल्डन एम्पथी (जीई) फाउंडेशन ने स्पेशल ओलंपिक्स भारत, छत्तीसगढ़ के सहयोग से संयुक्त रूप से रविवार को दिव्यांग बच्चों के लिए वार्षिक खेल मेला 'उड़ान' का आयोजन किया। जिसमें समूचे छत्तीसगढ़ के 15 विशेष स्कूलों के 500 से ज्यादा बच्चों ने अपनी प्रतिभा का जबरदस्त प्रदर्शन किया। ये बच्चे जहां खेल की विभिन्न विधाओं में आगे रहे वहीं ड्राइंग एवं पेंटिंग प्रतियोगिता में भी अपनी कल्पना के खूब रंग भरे। जनप्रतिनिधियों के साथ शासकीय-अशासकीय समस्त संस्थानों से आए अतिथियों ने इन बच्चों की हौसला अफजाई की और इनके शिक्षकों को भी सराहा।भिलाई निवास के सामने स्थित मैदान में रविवार की सुबह उपस्थित अतिथियों ने प्रतीक स्वरूप गुब्बारे उड़ाकर 'उड़ान' का औपचारिक शुभारंभ किया। आयोजन में विभिन्न संस्थानों से आए विशेष बच्चों के लिए अलग-अलग तमाम व्यवस्थाएं की गई थी। यहां बच्चों ने ड्राइंग एवं पेंटिंग में उत्साह के साथ भाग लिया। इस दौरान सुबह से शाम तक दिव्यांग बच्चों के लिए विविध खेल प्रतियोगिताएं हुईं। जिसमें इन बच्चों ने शारीरिक अक्षमता को पीछे छोड़ते हुए मैदान में अपनी खेल प्रतिभा का प्रदर्शन किया।
आयोजन में पहुंचे वैशाली नगर विधायक रिकेश सेन ने कहा कि ये विशेष बच्चे हमारे समाज की धरोहर हैं और इन्होंने अपनी प्रतिभा से साबित किया है कि ये किसी भी सामान्य बच्चे से कम नहीं है। उन्होंने विशेष बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए किए जा रहे जीई फाउंडेशन के कार्य की भी सराहना की। इससे पहले जीई फाउंडेशन की ओर से संयोजक प्रदीप पिल्लई व अन्य लोगों ने विधायक रिकेश सेन का स्वागत किया।

बच्चों और उनके शिक्षकों को सम्मानित करते हुए छत्तीसगढ़ स्पेशल ओलंपिक के प्रमुख डॉक्टर प्रमोद तिवारी ने कहा कि ऐसे आयोजनों से इन विशेष बच्चों की प्रतिभाएं निखरती हैं और भविष्य में भी ऐसे प्रयास जारी रहेंगे। बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष डॉक्टर वर्णिका शर्मा ने आयोजन की सराहना करते हुए कहा कि इन बच्चों की मुस्कान हमेशा कायम रहे, ऐसा प्रयास हम सभी का होना चाहिए।
दिव्यांगजन वित्त एवं विकास निगम के अध्यक्ष लोकेश कावड़िया ने कहा कि इन विशेष बच्चों के भविष्य को लेकर भी शासन सजग है और उनके निगम की ओर से आगे इनके बालिग होने पर हर संभव सहायता व मार्गदर्शन इन्हें दिया जाएगा। इससे पहले जीई फाउंडेशन की ओर से मृदुल शुक्ला ने स्वागत भाषण में अतिथियों का स्वागत करते हुए आयोजन की रूपरेखा प्रस्तुत की।
आयोजन को दुर्ग पुलिस अधीक्षक विजय अग्रवाल,भिलाई स्टील प्लांट के कार्यपालक निदेशक (रावघाट) अरुण कुमार, कार्यपालक निदेशक (सामग्री प्रबंधन) एके चक्रवर्ती, मुख्य महाप्रबंधक (अनुरक्षण एवं उपयोगिताएं) विजय कुमार बेहरा, मुख्य महाप्रबंधक (रिफ्रैक्टरीज इंजीनियरिंग विभाग) प्रसन्नजीत दास,सेफी चेयरमैन नरेंद्र कुमार बंछोर, केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल-सीआईएसएफ के कमांडेंट अभिजीत कुमार और भाजपा नेता मनीष पांडेय सहित अन्य अतिथियों ने भी संबोधित किया और इन बच्चों की हौसला अफजाई की।

आयोजन में दुर्ग, भिलाई, रायपुर, राजनांदगांव और धमतरी के विद्यालयों के विशेष बच्चों ने हर क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। इस दौरान अतिथियों की ओर से स्पेशल ओलंपिक्स, एशियन गेम्स और नेशनल स्तर पर उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले बच्चों और उनके प्रशिक्षक (कोच) को भी सम्मानित किया गया।
इसके साथ ही समग्र पुनर्वास केंद्र राजनांदगांव की ओर से एक विशेष स्टॉल लगाया गया। आयोजन स्थल पर बच्चों के लिए मेडिकल जांच, न्यूट्रिशन विशेषज्ञों द्वारा मार्गदर्शन तथा आवश्यक परामर्श भी उपलब्ध कराया गया। कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार ई वी मुरली, भिलाई नायर समाजम के प्रेसिडेंट मधु पिल्लई, जॉर्ज कुरियन, जी ई फाउंडेशन की ओर से मनीष टावरी,ज्योति पिल्लई ,सुभागा सुरेश,अनुपमा मेश्राम ,सुरुचि टावरी,मोनिका सिंह,स्वाति बारीक,स्वाति पंडवार, विशाखा सुरेखा, सुरेश,सोनम सागर,साक्षी पांडे,प्रकाश देशमुख,संजय मिश्रा,के.सुरेश,के. विनोद,जावेद खान,नीलकमल सोनी, देवनारायण, पी. रविकुमार और आर. शैलेष सहित कई प्रमुख लोगों की भागीदारी रही।समूचे कार्यक्रम का संचालन सत्यवान नायक ने किया।

फैला रंगों का उजियारा, 'हायो रब्बा' पर झूमे बच्चे
इस वर्ष के आयोजन में दौड़ और मटकी फोड़ सहित कई प्रमुख खेल शामिल थे। इसके साथ ही पहली बार इन विशेष बच्चों के लिए बोचे गेम्स भी रखा गया, जिसमें एक निर्धारित घेरे में गेंद को फेंकना था। बच्चों ने इसका खूब आनंद लिया। इन बच्चों ने ड्राइंग और पेंटिंग प्रतियोगिता में भी खूब उत्साह से भाग लिया। बच्चों ने अपने कल्पना के रंग भरे। वहीं खेल और पेंटिंग से फुरसत पाने के बाद इनाम मिलने की खुशी में बच्चों ने जम कर डांस किया। 'हायो रब्बा' गीत पर बच्चे देर तक उल्लास के साथ झूमते रहे। बच्चों के साथ-साथ उनके शिक्षकों ने भी आयोजन का आनंद लिया।
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