-ईश्वरी–विद्या जैसी महिलाएँ बनीं आत्मनिर्भरता की मिसाल
रायपुर। प्रदेशभर की तरह धमतरी जिले में भी खरीफ उपार्जन वर्ष 2025-26 की शुरुआत 15 नवंबर से सुचारू रूप से हो चुकी है। खरीदी केंद्रों में जहाँ किसानों के चेहरों पर संतोष और प्रसन्नता दिखाई दे रही है, वहीं गांवों में श्रमिक परिवारों के बीच भी खुशी का माहौल है। धान खरीदी से जुड़े कार्यों ने ग्रामीण श्रमिकों, विशेषकर महिलाओं के लिए रोजगार एवं अतिरिक्त आय के अवसर बढ़ा दिए हैं, जिससे गांवों की अर्थव्यवस्था में नई जान आई है।
संबलपुर गांव के खरीदी केंद्र में काम कर रहीं ईश्वरी यादव और विद्या मरकाम जैसी महिलाएँ इस बदलाव का सशक्त उदाहरण हैं। धान के कट्टों की सिलाई और भराई में व्यस्त ये महिलाएँ बताती हैं कि खरीफ सीजन उनके लिए उम्मीद और आत्मनिर्भरता का समय बन गया है। गांव की 5-6 महिलाएँ मिलकर प्रतिदिन 400 से 500 कट्टे तैयार करती हैं, जिससे प्रत्येक महिला को सीजन के दौरान लगभग 20 से 22 हजार रुपये की आय हो जाती है। यह राशि उनके परिवार की जरूरतों को पूरा करने में महत्वपूर्ण सहारा साबित होती है।
इन महिलाओं का कहना है कि पहले उन्हें मजदूरी के लिए गांव से बाहर जाना पड़ता था, लेकिन अब धान खरीदी केंद्रों में मिल रहा स्थानीय कार्य उन्हें सुरक्षित, सुविधाजनक और सम्मानजनक रोजगार उपलब्ध करा रहा है। भुगतान समय पर होता है और कार्य के अवसर लगातार बढ़ रहे हैं, जिससे उनमें आर्थिक आत्मनिर्भरता के साथ आत्मविश्वास भी बढ़ा है।
धान खरीदी प्रक्रिया किसानों की आय बढ़ाने के साथ-साथ हमालों, परिवहनकर्ताओं, तौलदारों, डेटा-एंट्री ऑपरेटरों और सहायक कर्मचारियों के लिए भी व्यापक रोजगार सृजित करती है। सुगम व्यवस्था और पारदर्शी प्रक्रिया ने इस सीजन को ग्रामीण अर्थव्यवस्था का मजबूत आधार बना दिया है।
सरकार द्वारा समय पर समर्थन मूल्य भुगतान, सुरक्षित भंडारण व्यवस्था और खरीदी केंद्रों में बेहतर प्रबंधन ने ग्रामीण जनता के भरोसे को और मजबूत किया है। खरीफ उपार्जन 2025-26 न केवल कृषि उत्पादन का महत्वपूर्ण चरण है, बल्कि यह महिलाओं को रोजगार से जोड़कर, गांवों को सशक्त बनाने और स्थानीय अर्थव्यवस्था को गति देने वाला प्रेरक माध्यम भी बनकर उभरा है।
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