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पिछले महीने से अब तक खुर्शीपार, छावनी, वैशाली नगर, पुलगांव, पाटन, और जामुल थाना क्षेत्र में एक के बाद एक हत्या के मामले सामने आए हैं। कुछ मामले आपसी रंजिश से जुड़े थे, तो कुछ मामूली विवाद में खून-खराबे में बदल गए।
स्थानीय लोगों का कहना है कि पुलिस गश्त सिर्फ कागजों में दिखती है, और अपराधियों को गिरफ्तारी के बाद भी जल्द ही जमानत मिल जाती है। नतीजा  वे फिर से अपराध की राह पकड़ लेते हैं।
जानकारों के मुताबिक, प्रदेश में बीते एक महीने में कुल 42 हत्याएं हुईं, जिनमें 12 अकेले दुर्ग जिले में दर्ज की गई हैं। यह आँकड़ा दुर्ग को छत्तीसगढ़ का "क्राइम हॉटस्पॉट" बना रहा है।
पुलिस का पक्ष ..
दुर्ग पुलिस का कहना है कि अधिकांश मामलों में आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है और लगातार अपराध नियंत्रण के लिए रणनीति पर काम हो रहा है। लेकिन ज़मीनी हकीकत कुछ और ही कहानी बयां कर रही है।
जनता की मांग ..
लोग अब दुर्ग पुलिस से सख्त कार्रवाई और रात्रि गश्त बढ़ाने की मांग कर रहे हैं ताकि जिले में फिर से सुरक्षा का भरोसा लौट सके।
 
                                
                             
                                
                             
                                
                             
                                
                             
                                
                             
                                
                             
                                
                             
                                
                            संपादक- पवन देवांगन
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