दुर्ग। राष्ट्रीय आजीविका मिशन के तहत ग्रामीण अंचलों में महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में उल्लेखनीय सफलता मिल रही है। दुर्ग जिले के ग्राम बोरीगरका की सिद्धी स्वसहायता समूह की महिलाएं इस योजना का उत्कृष्ट उदाहरण बन गई हैं। पिछले पांच वर्षों से ये महिलाएं मोमबत्ती निर्माण का कार्य कर आर्थिक रूप से सशक्त बन चुकी हैं।
समूह की अध्यक्ष पुष्पा साहू ने बताया कि उनके समूह में कुल 11 महिलाएं हैं, जो हर वर्ष दिवाली के अवसर पर सुंदर और आकर्षक डिजाइनर कैंडल तैयार करती हैं। महिलाओं द्वारा निर्मित मोमबत्तियों की मांग जगदलपुर, बस्तर, बिलासपुर सहित आसपास के जिलों तक फैली हुई है। उन्होंने कहा कि दिवाली के ऑर्डर को पूरा करने के लिए समूह दो महीने पहले ही कार्य प्रारंभ कर देता है।
समूह की सचिव सरोज साहू ने बताया कि वे 2019 से इस व्यवसाय से जुड़ी हैं। कैंडल निर्माण के लिए रायपुर से सांचे और धागे मंगाए जाते हैं, जबकि वैक्स (मोम) स्थानीय बाजार से खरीदी जाती है। वैक्स को पिघलाकर सांचे में डालने के बाद 15 मिनट में मोमबत्ती तैयार हो जाती है। उन्होंने बताया कि इस वर्ष उनके समूह ने लगभग 3 लाख रुपये की बिक्री की है, जिससे सभी सदस्य महिलाओं की आय और आत्मविश्वास दोनों में वृद्धि हुई है।
महिला सदस्य शशि बघेल ने बताया कि समूह के माध्यम से उन्हें शासन की ओर से सहयोग राशि प्राप्त हुई, जिससे व्यवसाय प्रारंभ करने में आसानी हुई। आज वे न केवल घर की आर्थिक स्थिति मजबूत कर रही हैं बल्कि अन्य महिलाओं को भी इस दिशा में प्रेरित कर रही हैं।
बोरीगरका सरपंच चुमनलाल यादव ने बताया कि वे स्वयं भी इन महिलाओं से मोमबत्तियों की खरीदी करते हैं और उनके व्यवसाय को बढ़ावा देने में सहयोग करते हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय आजीविका मिशन ने वास्तव में ग्रामीण महिलाओं की जिंदगी बदल दी है — जो पहले घर तक सीमित थीं, वे आज अपने हुनर और परिश्रम से आर्थिक आत्मनिर्भरता की मिसाल पेश कर रही हैं।
राष्ट्रीय आजीविका मिशन की इस सफलता ने यह साबित कर दिया है कि यदि सही दिशा और अवसर मिलें तो महिलाएं हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन सकती हैं और समाज के आर्थिक विकास में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।
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