राष्ट्रीय

प्रशासन की बेरुखी से बेजान हुआ बस्तर का दिल चित्रकोट

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- शांत हो गई है थिरक उठने वाली रंगीन रौशनी, खामोश हुई संगीत की स्वर लहरी
-अंधेरे के आगोश में समा जाता है वाटरफॉल
जगदलपुर ।
बस्तर का दिल बेजान हो चला है, हर शाम थिरक उठने वाली रंगीन रौशनी खामोश हो गई है। शासन प्रशासन की बेरुखी ने देशी विदेशी सैलानियों को निराश कर दिया है। यह दर्द है पूरी दुनिया के सैलानियों को बरबस अपनी ओर खींच लेने वाले विश्व प्रसिद्ध चित्रकोट जलप्रपात का। इस जलप्रपात की खूबसूरती निहारने वाले पर्यटकों को शाम के समय निराश होकर लौटना पड़ रहा है।
बस्तर का चित्रकोट वाटरफॉल पूरी दुनिया में अपनी अलग पहचान रखता है। इसकी खूबसूरती और दहाड़ती जलधारा को निहारने, अपने वीडियो कैमरों में कैद करने दुनिया भर के सैलानी बस्तर पहुंचते हैं। इससे स्थानीय लोगों और होटल संचालकों का रोजगार बढ़ जाता है और शासन को भी भरपूर राजस्व मिलता है। खासकर जब विश्व विख्यात बस्तर दशहरा उत्सव के दौरान यहां घरेलू और विदेशी पर्यटकों की काफी भीड़ चित्रकोट वाटर फॉल में उमड़ती है, मगर इस बार बस्तर दशहरा में शामिल होने आए देशी विदेशी पर्यटक जब चित्रकोट वाटरफॉल पहुंचे तो उन्हें घोर निराशा हाथ लगी।

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क्योंकि शाम ढलते ही चित्रकोट वाटरफॉल के अंधेरे के आगोश में डूब जाने के कारण पर्यटक जलप्रपात की खूबसूरती निहार नहीं पाते हैं। छत्तीसगढ़ में जब कांग्रेस की सरकार थी तब वर्ष 2023 में  रंगीन रौशनी के साथ संगीत की व्यवस्था की गई थी। सतरंगी विद्युतीय रौशनी और संगीत की गूंजती स्वर लहरी जलप्रपात की खूबसूरती और भी बढ़ा देती थीं। मगर सरकार बदलते ही रंग बिरंगी विद्युतीय रौशनी और संगीत की व्यवस्था ठप कर दी गई है। इसे न जाने क्यों चालू नहीं किया जा रहा है? आश्चर्य की बात तो यह है कि साय सरकार की एक बैठक भी इसी चित्रकोट के तट पर हो चुकी है। प्रतिदिन हजारों हजारों पर्यटक को अपनी ओर आकर्षित करने वाला जलप्रपात अब निपट अकेला रह जाता है, उसकी अठखेलियां देखने वाला कोई मौजूद नहीं रहता। शाम ढलने से पहले ही सारे पर्यटक यहां से लौट जाते हैं। अगर सरकार पर्यटन को बढ़ावा देने को लेकर सचमुच गंभीर है तो उसे बस्तर के इस दिल की धड़कन को फिर से लौटाने के लिए चित्रकोट वाटरफॉल में रंगीन रौशनी और संगीत की व्यवस्था को तुरंत बहाल करना होगा।

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