-परमेश्वरी मंदिर में श्रीमद्भागवत कथा में श्रीकृष्ण लीला, कंस वध एवं रूक्मिणी विवाह का प्रसंग सुनाया गया
-भगवान को पाने के लिए ज्ञान की नहीं, प्रेम एवं भक्ति की जरूरत होती है : आचार्य नीलेश
भिलाई। प्रगति नगर रिसाली स्थित परमेश्वरी मंदिर में शारदीय (क्वांर) नवरात्रि का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। हर रोज जस गीत, माता सेवा एवं गरबा की धूम मची हुई है। इसी परिप्रेक्ष्य में पंचमी के दिन प्रातः "परमेश्वरी मंदिर" में माताजी का विशेष श्रृंगार किया गया और संध्या समय मां परमेश्वरी की "महाआरती" हुई, जिसमें बड़ी संख्या में महिलाओं ने अपने घरों से दीयों से सजा कर लाए आरती की थालियों से आरती की।
देवांगन जन कल्याण समिति भिलाई के अध्यक्ष घनश्याम कुमार देवांगन, सुमन देवांगन, सचिव विनोद देवांगन, कोषाध्यक्ष गजेन्द्र देवांगन, मंदिर प्रभारी राजू देवांगन, वरिष्ठ पदाधिकारी रेशमलाल देवांगन, टेसू राम देवांगन, दयाराम देवांगन, कल्पना भानु देवांगन, राजेन्द्र लिमजे, जीतेन्द्र बांकुरे, होमलाल देवांगन, हेम कैलाश देवांगन, रामगोपाल देवांगन, नोहर सिंह देवांगन, श्रवण देवांगन, महेश्वरी देवांगन, जयश्री देवांगन आदि महाआरती में विशेष रूप से शामिल हुए। इस अवसर पर पूरे मंदिर परिसर को आकर्षक ढंग से दीयों एवं झालरों से सजाया गया था। उल्लेखनीय है कि क्वांर नवरात्रि में परमेश्वरी मंदिर में 184 मनोकामना ज्योति कलश प्रज्वलित किए गए हैं।
परमेश्वरी मंदिर में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा में अलग अलग सत्रों में आचार्य नीलेश शर्मा ने रोचक शैली में सती प्रसंग, शिव विवाह, नरसिंह अवतार, वामन अवतार, श्रीराम अवतार, श्रीकृष्ण अवतार, श्रीकृष्ण रूक्मिणी विवाह के प्रसंग पर कथा सुनाई।
रूक्मिणी एवं श्रीकृष्ण की झांकी में बच्चे आकर्षण के केन्द्र रहे। संगीत मय भजनों की प्रस्तुति से श्रोतागण आनंद विभोर होकर झूमते और नृत्य करते रहे। आचार्य नीलेश ने कहा कि भगवान को पाने के लिए ज्ञान की नहीं, प्रेम एवं भक्ति की जरूरत होती है। भगवान को जो भी दिल से पुकारता है, भगवान दौड़े चले आते हैं।
महाआरती के बाद जस गीत टीम ने माता सेवा जस गीतों का गायन किया और पारंपरिक परिधान में महिलाओं ने गरबा नृत्य प्रस्तुत किया। श्रद्धालुओं को विशेष भोग प्रसाद का वितरण किया गया।
समिति के अध्यक्ष घनश्याम देवांगन ने बताया कि 29 सितंबर को दोपहर में श्रीमद्भागवत कथा का समापन, हवन एवं भंडारा का आयोजन होगा। आगामी 01 अक्टूबर को दुर्गा नवमी के दिन प्रातः 10.30 बजे से चैत्र नवरात्रि की सामूहिक विशेष पूजा, हवन एवं जोत जवांरा का विसर्जन किया जाएगा। दोपहर 1 बजे कन्या पूजन, श्रद्धालुओं के लिए भोग भंडारा का आयोजन किया जाएगा।
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