-ई-अटेंडेंस के नाम पर शिक्षकों पर बढ़ा बोझ, साइबर सुरक्षा और पारिवारिक असुरक्षा का खतरा – संघ ने उठाए गंभीर सवाल
दुर्ग। शिक्षा विभाग द्वारा शासकीय स्कूलों में शिक्षकों को निजी मोबाइल में VSK एप डाउनलोड कराकर ई-अटेंडेंस की अनिवार्यता थोपे जाने को लेकर शालेय शिक्षक संघ ने कड़ा विरोध दर्ज किया है। संगठन का कहना है कि यह कदम न केवल शिक्षकों की निजता का हनन है, बल्कि साइबर सुरक्षा, डाटा लीक, डीप फेक और एआई के दुरुपयोग जैसे गंभीर खतरों को भी जन्म देता है।
शालेय शिक्षक संघ के प्रांताध्यक्ष वीरेंद्र दुबे ने कहा कि किसी भी एप को मोबाइल में डाउनलोड करने के लिए डेटा, कैमरा और अन्य निजी संसाधनों तक पहुंच की अनुमति देनी होती है। ऐसे में शिक्षकों की व्यक्तिगत जानकारी और पारिवारिक सुरक्षा प्रभावित हो सकती है। उन्होंने मुख्यमंत्री और शिक्षामंत्री से मांग की है कि इस मामले को संज्ञान में लेते हुए ई-अटेंडेंस से जुड़े पायलट प्रोजेक्ट को तत्काल निरस्त किया जाए।
संघ के महासचिव धर्मेश शर्मा ने विभाग की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि क्या शिक्षा विभाग को अपने CAC, संकुल प्राचार्य, BRCC, ABEO और BEO जैसे अधिकारियों पर भरोसा नहीं है, जिसके चलते अब शिक्षकों पर एप के माध्यम से निगरानी की जा रही है? उन्होंने इसे शिक्षकों पर अनावश्यक दबाव और अविश्वास की स्थिति बताते हुए तुरंत बंद करने की मांग की।
प्रदेश संगठन के कार्यकारी अध्यक्ष चंद्रशेखर तिवारी और मीडिया प्रभारी जितेंद्र शर्मा ने कहा कि प्रदेश के वनांचल और दूरस्थ क्षेत्रों में आज तक मोबाइल टावर तक नहीं लगे हैं, वहीं शहरी इलाकों में भी नेटवर्क और सर्वर की समस्या बनी रहती है। ऐसे में मोबाइल नेटवर्क आधारित उपस्थिति व्यवस्था बिल्कुल अप्रासंगिक और अनुचित है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि निचले स्तर के अधिकारी शिक्षकों पर अनावश्यक दबाव डालते हैं और कहीं-कहीं अवैध वसूली तक की शिकायतें सामने आती हैं।
संघ पदाधिकारियों ने कहा कि मोबाइल शिक्षक की निजी संपत्ति है, जिसमें उसके परिवार और बैंकिंग संबंधी संवेदनशील जानकारी सुरक्षित रहती है। ऐसे में जबरन एप डाउनलोड कराना संविधान द्वारा प्रदत्त निजता के अधिकार का उल्लंघन है।
संघ ने सरकार से स्पष्ट मांग की है कि ई-अटेंडेंस जैसे अनावश्यक प्रयोगों को तत्काल बंद किया जाए और शिक्षकों को पढ़ाई-लिखाई पर ध्यान केंद्रित करने का अवसर दिया जाए।
इस अवसर पर संगठन के प्रांतीय पदाधिकारी सुनील सिंह, विष्णु शर्मा, डॉ. सांत्वना ठाकुर, सत्येंद्र सिंह, विवेक शर्मा, गजराज सिंह, राजेश शर्मा, शैलेश सिंह, प्रह्लाद जैन, संतोष मिश्रा, संतोष शुक्ला, शिवेंद्र चंद्रवंशी, दीपक वेंताल, यादवेंद्र दुबे, सर्वजीत पाठक, मंटू खैरवार, पवन दुबे, नंदकुमार अठभैया, भोजराम पटेल, विनय सिंह, आशुतोष सिंह, भानु डहरिया, रवि मिश्रा, बिजेंद्रनाथ यादव, जितेंद्र गजेंद्र, अजय वर्मा, कृष्णराज पांडेय, घनश्याम पटेल, बुद्धेश्वर शर्मा, प्रदीप पांडेय, उपेंद्र सिंह, पवन साहू, मनोज पवार, देवव्रत शर्मा, कैलाश रामटेके, अब्दुल आसिफ खान, सरवर हुसैन, कुलदीप सिंह चौहान, नेमीचंद भास्कर, राजेश यादव, अमित सिन्हा, विक्रम राजपूत, सुशील शर्मा, विजय जाटवर, शशि कठोलिया, विजय बेलचंदन, अशोक देशमुख, तिलक सेन, द्वारिका भारद्वाज सहित अनेक पदाधिकारियों ने संयुक्त रूप से सरकार से इस मुद्दे पर शीघ्र निर्णय लेने की मांग की है।
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