दुर्ग। स्वच्छता ही सेवा अभियान 2025 के अंतर्गत ग्राम पंचायत थनौद, जनपद पंचायत दुर्ग में “एक दिन, एक घंटा, एक साथ” थीम पर स्वच्छता कार्यक्रम एवं स्वैच्छिक श्रमदान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का आयोजन अमृत सरोवर स्थल पर किया गया, जिसमें स्थानीय समुदाय, छात्र-छात्राएं, युवा वर्ग, स्व-सहायता समूह की महिलाएं, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एवं पर्यावरण प्रेमियों ने सक्रिय भागीदारी की।
प्रतिभागियों ने श्रमदान कर सरोवर परिसर की सफाई की और जनभागीदारी के माध्यम से जल संरक्षण का संदेश दिया। कार्यक्रम की शुरुआत प्रभात फेरी से हुई। इसके बाद सभी ने स्वच्छता शपथ ली तथा सफाई मित्रों और स्वयंसेवकों का सम्मान भी किया गया।
अमृत सरोवर मिशन, भारत सरकार की एक महत्वपूर्ण पहल है, जिसका उद्देश्य जल संरक्षण, भूजल स्तर सुधार और ग्रामीण क्षेत्रों में जल संकट का समाधान करना है। “आजादी का अमृत महोत्सव” के अवसर पर शुरू किए गए इस मिशन के अंतर्गत प्रत्येक जिले में 123 अमृत सरोवरों का निर्माण एवं विकास किया गया है।
कार्यक्रम का संचालन महात्मा गांधी नरेगा एवं पंचायत विभाग के मैदानी अधिकारियों द्वारा किया गया। इस अवसर पर कार्यक्रम अधिकारी श्रीमती गौरव मिश्रा, सरपंच श्रीमती मनेका देशमुख, समन्वयक श्रीमती डामिन सकुल, तकनीकी सहायक वर्षा साहू, स्वेता, आभा शर्मा, अंशुल, ग्राम रोजगार सहायक श्रीमती कमलेश्वरी देशमुख एवं सचिव मेट श्रीमती रेखा साहू सहित अन्य पंचायत कर्मचारी उपस्थित रहे।
अमृत सरोवर का उपयोग केवल निस्तारी कार्यों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसे आजीविका के स्रोत के रूप में भी विकसित किया जा रहा है। ग्रामवासियों ने समूह बनाकर मछली पालन की शुरुआत की है, जिससे कई परिवारों को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से लाभ मिल रहा है। स्थानीय बाजारों में मछलियों की बिक्री से ग्रामीणों की आय में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
परिसर को स्वच्छ, सुंदर और हरा-भरा बनाए रखने के लिए वृक्षारोपण भी किया गया तथा यह संकल्प लिया गया कि समय-समय पर अभियान चलाकर अमृत सरोवर की स्वच्छता और हरियाली को बनाए रखा जाएगा।
मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जिला पंचायत दुर्ग श्री बजरंग कुमार दुबे ने बताया कि जिले में कुल 123 अमृत सरोवर बनाए गए हैं, जिनमें जनपद पंचायत धमधा में 50, जनपद पंचायत दुर्ग में 36 और जनपद पंचायत पाटन में 37 सरोवर शामिल हैं। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के अंतर्गत प्रत्येक ब्लॉक-स्तरीय और उससे ऊपर के अधिकारी एक-एक अमृत सरोवर को गोद लेकर इसके रख-रखाव और जल संरक्षण की जिम्मेदारी निभाएंगे। इससे मिशन की दीर्घकालिक सफलता सुनिश्चित होगी।
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