दुर्ग। काशी हिंदी विद्यापीठ, वाराणसी (उत्तर प्रदेश) ने अपनी विशेष दीक्षांत परंपरा के अंतर्गत समाज सेवा, शिक्षा, साहित्य एवं कला के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान देने वाली व्यक्तित्व संपन्न विदुषी श्रीमती सुशीला नेताम को मानद ‘विद्या-वाचस्पति’ उपाधि से अलंकृत किया है।
यह विशिष्ट सम्मान उन्हें उनकी दीर्घ हिंदी सेवा, सारस्वत साधना, कला के क्षेत्र में महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ, शैक्षणिक गतिविधियों में सक्रिय भागीदारी तथा सामाजिक सेवा कार्यों के लिए प्रदान किया गया।
डॉक्टर सुशीला नेताम लंबे समय से गोंडवाना गोंड महासभा की सक्रिय सदस्य के रूप में कार्य कर रही हैं और उन्होंने अपने सतत प्रयासों से समाज में शिक्षा, सांस्कृतिक चेतना और सामाजिक जागरूकता को बढ़ावा दिया है। उनकी यह उपलब्धि न केवल उनके व्यक्तिगत परिश्रम और समर्पण का परिणाम है बल्कि संपूर्ण गोंडवाना समाज के लिए भी गर्व का विषय है।
इस गौरवमयी अवसर पर केंद्रीय गोंड महासभा, धामधा गढ़, दुर्ग में एक भव्य सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। समारोह में केंद्रीय गोंड गोंडवाना महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष आर. सी. नेताम ने उन्हें शॉल एवं श्रीफल भेंट कर सम्मानित किया और कहा कि “सुशीला नेताम का यह योगदान नई पीढ़ी को शिक्षा, साहित्य और समाज सेवा की दिशा में प्रेरित करेगा तथा हमारे समाज की अस्मिता और सांस्कृतिक धरोहर को और अधिक मजबूत बनाएगा।”
कार्यक्रम में समाज के वरिष्ठ एवं गणमान्य सदस्य सीताराम ठाकुर, पी.एल. नेताम, कंदर्प सिदार, एस.आर. नेताम, जे.के. ध्रुव एवं श्रीमती किशोरी नेताम सहित अनेक समाजसेवी एवं नागरिक उपस्थित रहे। सभी ने एक स्वर में यह कहा कि सुशीला नेताम की यह उपलब्धि गोंडवाना समाज के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है और यह सम्मान आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देता रहेगा।
इस अवसर पर वक्ताओं ने यह भी व्यक्त किया कि श्रीमती नेताम ने साहित्य और शिक्षा को समाज सुधार का माध्यम बनाया है। उनकी लेखनी एवं सेवा कार्यों से समाज में नई चेतना का संचार हुआ है और उनकी इस उपलब्धि से गोंडवाना समाज की गरिमा राष्ट्रीय स्तर पर और अधिक ऊँची हुई है।
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