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हर साल दशहरा रथ बनाने काटे जाते हैं 300 से ज्यादा साल के पेड़

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-क्षतिपूर्ति पौधरोपण के लिए फंड मांगने पर बगलें झांक रहे नेता
-पौधों की सुरक्षा और चौकीदारी खर्च देने समिति तैयार नहीं
जगदलपुर
। विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा का विशाल रथ तैयार करने हर साल करीब 300 पेड़ों की कटाई की जाती हैं। इसके एवज में प्रतिवर्ष क्षतिपूर्ति साल पौधरोपण हेतु अलग से राशि आबंटित करने की मांग 10 वर्षों से की जा रही है, किंतु इस दिशा में बस्तर दशहरा समिति के पदाधिकारी कन्नी काट रहे हैं और यह तर्क दे रहे हैं कि वन विभाग तो हर साल क्षतिपूर्ति पौधरोपण करता है, तो दशहरा समिति को अलग से राशि देने की क्या जरूरत है।
उल्लेखनीय है कि बस्तर दशहरा के लिए हर एक साल के अंतराल में चार और आठ पहियों वाला नया विशाल रथ तैयार किया जाता है। इसके लिए बस्तर वनमंडल के विभिन्न रेंजों से 300 से ज्यादा पेड़ों की कटाई की जाती है। इनमें 100 साल से अधिक उम्र वाले साल के 200 से ज्यादा पेड़ भी हैं। बस्तर के पर्यावरण प्रेमियों के दबाव में वर्ष 2019 से वन विभाग ही क्षतिपूर्ति पौधारोपण कर रहा है, किंतु बस्तर दशहरा समिति या टेंपल कमेटी द्वारा इस दिशा में फूटी कौड़ी नहीं दी जा रही है।
यह तर्क दिया जा रहा
भगवान जगन्नाथ के धाम पुरी में प्रतिवर्ष रथयात्रा के मौके पर तीन रथ बनाने 200 पेड़ों की कटाई की जाती है और बदले में चार गुना साल के पौधे रोपे जाते हैं। बस्तर दशहरा रथ के लिए प्रतिवर्ष 300 से ज्यादा पेड़ काटे जाते हैं और सिर्फ एक रथ तैयार किया जाता है किंतु यहां क्षतिपूर्ति पौधरोपण की कोई परंपरा नहीं है। वन विभाग ही पिछले 6 वर्षों से बोड़ामुंडा और नकटी सेमरा में दशहरा वन विकसित कर रहा है।
डेढ़ करोड़ खर्च कर रही समिति
गौरतलब है कि बस्तर दशहरा के नाम पर हर साल करीब डेढ़ करोड़ रूपये खर्च किया जाते हैं। इधर वन विभाग दशहरा समिति को प्रति वर्ष करीब 15 लाख रूपये की लगभग 150 घन मीटर इमारती लकड़ी नि:शुल्क उपलब्ध कराती है। बाद में टेंपल स्टेट कमेटी रथ को दो-तीन लाख रूपये में नीलाम कर देती है। इस संदर्भ में समिति का कहना है कि लकड़ी के बदले में वन विभाग को राशि दी जाती है। इस बात का खंडन करते हुए वन विभाग के अधिकारी कहते हैं कि, समिति वाले सिर्फ लकड़ी ढुलाई खर्च ही वहन करते हैं। आज तक इमारती लकड़ी की कोई कीमत अदा नहीं की गई है।
राशि देने कर रहे आनाकानी
इस संदर्भ में बस्तर दशहरा समिति के पूर्व अध्यक्ष दीपक बैज ने दो साल पहले ही कह दिया था कि वन विभाग पौधरोपण करवाता है। अलग से राशि देने का क्या औचित्य है? इस संदर्भ में वर्तमान सांसद और बस्तर दशहरा समिति के अध्यक्ष भी कहते हैं कि क्षतिपूर्ति पौधारोपण होना चाहिए और इसके लिए राशि की व्यवस्था भी की जानी चाहिए। वन विभाग प्रति वर्ष लाखों पेड़ लगाता है, इसलिए अलग से राशि देने का कोई औचित्य नहीं है।

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