अंडा (राजेन्द्र साहू )। अंचल में इन दिनों बारिश को कमी और सिंचाई के अभाव ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। खेतों में बोई गई धान की फसल पानी के अभाव में मुरझाने लगी है और मिट्टी में जगह-जगाह दरारें पड़ गई है। स्थिति यह है कि अब धान की पौधे सुखने लगे है। क्षेत्र के किसानों का कहना है कि लगातार कई दिनों में पर्याप्त वर्षा न होने के कारण खेत सूखने लगे हैं। धान को इस समय पानी की सबसे अधिक जरूरत होती है
खेतों में पानी की कमी का असर अब फसल की बढ़वार पर साफ दिखाई देने लगा है। मिट्टी में आई दरारें इस बात का सबूत हैं कि जमीन की नमी खत्म हो चुकी है। यदि जल्द बारिश नहीं हुई तो फसल को भारी नुकसान हो सकता है। किसान चिंतित हैं कि कई महीनों की मेहनत और लागत पानी की कमी के कारण बेकार न चली जाए। गांव-गांव में किसान आसमान की ओर नजरें गड़ाए हुए हैं, उम्मीद कर रहे हैं कि जल्द ही मेघा बरसे और उनके खेतों में फिर से हरियाली लौट आए।
खपरी जलाशय से छोड़ा गया नहरों में पानी
अभी वर्तमान में किसानों के लिए खपरी जलाशय से पानी जरूर छोड़ा गया है लेकिन कई किसानों को नहर की साफ सफाई के कारण पानी खेतों में नहीं पहुँच रहा है। कई किसान रात भर जग कर अपने खेतों में पानी पला रहा है।
खाद एवं दवाई छिड़काव के लिए खेतों में पानी जरुरी
क्षेत्र के बहुत सें किसान खुर्रा बोनी के साथ रोपा पद्धति से धान फसल लगाते हैं। इस पद्धति में अधिक पानी की जरूरत होती है। वहीं अभी क्षेत्र के किसान फसलों में दवाई एवं खाद छिड़काव कार्य में जुटे हैं। लेकिन, कुछ दिनों से बारिश नहीं होनें के कारण खेतों में पानी की कमी से खाद एवं दवाई के छिड़काव करने परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि खाद एवं दवाई खेत की मिट्टी में घुल नहीं पा रहे हैं जो फसल के लिए नुकसानदायक साबित होगा।
किसानों को अकाल की चिंता
शुरू में बारिश ठीक थी, झमाझम बारिश भी हुई लेकिन 15 दिनों से कोई बारिश नहीं होने से किसान मायूस हो गए हैं। बारिश नहीं होने से गर्मी का मौसम जैसा महसूस हो रहा है। वर्षा नहीं होने से अभी भी जल स्तर नीचे है। किसानों का कहना है कि अगस्त में बारिश नहीं हो रही है तो आने वाले समय में यह परेशानी की सबब बन सकती है। गांव में खेतों की स्थिति सबसे ज्यादा खराब है.. जिससे अकाल की आशंका जताई जा रही है।
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