छत्तीसगढ़

बस्तर में बदलाव की बयार : एक और गांव में बैन हुई पादरी-पास्टर की एंट्री

65706082025125255whatsappimage2025-08-06at6.04.27pm.jpeg

-कन्वर्जन के खिलाफ गांव गांव में चल पड़ी है लहर
जगदलपुर।
दशकों से नक्सलवाद और कन्वर्जन का दंश झेलते आ रहे बस्तर में जिस तरह नक्सलवाद के खिलाफ बड़ी जन जागृति आई है, उसी तरह अब कन्वर्जन के खिलाफ भी बस्तर के आदिवासी लामबंद होने लगे हैं। संभाग के गांवों में कन्वर्जन के खिलाफ आवाज मुखर होने लगी है, आदिवासी अपनी परंपराओं, संस्कृति और धर्म की रक्षा के लिए खुलकर सामने आने लगे हैं। गांवों में मिशनरियों से जुड़े और धर्मांरित लोगों का विरोध किया जाने लगा है। एक तरह से यहां बदलाव की बयार बहने लगी है।
बस्तर संभाग में धर्मांतरण को लेकर लगातार बढ़ते विरोध और विवादों के बीच अब ग्राम स्तर पर विरोध मुखर होता जा रहा है। बस्तर संभाग के कांकेर जिला अंतर्गत भानुप्रतापपुर विकासखंड के ग्राम कुड़ाल के बाद अब बांसला पंचायत के आश्रित ग्राम जुनवानी में भी ईसाई धर्म प्रचारकों, पास्टरों और पादरियों के प्रवेश पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया गया है। यहां के ग्रामीणों ने गांव की सभी सीमाओं पर चेतावनी बोर्ड लगा दिए हैं, जिसमें साफ तौर पर उल्लेख किया गया है कि पास्टर, पादरी और बाहरी धर्मांतरित व्यक्तियों का प्रवेश व उनके किसी भी प्रकार के धार्मिक आयोजन पर गांव में पूर्ण रोक है। यह निर्णय ग्रामसभा के प्रस्ताव के आधार पर लिया गया है।ग्रामीणों द्वारा लगाए गए बोर्ड में भारत के संविधान की पांचवीं अनुसूची और पेसा कानून (1996) का हवाला देते हुए कहा गया है कि अनुसूचित क्षेत्रों में ग्रामसभा को अपनी परंपरा और संस्कृति की रक्षा का संवैधानिक अधिकार प्राप्त है। ग्राम जुनवानी के गायता राजेंद्र कोमरा ने बताया कि गांव में लगातार आदिवासी धर्म परिवर्तन कर रहे हैं, और पादरी, पास्टर आकर हमारे भोले भले ग्रामीणों के धर्म परिवर्तन करवाने कि कोशिश करते हैं, जिससे हमारी संस्कृति पर संकट आ गया है। इसी कारण हम लोगों ने गांव की सीमाओं पर बोर्ड लगाकर पास्टर-पादरी के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया है। कांकेर जिला पंचायत सदस्य देवेंद्र टेकाम ने इस कदम को शीतला माता और ठाकुर देव की परंपरा की रक्षा की दिशा में उल्लेखनीय बताते हुए इसे एक सांस्कृतिक सुरक्षा अभियान करार दिया। उन्होंने यह भी कहा कि ईसाई धर्म के कुछ लोग इस निर्णय का विरोध कर रहे हैं, लेकिन गांव की संस्कृति की रक्षा के लिए यह निर्णय आवश्यक था। जुनवानी गांव के ग्रामीण अपने आराध्य बूढ़ादेव, शीतला माता और दंतेश्वरी मैया के जयकारे लगाते हुए मिशनरी के विरोध में उतर आए हैं।

एक टिप्पणी छोड़ें

Data has beed successfully submit

Related News

Advertisement

Popular Post

This Week
This Month
All Time

स्वामी

संपादक- पवन देवांगन 

पता - बी- 8 प्रेस कॉम्लेक्स इन्दिरा मार्केट
दुर्ग ( छत्तीसगढ़)

ई - मेल :  dakshinapath@gmail.com

मो.- 9425242182, 7746042182

हमारे बारे में

हिंदी प्रिंट मीडिया के साथ शुरू हुआ दक्षिणापथ समाचार पत्र का सफर आप सुधि पाठकों की मांग पर वेब पोर्टल तक पहुंच गया है। प्रेम व भरोसे का यह सफर इसी तरह नया मुकाम गढ़ता रहे, इसी उम्मीद में दक्षिणापथ सदा आपके संग है।

सम्पूर्ण न्यायिक प्रकरणों के लिये न्यायालयीन क्षेत्र दुर्ग होगा।

logo.webp

स्वामी / संपादक- पवन देवांगन

- बी- 8 प्रेस कॉम्लेक्स इन्दिरा मार्केट
दुर्ग ( छत्तीसगढ़)

ई - मेल : dakshinapath@gmail.com

मो.- 9425242182, 7746042182

NEWS LETTER
Social Media

Copyright 2024-25 Dakshinapath - All Rights Reserved

Powered By Global Infotech.