दुर्ग। नवकार भवन, ऋषभ नगर दुर्ग में सहजानंदी वर्षावास गति पर है। जनमेदनी की अभूतपूर्व उपस्थिति और हर्षोल्लास के साथ आयोजित कार्यक्रमों की श्रृंखला में रविवार को प.पू. मुनि श्री विराटसागर जी मसा ने "जीवन निर्माण में संस्कारों की भूमिका" विषय पर प्रेरक प्रवचन दिया।
गुरुदेव ने अपने व्याख्यान में गर्भ संस्कार, गृह संस्कार, सहन संस्कार एवं भय संस्कार जैसे विविध पहलुओं को उदाहरण सहित समझाया। उन्होंने कहा कि "हमारा जीवन तीन पृष्ठों की एक पुस्तक के समान है — बचपन भूमिका है, युवावस्था मूल भाग और वृद्धावस्था उसका उपसंहार। यदि हम इन तीनों को सुंदरता से जी लें, तो हमारा जीवन सफल माना जाएगा।"
गुरुदेव ने श्रद्धालुओं को अगले सप्ताह तक "परिवार का संविधान" बनाकर लाने का गृहकार्य भी दिया, जिससे जीवन में अनुशासन और सामंजस्य स्थापित हो।
प्रवचन सत्र के पश्चात दिनभर विभिन्न आयु वर्ग के लिए प्रेरणादायक सत्र आयोजित किए गए। प्रातः 11 बजे 18 वर्ष से ऊपर के युवक-युवतियों के लिए विशेष सत्र हुआ, जिसमें 200 से अधिक युवाओं ने भाग लिया। इस दौरान मुनिश्री ने युवाओं से संवाद करते हुए कहा, "अपने अंदर के अवरोध तोड़ो, आत्मविश्लेषण करो और आत्मबल को पहचानो।"
दोपहर 3 बजे महिलाओं की नियमित स्वाध्याय कक्षा में शास्त्रों का गुरुमुख से अध्ययन कराया गया। वहीं, सायं 4 बजे 12 से 18 वर्ष तक के किशोरों को जैन शासन के विभिन्न सोपानों से अवगत कराया गया।
कार्यक्रम के दौरान उपस्थित जनसमूह के लिए गौतम प्रसादी और बच्चों के लिए स्वल्पाहार की व्यवस्था की गई थी।
उल्लेखनीय है कि प्रतिदिन प्रातः 9.00 से 10.00 बजे तक नवकार भवन में प्रवचन आयोजित किया जाता है। सहजानंदी वर्षावास समिति ने जैन समाज के सभी वर्गों – पुरुषों, महिलाओं, युवाओं व बच्चों से आग्रह किया है कि वे अधिक से अधिक संख्या में चातुर्मास के कार्यक्रमों में सम्मिलित होकर धर्मलाभ प्राप्त करें।
इसके साथ ही, आत्मशोधन तप के अंतर्गत 60 तपस्वी तपस्यारत हैं तथा अनेक बड़ी तपस्याएं भी प्रारंभ हो चुकी हैं, जो वर्षावास की आध्यात्मिक गरिमा को और भी ऊँचाई दे रही हैं।
संपादक- पवन देवांगन
पता - बी- 8 प्रेस कॉम्लेक्स इन्दिरा मार्केट
दुर्ग ( छत्तीसगढ़)
ई - मेल : dakshinapath@gmail.com
मो.- 9425242182, 7746042182
हिंदी प्रिंट मीडिया के साथ शुरू हुआ दक्षिणापथ समाचार पत्र का सफर आप सुधि पाठकों की मांग पर वेब पोर्टल तक पहुंच गया है। प्रेम व भरोसे का यह सफर इसी तरह नया मुकाम गढ़ता रहे, इसी उम्मीद में दक्षिणापथ सदा आपके संग है।
सम्पूर्ण न्यायिक प्रकरणों के लिये न्यायालयीन क्षेत्र दुर्ग होगा।
Copyright 2024-25 Dakshinapath - All Rights Reserved
Powered By Global Infotech.