नगपुरा। श्री उवसग्गहरं पार्श्व तीर्थ नगपुरा में चल रही चातुर्मासिक प्रवचन श्रृंखला के अंतर्गत गुरुपूर्णिमा के पावन अवसर पर साध्वी लब्धियशा जी म.सा. ने कहा कि “शुभ कर्मों के प्रकटीकरण के लिए गुरु का आलंबन जरूरी है।“ उन्होंने कहा कि स्वस्थ आराधना के लिए चित्त की प्रसन्नता अनिवार्य है और चित्त की प्रसन्नता तभी संभव है जब मन में संकल्प-विकल्प के विचार कम हों।
गुरु के प्रति समर्पण से होता है शुभ का प्राकट्य..
साध्वी जी ने कहा कि “गुरु पूर्णिमा गुरुतत्त्व की उपासना का विशेष दिन है। वास्तविक जीवन का शुभारंभ गुरु के सान्निध्य में ही होता है। गुरु के प्रति समर्पण से ही शुभ भाव और शुभ ज्ञान का प्राकट्य होता है। जहाँ समर्पण नहीं है वहाँ शिष्यत्व नहीं है। शिष्यत्व में कर्ता भाव नहीं, केवल समर्पण का भाव होना चाहिए।“
लक्ष्य के बिना चलना – भटकना है..
उन्होंने कहा कि “मंजिल को पाने के लिए लक्ष्य आवश्यक है। लक्ष्य के बिना चलना, चलना नहीं बल्कि भटकना कहलाता है। लक्ष्य गुरुभगवंत ही देते हैं, जो हमारे वर्तन में परिवर्तन लाकर जीवन को संवारते हैं। लक्ष्य के बिना गति में अधोगति की संभावना ज्यादा रहती है।”
महापुरुषों के गुणों का करें स्मरण..
साध्वी लब्धियशा जी ने शास्त्रों के उद्धरण देते हुए कहा कि महापुरुषों के यशोगान से हमारे जीवन में भी सद्गुणों का बीजारोपण होता है। उन्होंने गुरुपूर्णिमा के अवसर पर श्री गौतम स्वामी, श्री सुधर्मा स्वामी, जगद्गुरु श्री हीरसूरीजी, कविकुलकिरीट श्री लब्धि सूरीजी, तीर्थप्रभावक आचार्य श्री विक्रम सूरीजी और गच्छाधिपति आचार्य श्री राजयश सूरीजी के जीवनवृत्त पर प्रकाश डालते हुए उनके संस्मरण सुनाए।
गुरुपूर्णिमा पर भक्तों का उमड़ा सैलाब..
गुरुपूर्णिमा के पावन अवसर पर देशभर से आए सैकड़ों श्रद्धालुओं ने तीर्थ पहुंचकर देव दर्शन किए एवं प्रवचन का लाभ लिया।
तपस्वियों का हुआ बहुमान..
कार्यक्रम में तीर्थ के ट्रस्टी मूलचंद जैन, पन्नालाल गोलछा, सुरेश बागमार तथा चातुर्मास संयोजक मयूरभाई सेठ ने तपस्वियों का अभिनंदन किया। इस अवसर पर छत्र समर्पण के लिए श्री मांगीलाल-संदीप-अभिषेक निमाणी (दुर्ग) एवं चातुर्मास सहयोगी तृष्णाबेन-राकेश बंबोली (हैदराबाद) का सभा में विशेष बहुमान किया गया।
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