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बुनियादी शिक्षा की ओर एक मजबूत कदम: स्टारलाइट फाउंडेशन द्वारा ‘स्तंभशाला’ का बोरिगारका में शुभारंभ

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दुर्ग। देशभर में प्रारंभिक बाल शिक्षा को मजबूती देने वाले निपुण भारत मिशन की चौथी वर्षगांठ के अवसर पर स्टारलाइट फाउंडेशन, जो वर्ष 2020 से बाल शिक्षा के क्षेत्र में कार्यरत एक प्रतिष्ठित गैर-सरकारी संस्था है, ने विगत दिन जिले के शासकीय प्राथमिक विद्यालय, बोरिगारका में अपनी पहली ‘स्तंभशाला’ का शुभारंभ किया। यह पहल ग्रामीण भारत में गुणवत्तापूर्ण और मूलभूत शिक्षा को बच्चों तक सुलभ कराने की दिशा में एक मील का पत्थर मानी जा रही है।
     ‘स्तंभशाला’ एक विशेष रूप से डिज़ाइन की गई कक्षा है, जो कक्षा 1 से 3 तक के बच्चों की फाउंडेशनल लिट्रसी एंड न्यूमेरसी (एफएलएन) की क्षमताओं को विकसित करने के उद्देश्य से तैयार की गई है। इस कक्षा को आधुनिक तकनीकी और शिक्षण उपकरणों से सुसज्जित किया गया है: स्मार्ट एलईडी टीवी के माध्यम से बच्चों को ऑडियो-विजुअल माध्यम से पढ़ाई कराई जाएगी। रिच प्रिंट स्टडी मैटेरियल, चार्ट्स, चित्रात्मक पुस्तकों और कार्यपुस्तिकाओं से बच्चों की पढ़ाई को रोचक और प्रभावशाली बनाया गया है। फन लर्निंग एक्टिविटी किट और शैक्षिक खिलौनों के माध्यम से बच्चों को खेल-खेल में सीखने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। इस भव्य कार्यक्रम में मुख्य अतिथि  नंदलाल चौधरी (संयुक्त संचालक, महिला एवं बाल विकास विभाग, छत्तीसगढ़) एवं विशिष्ट अतिथि श्रीमती श्रद्धा साहू (सभापति, जिला पंचायत, दुर्ग), जनपद उपाध्यक्ष राकेश हिरवानी, ग्राम सरपंच  चुम्मन यादव संकुल प्रिंसिपल श्री जांगड़े ने अपनी उपस्थिति से कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। उनके साथ शिक्षा विभाग के अधिकारी, स्थानीय जनप्रतिनिधि, ग्रामवासी, शिक्षक और स्कूली विद्यार्थी भी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
     मुख्य अतिथि श्री चौधरी ने कहा कि “स्तंभशाला जैसी पहल देश की बुनियादी शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करने में निर्णायक भूमिका निभा सकती हैं। यह समय की आवश्यकता है कि हम बच्चों को उनकी प्रारंभिक शिक्षा में सशक्त बनाएं। निपुण भारत मिशन का उद्देश्य भी यही है कि 2026 तक हर बच्चा कक्षा 3 के अंत तक पढ़ने, लिखने और बुनियादी गणितीय कौशल में निपुण हो।” संस्था के अध्यक्ष प्रतीक ठाकरे ने बताया कि बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा को ध्यान में रखते हुए विशेषज्ञों की सहायता से एक विशेष पाठ्यक्रम भी तैयार किया गया है। यह पाठ्यक्रम बच्चों की सीखने की क्षमता, रुचि और सीखने की गति के अनुरूप अनुकूलित है। उन्होंने आगे कहा कि “हमारा उद्देश्य शिक्षा को बोझ नहीं, बल्कि एक आनंदमयी अनुभव बनाना है। स्तंभशाला के माध्यम से हम बच्चों के अंदर सीखने की जिज्ञासा जगाने का प्रयास कर रहे हैं। यह हमारी पहली कक्षा है, और आने वाले महीनों में हम अन्य स्कूलों में भी इस मॉडल को लागू करेंगे।"
    टीम सदस्य अनुराग शर्मा ने बताया कि संस्था पिछले 2.5 वर्षों से ग्रामीण क्षेत्रों में बाल शिक्षा पर विशेष ध्यान दे रही है, और अब वह दुर्ग जिले के साथ-साथ पूरे छत्तीसगढ़ में अपने प्रयासों का विस्तार करने की योजना बना रही है। कार्यक्रम के अंतर्गत विद्यालय के कक्षा 1 से 5 तक के मेधावी विद्यार्थियों को पुरस्कृत किया गया। इस अवसर पर बच्चों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए, जिसमें देशभक्ति गीत, कविता पाठ और समूह नृत्य प्रमुख रहे। यह आयोजन बच्चों के आत्मविश्वास को बढ़ाने और उनके उज्जवल भविष्य की ओर प्रेरित करने का एक सराहनीय प्रयास रहा।
-निपुण भारत मिशन: देश की नींव को मज़बूत करने की पहल..
भारत सरकार द्वारा 5 जुलाई 2021 को शुरू किया गया निपुण भारत (नेशनल इनिशिएटिव फॉर प्रोफ़िशिएन्सी इन रीडिंग विथ अंडरस्टैंडिंग एंड न्यूमेरसी) एक प्रमुख शैक्षिक अभियान है, जिसका लक्ष्य है: 
-वर्ष 2026 तक सभी कक्षा 3 के बच्चों को मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान में निपुण बनाना।
-प्रत्येक राज्य में ‘निपुण लक्ष्य’ निर्धारित कर, राज्यों को सहयोग और मार्गदर्शन प्रदान करना।
-शिक्षकों को प्रशिक्षित कर फाउंडेशन लर्निंग को सुदृढ़ बनाना।

     छत्तीसगढ़ सरकार भी इस दिशा में विशेष प्रयास कर रही है। प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में 2024 की रिपोर्ट के अनुसार, अभी भी लगभग 45% बच्चे कक्षा 3 में अपनी उम्रानुकूल पढ़ाई में पिछड़ रहे हैं, जिसे सुधारने की दिशा में स्तंभशाला जैसे कदम अत्यंत प्रभावशाली सिद्ध हो सकते हैं। इस आयोजन में ग्रामवासियों, स्कूल प्रबंधन समिति, अभिभावकों और स्थानीय शिक्षकों की सक्रिय भागीदारी देखने को मिली। ग्रामीणों ने इसे बच्चों के भविष्य के लिए एक सकारात्मक बदलाव बताया। मुख्य अतिथियों ने स्टारलाइट फाउंडेशन को इस अद्वितीय पहल के लिए शुभकामनाएं दीं और कहा कि यदि ऐसे प्रयास सामूहिक रूप से होते रहें, तो निकट भविष्य में भारत की शिक्षा प्रणाली में जमीनी बदलाव निश्चित होंगे। इस उपलक्ष्य पर शाला के हेड मास्टर आर. के. नोरके ने बताया कि स्तंभशाला केवल एक कक्षा नहीं, बल्कि शिक्षा के क्षेत्र में एक सोच, एक आंदोलन है, जो देश के नौनिहालों को सशक्त बनाने की दिशा में उठाया गया एक सुनियोजित और समर्पित कदम है।

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