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नगपुरा तीर्थ में चातुर्मास प्रवेशोत्सव सम्पन्न, साध्वी लब्धियशा श्रीजी बोलीं - “आत्मा के कल्याण हेतु महापर्व है चातुर्मास”

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नगपुरा। श्री उवसग्गहरं पार्श्व तीर्थ नगपुरा में रविवार को प्रातः 9 बजे देशभर से आए श्रद्धालुओं की विशाल उपस्थिति में चातुर्मास प्रवेशोत्सव का भव्य आयोजन हुआ। इस अवसर पर प० पू० साध्वी श्री लक्ष्ययशा श्रीजी, साध्वी श्री लब्धियशा श्रीजी, साध्वी श्री आज्ञायशा श्रीजी म.सा. सहित लगभग 200 आराधकों का विधिपूर्वक चातुर्मास प्रवेश सम्पन्न हुआ।
सैकड़ों श्रद्धालुओं के साथ निकला प्रवेशोत्सव का वरघोड़ा
प्रातः 5 बजे भक्तामर स्तव, सामूहिक चैत्यवंदन एवं तीर्थपति की 108 वासक्षेप पूजा व श्री वर्धमान शक्रस्तव स्तोत्र के साथ महाभिषेक के बाद वरघोड़े का शुभारंभ हुआ। श्री गौतम-लब्धि भक्ति मंडप से परमात्मा का रथ, बग्गी, अश्वदल, घोषदल, मंगल द्रव्यों व वाद्य यंत्रों के साथ निकले जुलूस में सैकड़ों श्रद्धालुओं ने सहभागिता की। तीर्थ के मुख्य द्वार पर ट्रस्ट अध्यक्ष गजराज पगारिया, मैनेजिंग ट्रस्टी पुखराज दुगड़ व अन्य ट्रस्टियों ने गुरुभगवंतों एवं आराधकों का गुहुली से स्वागत किया।

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धर्मसभा में साध्वी श्री लब्धियशा श्रीजी का आत्मकल्याण का संदेश..
श्री हीरसूरीजी प्रवचन मंडप में आयोजित विशाल धर्मसभा में साध्वी श्री लब्धियशा श्रीजी ने कहा, “चातुर्मास चतुर लोगों का मास है। जो पदार्थों में नहीं, परमात्मा में अनुरक्त होते हैं वही चतुर कहलाते हैं। यह चार महीने स्व से, ममता से समता में, राग से विराग में आने का अवसर है। बाहर की वस्तुओं से छूटकर भीतर आत्मा में जुड़ने का यह महापर्व आत्मशुद्धि के लिए अनुपम अवसर है।”
उन्होंने कहा कि इस चातुर्मास को “श्री उवसग्गहरं उत्सव चातुर्मास” नाम दिया गया है, क्योंकि महाप्रभावशाली श्री उवसग्गहरं पार्श्व प्रभु की छत्रछाया में रहकर साधना करना ही सबसे बड़ा उत्सव है। देशभर के 44 से अधिक पुण्यशाली परिवारों को इस आयोजन में लाभार्थी बनने का सौभाग्य मिला है।

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देशभर से उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब..
चातुर्मास प्रवेश के इस पावन अवसर पर हैदराबाद, नागपुर, मुंबई, पुणे, वर्धा, इंदौर, कर्नूल, अहमदाबाद, भरूच, वडोदरा, सूरत, बैंगलोर, सुरेंद्रनगर, लखनऊ, कोलकाता सहित विभिन्न राज्यों से आए सैकड़ों गुरुभक्तों ने भाग लिया। वहीं रायपुर, दुर्ग, भिलाई, राजनांदगांव, धमतरी, जगदलपुर, बालोद, खैरागढ़ समेत छत्तीसगढ़ के कई स्थानों से भी श्रद्धालु बड़ी संख्या में पहुंचे।

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महासाधना की होगी शुरुआत..
बताया गया कि श्री उवसग्गहरं पार्श्व प्रभु एवं तपागच्छाधिपति पूज्य जगद्गुरु श्री हीरसूरीश्वरजी की दिव्य कृपा व प्रतिष्ठाचार्य पूज्य गच्छाधिपति गुरुदेव राजयशसूरीश्वरजी तथा प्रवर्तिनी गुरुवर्या वाचंयमाश्रीजी बेन म.सा के आशीर्वाद से यह चातुर्मास आत्मकल्याण और साधना की ओर अग्रसर होगा।

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