भिलाई। महात्मा गांधी कला मंदिर, सिविक सेंटर, सेक्टर-6 में शनिवार को नर्सों एवं पैरामेडिकल स्टाफ के लिए नवीन आपराधिक कानूनों पर आधारित संवेदीकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक दुर्ग विजय अग्रवाल (भापुसे), एफएसएल भिलाई के वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी पंकज ताम्रकार, जिला अभियोजन अधिकारी दुर्ग अनुरेखा सिंह तथा सेवानिवृत्त एएसपी अशोक जोशी बतौर विशेषज्ञ शामिल हुए।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक विजय अग्रवाल ने अपने संबोधन में कहा कि नवीन भारतीय न्याय संहिता आम जनता को शीघ्र न्याय दिलाने के उद्देश्य से बनाई गई है। इसमें पुलिस व न्यायालय के लिए समय-सीमा निर्धारित की गई है।
महिलाओं से जुड़े अपराधों में कठोर दंड के प्रावधान किए गए हैं। उन्होंने धारा 4 के तहत सामुदायिक सेवा को न्याय व्यवस्था में दंड से न्याय की ओर एक महत्वपूर्ण कदम बताया। श्री अग्रवाल ने कहा कि नए प्रावधानों के अनुसार अब तलाशी के दौरान फोटोग्राफी/वीडियोग्राफी अनिवार्य होगी जो न्यायालय में साक्ष्य के रूप में मान्य होगी। इसके अलावा 7 वर्ष या उससे अधिक की सजा वाले मामलों में फॉरेंसिक टीम का घटना स्थल पर पहुँचना अनिवार्य किया गया है।
एफएसएल के वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी पंकज ताम्रकार ने बताया कि नवीन भारतीय न्याय संहिता को लागू हुए एक वर्ष हो चुका है। उन्होंने ई-कोर्ट, ई-फॉरेंसिक, ई-जस्टिस सिस्टम को लेकर वैज्ञानिक साक्ष्यों के संकलन, चैन ऑफ कस्टडी, सैंपल पैकिंग एवं समय के महत्व की विस्तार से जानकारी दी। स्नेक बाइट केस में ड्राई साल्ट में प्रिजर्व करना, ई-एविडेंस फोटोग्राफी व ऑन द स्पॉट अपलोडिंग की प्रक्रिया भी बताई।
जिला अभियोजन अधिकारी अनुरेखा सिंह ने कहा कि धारा 184 के तहत बलात्कार पीड़िता का चिकित्सकीय परीक्षण कैसे करना है, इसकी विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि 12 वर्ष से कम आयु की बालिका के मामले में माता-पिता या संरक्षक की अनुमति अनिवार्य है तथा 24 घंटे में परीक्षण और 7 दिन में रिपोर्ट पुलिस को देना डॉक्टर की जिम्मेदारी है। कार्यक्रम में एएसपी (शहर) दुर्ग सुखनंदन राठौर, डीएसपी (लाइन) चन्द्र प्रकाश तिवारी, रक्षित निरीक्षक नीलकंठ वर्मा समेत अनेक पुलिस अधिकारी-कर्मचारी, नर्स व पैरामेडिकल स्टाफ मौजूद थे।
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सम्पूर्ण न्यायिक प्रकरणों के लिये न्यायालयीन क्षेत्र दुर्ग होगा।
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