छत्तीसगढ़

डॉ. सुरेन्द्र दुबे का पार्थिव शरीर पंचतत्व में विलीन

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-अंतिम संस्कार शामिल हुए देश प्रख्यात साहित्यकार 
-अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर छत्तीसगढ़ को दिलाई थी अनुठी पहचान 
रायपुर
।  छत्तीसगढ़ी हास्य कविताओं से लोगों को गुदगुदाने वाला हास्य कवि डॉ. सुरेन्द्र दुबे का पार्थिव शरीर आज पंचतत्व में विलिन हो गया। अंतिम संस्कार में बड़ी संख्या में छत्तीसगढ़-देश तथा स्थानीय साहित्यकार, पत्रकार, विधायक, मंत्री एवं अधिकारी बड़ी संख्या में उपस्थित थे। 
छत्तीसगढ़ के हास्य क विताओं के जनक एवं कवि सम्मेलनों की जान कहलाने वाले डा. सुरेन्द्र दुबे का कल स्थानीय मेकाहारा अस्पताल निधन हो गया था। प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय, विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह सहित अन्य लोगों ने सुबह घर जाकर श्रद्धासुमन अर्पित किया। मुख्यमंत्री ने अपने शोक संदेश में कहा कि छत्तीसगढ़ की हास्य कविताओं को उजास दिया था। वे आने वाले पीढिय़ों के लिए मार्गदर्शक बने रहेंगे। आज प्रात: से ही उनके निवास में श्रद्धासुमन देने वालों का ताता लगा रहा। बिलासपुर के साहित्यकार विनय पाठक के अलावा छत्तीसगढ़ के भिलाई, दुर्ग और राजनांदगांव से आए साहित्यकारों पत्रकारों ने उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किया। पद्मश्री से सम्मानि सुरेन्द्र दुबे बेमेतरा के निवासी थे, वे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर काव्यपाठ किया करते थे। उनके निधन से छत्तीसगढ़ के साहित्यिक जगत में शोक छा गया है। महापौर मीनल चौबे ने भी साहित्यकार सुरेन्द्र दुबे के निधन पर शोक व्यक्त किया है। सांसद बृजमोहन अग्रवाल, विधायक सुनील सोनी सहित अनेक पार्षदों ने श्रद्धासुमन अर्पित किया है। 
अंतिम संस्कार में शामिल हुए प्रख्यात कवि एवं साहित्यकार 
परिवारजनों से मिली जानकारी के अनुसार आज मारवाड़ी श्मशान घाट में डॉ. सुरेन्द्र दुबे के अंतिम संस्कार में देश के प्रख्यात कवि कुमार विश्वास, केबिनट मंत्री ओपी चौधरी, रामविचार नेताम, विजय शर्मा सहित कलेक्टर गौरव सिंह, एसपी लाल उमेंद सिंह सहित अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे। परिवारजनों से मिली जानकारी के अनुसार उनके बड़े पुत्र अभिषेक ने मुखाग्रि दी इस अवसर पर बड़ी संख्या में आम नागरिक साहित्यकार तथा पत्रकार उपस्थित थे। डॉ. सुरेन्द्र दुबे पेशे से चिकित्सक से वरिष्ठ साहित्यकार को उनकी प्रतिभा एवं योग्यता को देखते हुए छत्तीसगढ़ साहित्य एकेडमी का अध्यक्ष बनाया गया था। वे देश-विदेश सहित अनेक स्थानों पर काव्य पाठ किया करते थे। उनके जाने से छत्तीसगढ़ के साहित्य जगत का चमकता सितारा समाप्त हो गया है। अनेक सामाजिक एवं राजनीतिक संगठनों के पदाधिकारियों ने श्रद्धासुमन अर्पित किया है। कांग्रेस के पदाधिकारियों ने कहा कि डॉ. सुरेन्द्र दुबे का निधन अपूर्णीय क्षति है। इस दुख की घड़ी में परिजनों  को अदम साहस दें। उनके कोरोनाकाल में रचित कविता कॉफी प्रसिद्ध हुई थी, सरस्वती पुत्र को अंतिम नमन ।

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