- देश का संविधान सर्वोपरि है जिसे आज से 50 वर्ष पूर्व तत्कालीन प्रधानमंत्री द्वारा रौंदा गया। - लोकतंत्र के प्रहरी और उनके परिजनों का किया गया सम्मान। - संविधान हत्या दिवस के अवसर पर हुए विविध आयोजन दुर्ग। वर्ष 1975 में आज ही के दिन तत्कालीन सरकार द्वारा संपूर्ण देश में आपातकाल लगाया गया था। इस अपातकाल के 50 वर्ष पूर्ण होने पर आज संविधान हत्या दिवस के तौर पर मनाया गया। इस दौरान जिले के लोकतंत्र प्रहरी और उनके परिजनों को सम्मानित किया गया, साथ ही आपातकाल पर परिचर्चा की गई। इस अवसर पर तिरंगा यात्रा निकाली गई और छायाचित्र प्रदर्शनी के माध्यम 1975 काल के आपातकाल दौर को रेखांकित किया गया। कार्यालय लोक निर्माण विभाग के सभागार में आयोजित संगोष्ठी कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में सांसद विजय बघेल तथा विशिष्ट अतिथि के तौर पर विधायक गजेन्द्र यादव और ललित चन्द्राकर उपस्थित थे। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ तेलघानी आयोग के अध्यक्ष जितेन्द्र साहू, पूर्व मंत्री जागेश्वर साहू एवं श्रीमती रमशीला साहू, सुरेन्द्र कौशिक और गणमान्य नागरिक मौजूद थे। इस विशेष अवसर पर लोकतंत्र प्रहरी लक्ष्मीनारायण रॉठी और रामचंद चिन्तामणी पाटणकर तथा लोकतंत्र प्रहरी के परिजन विशाल राजहंस, डॉ. शरद पाटणकर, राम पाटणकर, मनोज जैन एवं छत्रपाल चन्द्राकर को सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर आयोजित परिचर्चा को सम्बोधित करते हुए मुख्य अतिथि सांसद विजय बघेल ने कहा कि आज से 50 वर्ष पूर्व की घटना को याद कर, मन पीड़ा से भर जाता है। तत्कालीन शासक द्वारा संविधान को दरकिनार कर लगाये गये आपातकॉल से हर वर्ग परेशान थे। आज उनकी बाते सुने तो दिल दहल जाता है। सांसद श्री बघेल ने कहा कि देश की आजादी के बाद कांग्रेस के अगुवायी में ही भारतीय संविधान तैयार किया गया, लेकिन तत्कालीन शासक ने संविधान की हत्या कर देश को फिर गुलाम बना दिया। न्यायपालिका, पत्रकारिता जो भी विरोध में आये क्रूरतापूर्वक दमन किया गया। सांसद श्री बघेल ने कहा कि सन् 1975 बाद के नई पीढ़ी को देश की पीड़ा को अवगत कराने यह आयोजन किया गया। आज देश प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में मजबूती के साथ आगे बढ़ रही है। देश की अर्थव्यवस्था विश्व के चौथे क्रम पर आ गई है। उन्होंने आयोजन के लिए जिला प्रशासन को साधुवाद दिया।
विधायक गजेन्द्र यादव ने कहा कि आज सेे 50 वर्ष पूर्व भारतीय संविधान की हत्या कर दी गई। तत्कालीन प्रधानमंत्री द्वारा देश में आपातकॉल लागू कर दिया गया। उन्होंने बताया कि इस दौरान मेरे पिता जी भी पन्द्रह दिनों के लिए जेल में बंद रहे, वहीं बड़े भैया जी अट्ठारह माह के लिए जेल में बंद थे। आज हम भारतीय इतिहास के काला दिन का वर्षगांठ मना रहे हैं। विधायक ललित चन्द्राकर ने कहा कि लोकतंत्र को शर्मसार करने वाला आपातकॉल का तत्कालीन समय में सभी वर्ग ने इसका विरोध किया। इसका सुखद परिणाम वर्ष 1977 के चुनाव में आपातकॉल के विरूद्ध बहुत बड़ी जनादेश मिला। इस अवसर पर लोकतंत्र प्रहरी के परिजन मनोज जैन, डॉ. शरद पाटणकर ने आपातकॉल के दौरान जो कष्ट उनके परिजनों ने झेले और अपनी व्यथा शेयर किये। कलेक्टर अभिजीत सिंह ने कहा कि संविधान देश का सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेज है। देश की आजादी के समय देश कई रियासतों में बटा था। अंग्रेजों को संदेह था कि कभी भारत एक देश बन पाएगा। लेकिन आज हम जिस मजबूती से खड़े हैं संविधान का महत्वपूर्ण योगदान है। उन्होंने अवगत कराया कि भारतीय संविधान में ही ऐसी शक्तियां प्रदत्त की गई है, उन शक्तियों का प्रयोग करते हुए आज से 50 वर्ष पूर्व 25 जून 1975 को आपातकॉल लागू किया गया। जिसकी आज हम 50वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। आयोजन के दौरान आपातकॉल पर आधारित लघु फिल्म का भी प्रदर्शन किया गया। इस अवसर पर वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक विजय अग्रवाल, जिला पंचायत के सीईओ बजरंग दुबे, संयुक्त कलेक्टर श्रीमती शिल्ली थामस एवं हरवंश सिंह मिरी, डिप्टी कलेक्टर उत्तम ध्रुव सहित अन्य विभागों के अधिकारी, एनसीसी, एनएसएस, स्काउट्स गाइड के विद्यार्थी, मीडिया के प्रतिनिधि और गणमान्य उपस्थित थे।
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