बेलगावी । सुप्रीम कोर्ट ने एक 70 वर्षीय रिटायर्ड एकाउंटेंट को 500 रुपये की रिश्वत लेने के मामले में एक वर्ष जेल की सजा सुनाई है. विलेज एकाउंटेंट 30 वर्ष पहले एक किसान से उसकी कृषि भूमि का आरटीसी जारी करने के लिए 500 रुपये की रिश्वत लेने का मामले में दोषी पाया गया था.
दोषी रिटायर्ड एकाउंटेंट नागेश डोंडू शिवांगकर अब बेंगलुरु से 500 किलोमीटर उत्तर में बेलगावी के हिंडाल्गा सेंट्रल जेल में बंद हैं. नागेश को 1995 में लोकायुक्त पुलिस ने रंगे हाथों पकड़ा था. वह बेलगावी जिले के कडोली गांव के एक किसान लक्ष्मण रुकन्ना कटंबले से उसकी कृषि भूमि का आरटीसी जारी करने के लिए 500 रुपये की रिश्वत ले रहा था.
लक्ष्मण ने अपने परिवार के बीच कृषि भूमि के बंटवारे के बाद अपने नाम पर आरटीसी की मांग करते हुए नागेश से संपर्क किया था. जब नागेश ने रिश्वत की मांग की तो लक्ष्मण ने लोकायुक्त पुलिस में शिकायत दर्ज कराई. बाद में नागेश को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ लिया गया और उसे गिरफ्तार कर लिया.
विशेष अदालत ने 14 जून 2006 को नागेश को (रिश्वत लेने के मामले में) दोषी करार देते हुए एक साल के कठोर कारावास और 1000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई. नागेश ने धारवाड़ स्थित कर्नाटक हाईकोर्ट की सर्किट बेंच में अपनी दोषसिद्धि पर सवाल उठाया.
फिर 9 मार्च, 2012 को हाईकोर्ट ने नागेश को आरोपों से मुक्त कर दिया. फिर लोकायुक्त पुलिस ने हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. सुप्रीम कोर्ट ने 18 जून को विशेष अदालत के फैसले को बरकरार रखा. इसके बाद नागेश को पुलिस ने गिरफ्तार कर हिडाल्गा जेल भेज दिया.
दुख की बात है कि लक्ष्मण 30 साल बाद अदालत द्वारा न्याय दिए जाने को देखने के लिए जीवित नहीं है. उसके रिश्तेदारों के अनुसार लक्ष्मण की मृत्यु पांच साल पहले हो गई थी. लक्ष्मण के परिचित और किसान नेता अप्पासाहेब देसाई ने कहा कि इस फैसले से लोगों का न्याय व्यवस्था में विश्वास और भरोसा बढ़ेगा.
कडोली गांव के लोग लक्ष्मण को उनके दान कार्यों के लिए याद करते हैं. इसमें चेन्नई में बाढ़ राहत कार्यों के लिए 5,000 रुपये का दान, गांव के मेधावी छात्रों को नकद पुरस्कार देना शामिल है.
लोकायुक्त विशेष अभियोजक प्रवीण आगासगी ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने बेलगाम विशेष न्यायालय द्वारा दिए गए फैसले को बरकरार रखा है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार दोषी रिटायर्ड एकाउंटेंट को हिंडालगा जेल भेज दिया गया है.
सच्चाई को न्याय मिला है. अब अगर कोई सरकारी अधिकारी इस तरह से रिश्वत मांगता है तो जनता को लोकायुक्त अधिकारियों से शिकायत करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि यह मामला इस बात का सबूत है कि अगर शिकायत दर्ज की जाती है तो दोषियों को सजा जरूर मिलेगी.
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