छत्तीसगढ़

दंतेवाड़ा के युवाओं की आत्मनिर्भरता की ओर प्रेरणादायक यात्रा

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-आईआईएम में उद्यमिता प्रशिक्षण से बदली जीवन की दिशा
रायपुर
। कभी चुनौतियों से जूझते रहे दंतेवाड़ा के युवाओं के जीवन में अब उम्मीद की एक नई किरण जगी है। यह बदलाव आया है एक अनोखी और अभूतपूर्व पहल के माध्यम से जिसके केंद्र में हैं भारतीय प्रबंधन संस्थान आईआईएम रायपुर, दंतेवाड़ा जिला प्रशासन और छत्तीसगढ़ सरकार।
13 जून 2025 को जब आईआईएम रायपुर में उद्यमिता सर्टिफिकेट प्रोग्राम बैच-2 का समापन हुआ, तो मंच पर केवल प्रमाण पत्र नहीं बांटे गए, बल्कि युवाओं के सपनों को पंख दिए गए। यह दो महीने का आवासीय कार्यक्रम, जिसमें दंतेवाड़ा के 50 चयनित युवाओं को उद्योग, व्यवसाय और नवाचार के विविध आयामों की गहराई से शिक्षा दी गई। 
दंतेवाड़ा के युवा, जो कभी सीमित अवसरों और अस्थिर परिस्थितियों के बीच जीते थे, अब अपने व्यवसायिक सपनों की स्पष्ट तस्वीर देख पा रहे हैं। आईआईएम में उद्यमिता प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके दंतेवाड़ा के राकेश यादव का कहना है कि इस प्रशिक्षण ने सिखाया कि हमारे जंगल का महुआ और इमली भी रोज़गार का आधार बन सकते हैं।अब मैं सिर्फ सपने नहीं देखता, उन्हें साकार करने की दिशा में बढ़ चुका हूं। किरंदुल के अभिषेक गुप्ता, बीजापुर के तेजस्व कुमार और नीलम पांडे जैसे प्रतिभागियों ने बताया कि आईआईएम का प्रशिक्षण उनके जीवन के लिए एक टर्निंग प्वाइंट साबित हो रहा है। शिल्पा कुमारी जो बचेली से है ने कहा कि  प्रशिक्षण से हमनें न केवल व्यवसाय शुरू करने की तकनीक सीखी बल्कि हमें यह भी ज्ञान मिला कि कैसे हम अपने क्षेत्र की प्राकृतिक संपदा का उपयोग करके आत्मनिर्भर बन सकते है। कभी संसाधनों की कमी से जूझने वाले ये युवा अब उद्यमिता के प्रशिक्षण से आत्मविश्वास से भर चुके हैं।
इस कार्यक्रम की सफलता में अहम भूमिका निभाई दंतेवाड़ा जिला प्रशासन ने। कलेक्टर श्री कुणाल दुदावत की पहल और सतत् मार्गदर्शन से यह सपना साकार हुआ। प्रशासन ने न केवल युवाओं की पहचान की, बल्कि उन्हें आईआईएम रायपुर जैसे संस्थान में भेजकर यह दिखा दिया कि अगर सोच बदल दी जाए, तो हालात भी बदल सकते हैं।
आईआईएम रायपुर ने 23 अप्रैल से 13 जून तक इन युवाओं को केवल प्रशिक्षण नहीं दिया, बल्कि उनके अंदर के नेतृत्व और नवाचार की चिंगारी को ज्वाला में बदल दिया। व्यवसाय योजना बनाना, मार्केटिंग, ब्रांडिंग, मूल्य संवर्धन, डिजिटल उपकरणों का प्रयोग आदि हर पहलू को व्यावहारिक तरीके से सिखाया गया।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने प्रशिक्षण के दौरान युवाओं से मिलकर उन्हें प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा कि बस्तर के युवाओं में असीम ऊर्जा है। यदि सही दिशा और प्रशिक्षण मिले, तो वे न केवल अपने लिए, बल्कि पूरे प्रदेश के लिए प्रेरणा बन सकते हैं। मुख्यमंत्री के सहज, व्यावहारिक और उत्साहवर्धक नेतृत्व ने प्रतिभागियों में नया आत्मबल भर दिया।
यह प्रशिक्षण कार्यक्रम केवल एक सरकारी योजना नहीं, बल्कि बस्तर के भविष्य की नींव है। जो क्षेत्र कभी संघर्ष और अशांति के लिए जाना जाता था, अब वहां महुआ आधारित उद्योग, इमली प्रसंस्करण इकाइयाँ, और स्थानीय पर्यटन जैसे नए व्यवसाय पनप रहे हैं। यह कहानी केवल दंतेवाड़ा के 50 युवाओं की नहीं, बल्कि पूरे बस्तर की है। एक ऐसे बस्तर की जो अब नकारात्मक छवियों से ऊपर उठकर उद्यमिता, आत्मनिर्भरता और समावेशी विकास की मिसाल बन रहा है। जिला प्रशासन और आईआईएम रायपुर के इस सामूहिक प्रयास ने यह साबित कर दिया कि अगर मंशा साफ हो और मार्गदर्शन सटीक, तो हर बाधा अवसर में बदली जा सकती है।

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