रुद्रप्रयाग । उत्तराखंड में लगातार हेलीकॉप्टर हादसे हो रहे हैं. इस साल अभी तक 5 हेलीकॉप्टर हादसे हो चुके हैं. जिसमें 13 लोग जान गंवा चुके हैं. आज सुबह भी केदारनाथ से लौट रहा हेलीकॉप्टर हादसे का शिकार हो गया. इस हेली हादसे में पायलट समेत 7 लोगों की मौत हो गई. हादसा इतना भयानक था कि शव बुरी तरह से जल गए. ऐसे में अब शवों की पहचान के लिए डीएनए टेस्ट का सहारा लिया जाएगा.
केदारनाथ के गौरीकुंड में हुए हेलीकॉप्टर क्रैश में शव बुरी तरह से जल गए हैं. ऐसे में किसी की पहचान करना मुश्किल हो रहा है. लिहाजा, हेलीकॉप्टर क्रैश में मारे गए लोगों का डीएनए टेस्ट कराया जाएगा. क्योंकि, डेड बॉडी को आईडेंटिफाई करने में मुश्किल हो रही है. डीएनए टेस्ट करने के बाद प्रशासन डेड बॉडी को सौंपेगा. इसकी जानकारी आईजी गढ़वाल राजीव स्वरूप ने दी है.
इस हेलीकॉप्टर हादसे में शव ऐसी हालत में मिली है कि पहचान करना तक मुश्किल हो गया है. ऐसे हालात में डीएनए टेस्ट से ही पता चल सकेगा कि शव किसका है? ऐसे में जान लेते हैं कि डीएनए टेस्ट क्या होता है और कैसे पता लगाता है कि शव किसका है?
डीएनए को डिऑक्सीराइबोन्यूक्लिक अम्ल कहा जाता है. जो बॉडी की हर कोशिका में मौजूद वो कोड होता है, जो किसी इंसान या जीव की पहचान तय करता है. डीएनए उसके माता-पिता से मिला होता है. यह एक ऐसा वैज्ञानिक तरीका है, जिसके जरिए किसी भी इंसान की पहचान, रिश्तेदारी या बीमारी आदि का पता लगाया जा सकता है.
जब किसी डेड बॉडी की हालत इतनी खराब होती है कि चेहरा या बॉडी से पहचान तक नहीं हो पाती, तब शव से डीएनए लिया जाता है. जिसके बाद शव का दावा करने वाले परिवार के डीएनए से उसका मिलान किया जाता है. ऐसे में डीएनए मैच होने पर शव की पहचान तय हो जाती है.
ता दें कि आज यानी 15 जून की सुबह करीब सवा 5 बजे केदारनाथ धाम से आर्यन एविएशन का हेलीकॉप्टर यात्रियों को लेकर गुप्तकाशी की ओर से लौट रहा था. जैसे ही गौरीकुंड के पास पहुंचा, वैसे ही क्रैश हो गया. यह हेलीकॉप्टर गौरीकुंड से करीब 5 किमी ऊपर गौरी माई खर्क नामक स्थान पर क्रैश हुआ. जिसमें एक बच्चा समेत 7 लोगों की असमय (पायलट भी शामिल) मौत हो गई.
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