ब्रेकिंग

शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण से सुधरेगा छात्र-शिक्षक अनुपात, बढ़ेगी शिक्षा की गुणवत्ता..

64805062025125715whatsappimage2025-06-05at6.24.43pm.jpg

-शालाओं और शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण के संबंध में प्रेस कान्फ्रेंस का हुआ आयोजन
- शिक्षा में संतुलन की दिशा में कदमः जिले में 08 शालाओं का युक्तियुक्तकरण
- जिले में 1105 स्कूलों में से 1097 स्कूल यथावत संचालित होंगे
- कम छात्र संख्या वाले स्कूलों का समायोजन, शिक्षक विहीन शालाओं को मिलेगा संबल
- एक ही परिसर में स्थित विद्यालयों को समाहित कर जिले में क्लस्टर मॉडल पर किया गया फोकस
- शिक्षा में सुधार हेतु युक्तियुक्तकरण पर फोकस, अतिशेष शिक्षक होंगे पुनः पदस्थ
दुर्ग।
शालाओं और शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण के संबंध में कलेक्टोरेट सभाकक्ष में आज प्रेस कान्फ्रेंस का आयोजन किया गया। इस दौरान प्रेस कान्फ्रेंस को सम्बोधित करते हुए कलेक्टर  अभिजीत सिंह ने बताया कि राज्य में शिक्षा व्यवस्था को बेहतर और समावेशी बनाने के लिए शालाओं और शिक्षकों का युक्तियुक्तकरण किया जा रहा है। 
नगरीय एवं ग्रामीण इलाकों में छात्रों की तुलना अधिक शिक्षक पदस्थ हैं, और कही छात्र अधिक हैं वहां शिक्षकों की कमी है, जिसके चलते शैक्षिक गतिविधियां प्रभावित हो रही हैं और छात्र-छात्राओं का परीक्षा परिणाम भी प्रभावित हो रहा है। इस स्थिति को सुधारने के उद्देश्य ही प्रदेश सरकार द्वारा युक्तियुक्तकरण का कदम उठाया गया है। इससे जिन शालाओं में शिक्षक की जरूरत है, वहां शिक्षक उपलब्ध होंगे।
कलेक्टर ने बताया कि ग्रामीण तथा नगरीय क्षेत्रों में गणित, रसायन, भौतिकी और जीव विज्ञान जैसे विषयों के विषय-विशेषज्ञ उपलब्ध होंगे। बच्चों को अच्छी शिक्षा, बेहतर शैक्षणिक वातावरण और बेहतर सुविधाएं मिलेंगी। कुल मिलाकर युक्त्तियुक्तकरण के माध्यम से छात्र-शिक्षक अनुपात स्कूलों में संतुलित हो, यह सुनिश्चित किया जा रहा है। शिक्षा का अधिकार अधिनियम-2009 और राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के दिशा-निर्देशों के अनुरूप शिक्षकों और शालाओं का युक्तियुक्तकरण किया जा रहा है। 
कलेक्टर श्री सिंह ने कहा कि युक्तियुक्तकरण से शिक्षक विहीन विद्यालयों में शिक्षकों की उपलब्धता के साथ ही एक ही परिसर में विद्यालय होने से आधारभूत संरचना मजबूत होगी और स्थापना व्यय में भी कमी आएगी। यह युक्तियुक्तकरण कोई कटौती नहीं, बल्कि गुणवत्ता और समानता की दिशा में बड़ा कदम है। 

Image after paragraph

जिले में विद्यार्थियों की पढ़ाई को बाधित होने से बचाने और शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए जिला प्रशासन एवं शिक्षा विभाग संयुक्त रूप से प्रयास कर रहे हैं। युक्तियुक्तकरण से जिले में शिक्षा की गुणवत्ता, बच्चों की उपस्थिति और संसाधनों के बेहतर उपयोग में वृद्धि होगी। इसी क्रम में जिले में 641 शालाओं का युक्तियुक्तकरण किया गया है, जिसमें 349 शालाओं का समायोजन कर उन्हें पास की बेहतर शालाओं में शामिल किया गया है।
इस प्रक्रिया के तहत जिले की 1105 शालाओं में से 1097 शालाएं यथावत संचालित रहेंगी, जबकि मात्र 08 शालाओं का समायोजन किया जा रहा है। यह निर्णय उन्हीं शालाओं के लिए लिया गया है, जहां छात्रों की संख्या अत्यंत कम है और नजदीक में बेहतर सुविधाओं वाली शालाएं उपलब्ध हैं। शिक्षा विभाग के अनुसार, एक ही परिसर में स्थित शालाओं को समाहित कर क्लस्टर मॉडल विकसित किया जा रहा है। इस मॉडल से न केवल तीन बार की प्रवेश प्रक्रिया से करीब 90 प्रतिशत बच्चों को मुक्ति मिलेगी, बल्कि बच्चों की पढ़ाई में निरंतरता बनी रहेगी और ड्रॉपआउट दर में भी कमी आएगी।
समायोजन की प्रक्रिया में जिले की 269 प्राथमिक शालाएं मर्ज होने के बाद अब कुल 5 प्राथमिक शालाएं बचीं हैं। इसी प्रकार 286 पूर्व माध्यमिक शालाएं मर्ज होकर 200 रह गईं। 27 हाईस्कूल मर्ज होकर अब 21 हाईस्कूल संचालित होंगे, वहीं 59 हायर सेकेण्डरी स्कूलों के समायोजन के बाद अब 36 स्कूल रह गए हैं।
जिले में 637 शिक्षक अतिशेष की श्रेणी में आए हैं, जिनमें प्राथमिक स्कूलों से प्रधान पाठक 8 और सहायक शिक्षक 209, पूर्व माध्यमिक स्कूलों से प्रधान पाठक 2 और शिक्षक 330 तथा हाईस्कूल और हायर सेकेंडरी स्कूलों से व्याख्याता 88 शामिल हैं। इनमें से 376 शिक्षकों को काउंसलिंग हेतु बुलाया गया था, जिसमें 366 शिक्षक उपस्थित रहे और उन्हें रिक्त पदों पर पदस्थापित कर दिया गया है। शेष 5 शिक्षक अनुपस्थित या अपात्र रहे। कुल 368 रिक्त पद चिन्हांकित किए गए हैं, जिनमें से 265 अतिशेष शिक्षक तथा 11 व्याख्याता (गणित, वाणिज्य और व्यावसायिक शिक्षा के) संयुक्त संचालक, शिक्षा संभाग दुर्ग को प्रेषित किए गए हैं। कुछ शिक्षकों को निलंबन अथवा संबंधित विषय में पद रिक्त न होने के कारण काउंसलिंग में शामिल नहीं किया गया।
जिले में वर्तमान में 03 प्राथमिक शालाएं शिक्षकविहीन हैं तथा 56 प्राथमिक शालाएं एकल शिक्षकीय स्थिति में हैं। पूर्व माध्यमिक स्तर पर 01 शाला एकल शिक्षकीय है। प्राथमिक स्तर पर 169 तथा पूर्व माध्यमिक स्तर पर 11 शिक्षकों की आवश्यकता है। इसके विपरीत, प्राथमिक स्कूलों में 215 और पूर्व माध्यमिक स्कूलों में 333 शिक्षक अतिशेष हैं, जिन्हें आवश्यकता अनुसार पुनः पदस्थ किया जा रहा है।
दुर्ग जिले के शहरी क्षेत्रों के विद्यालय यथा शासकीय प्राथमिक शाला कैम्प 1 भिलाई में 225 छात्रों पर 17 शिक्षक एवं शास. नेहरू प्राथ. शाला दुर्ग में 113 छात्रों पर 11 शिक्षक कार्यरत हैं जो कि छात्र शिक्षक अनुपात में काफी ज्यादा है वहीं दूसरी ओर जिले के ग्रामीण क्षेत्रों के कई विद्यालय ऐसे हैं, जो शिक्षक विहीन और एकल शिक्षकीय है। उक्त अवसर पर जिला शिक्षाधिकारी अरविंद मिश्रा भी उपस्थित थे। कलेक्टर श्री सिंह ने पत्रकारों द्वारा युक्तियुक्त के संबंध में पूछे सवालों का सकारात्मक जवाब भी दिए।

RO. NO 13286/85

एक टिप्पणी छोड़ें

Data has beed successfully submit

Related News

Advertisement

97519112024060022image_750x_66bc2a84329bd.webp
RO. NO 13286/85
16001062025110914whatsappimage2025-06-01at11.52.01_c072f5ce.jpg
35214062025145422img-20250614-wa0006.jpg

Popular Post

This Week
This Month
All Time

स्वामी

संपादक- पवन देवांगन 

पता - बी- 8 प्रेस कॉम्लेक्स इन्दिरा मार्केट
दुर्ग ( छत्तीसगढ़)

ई - मेल :  dakshinapath@gmail.com

मो.- 9425242182, 7746042182

हमारे बारे में

हिंदी प्रिंट मीडिया के साथ शुरू हुआ दक्षिणापथ समाचार पत्र का सफर आप सुधि पाठकों की मांग पर वेब पोर्टल तक पहुंच गया है। प्रेम व भरोसे का यह सफर इसी तरह नया मुकाम गढ़ता रहे, इसी उम्मीद में दक्षिणापथ सदा आपके संग है।

सम्पूर्ण न्यायिक प्रकरणों के लिये न्यायालयीन क्षेत्र दुर्ग होगा।

logo.webp

स्वामी / संपादक- पवन देवांगन

- बी- 8 प्रेस कॉम्लेक्स इन्दिरा मार्केट
दुर्ग ( छत्तीसगढ़)

ई - मेल : dakshinapath@gmail.com

मो.- 9425242182, 7746042182

NEWS LETTER
Social Media

Copyright 2024-25 Dakshinapath - All Rights Reserved

Powered By Global Infotech.