-बांध की ऊंचाई कम की जाए, कांग्रेस परियोजना का करेगी विरोध-दीपक बैज
-बीजापुर के कोंटा के 25 से अधिक गांव आएंगे डूबान में
रायपुर। गोदावरी नदी में अंतर्राज्यीय बहुउद्देशीय पोलावरम बांध परियोजना के निर्माण को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में एक महत्वपूर्ण बैठक 28 मई को नई दिल्ली में होने जा रही है। इस बहुउद्देशीय परियोजना का उद्देश्य आध्रप्रदेश में सिंचाई, पेयजल की आपूर्ति करना है। जबकि छत्तीसगढ़ में बीजापुर जिले के 25 गांव डूबान में आएंगे। वहीं ओडि़सा राज्य को पर्यावरण की क्षति होगी। प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय, ओडि़सा के मुख्यमंत्री मोहन चरण मांझी, आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी उपस्थित रहेंगे। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज ने इस परियोजना विरोध करते हुए कहा कि कांग्रेस सदैव इसका विरोध किया है। इसको लेकर हमने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया है।
हमारे संवाददाता के अनुसार गोदावरी नदी में बनने वाले पोलावरम परियोजना से बीजापुर जिले के 25 गांव डूबान में आएंगे, इससे करीब 20 हजार एकड़ में रहने वाले गरीब आदिवासी के सामने रोजी-रोटी की समस्या खड़ी हो जाएगी। पिछली कांग्रेस सरकारों ने इसका विरोध किया था। ओडि़सा सरकार द्वारा भी इस निरंतर विरोध किया जा रहा था। लेकिन सत्ता परिवर्तन के पश्चात ओडि़सा और छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार बन गई है। इसके कारण इसका निर्माण का रास्त अब साफ हो रहा है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय सरकार का पक्ष रखेंगे।
बांध की ऊंचाई कम की जाए : दीपक बैज
प्रदेश काग्रेस कमेटी के अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि पोलावरम परियोजना का शुरू से विरोध कर रहे हैं, इस बांध की ऊंचाई कम की जानी चाहिए। मैंने यह मामला लोकसभा में उठाया था, कोंटा ब्लाक के अधिकांश गांव डूब जाएंगे। जिनकी संख्या 25 बताई जाती है। कांग्रेस इसका शुरू से विरोध करती आ रही है और करती रहेगी।
बांध की विशेषताएं-
पोलावरम बांध की ऊंचाई 45 मीटर और लंबाई 1,320 मीटर है. इसमें स्पिलवे भी है जिसकी क्षमता 50 लाख क्यूसेक पानी छोडऩे की है। बांध से लगभग 80 टीएमसी पानी को संग्रहित करने के लिए जलाशय का निर्माण किया गया है।
2.91 लाख हेक्टेयर भूमि को सिंचाई
परियोजना से 2.91 लाख हेक्टेयर भूमि को मिलेगी सिंचाई, 960 मेगावाट जलविद्युत पैदा होगी और 540 गांवों तथा विशाखापत्तनम शहर के 28.5 लाख लोगों को पीने का पानी मिलेगा.
अंतर्राज्यीय विवाद को मिलेगा विराम
परियोजना के संबंध में आंध्र प्रदेश, ओडिशा और छत्तीसगढ़ के बीच विवाद हैं, खासकर ओडिशा में इसके संभावित पर्यावरणीय और सामाजिक प्रभाव को लेकर विवाद है। समझा जाता है कि प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में होने वाली इस बैठक के बाद कोई नतीजा निकलेगा।
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