चंडीगढ़ । 'ऑपरेशन सिंदूर के बाद पंजाब के बॉर्डर जिलों में हुए ड्रोन अटैक और लगातार बिगड़ती सुरक्षा स्थिति ने प्रदेश में दहशत का माहौल बना दिया है। यूपी और बिहार से आए प्रवासी मजदूर हों या स्टूडेंट्स—हर कोई डर के साये में जी रहा है। हालत यह है कि हजारों की संख्या में लोग पंजाब को छोड़कर अपने मूल राज्यों की ओर लौट रहे हैं।
यह सिर्फ एक पलायन नहीं, बल्कि पंजाब की रीढ़—कृषि और उद्योग—पर सीधा प्रहार है। धान की रोपाई का समय सिर पर है, लेकिन खेतों में काम करने वाली लेबर धीरे-धीरे गायब हो रही है। लुधियाना, अमृतसर जैसे औद्योगिक शहरों की फैक्ट्रियां लेबर की कमी से कराह उठी हैं। उत्पादन ठप होने का खतरा साफ नजर आने लगा है।
स्टूडेंट्स और पर्यटक भी अब पंजाब को असुरक्षित मानकर लौटने लगे हैं। जालंधर रेलवे स्टेशन हो या पठानकोट बस स्टैंड—हर जगह डर और अनिश्चितता में डूबे प्रवासियों की भीड़ दिखाई दे रही है। बॉर्डर इलाकों में बार-बार हो रही घटनाओं ने लोगों का सरकार और सुरक्षा एजेंसियों से विश्वास तोड़ दिया है।
यह हालात महज एक अलार्म नहीं—बल्कि राज्य और केंद्र सरकार के लिए एक गंभीर चेतावनी हैं। अगर अभी भी पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था और भरोसे का माहौल नहीं बनाया गया तो इसका दीर्घकालिक असर पंजाब की कृषि व्यवस्था, औद्योगिक ढांचे और समग्र अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा।
पंजाब आज जिस अनिश्चितता, असुरक्षा और अव्यवस्था की गिरफ्त में है, उसका खामियाजा न केवल स्थानीय नागरिक बल्कि प्रवासी समुदाय, किसान, व्यापारी, उद्योग और शिक्षा जगत तक भुगत रहा है। सरकार कब तक आंखें मूंदे रहेगी? क्या अब भी कोई ठोस कदम नहीं उठाया जाएगा?
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