छत्तीसगढ़

प्रदेश में वन आधारित पर्यटन और जल आधारित पर्यटन को दिया जाए बढ़ावा: मुख्यमंत्री विष्णु देव साय

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-प्रदेश की प्रमुख शक्ति पीठों में पर्यटन सुविधाएं की जाएं विकसित

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-पर्यटन विभाग के साथ जल संसाधन और वन विभाग पर्यटन को बढ़ावा देने समन्वय के साथ करें कार्य- मुख्यमंत्री

-छत्तीसगढ़ में पर्यटन को बढ़ावा देने तैयार किए जाएंगे टूरिज्म कॉरिडोर

-प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा देने के प्रयासों की समीक्षा

रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा है कि छत्तीसगढ़ में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। छत्तीसगढ़ को देश के पर्यटन मानचित्र पर स्थापित करने के लिए पर्यटन, वन और जल संसाधन विभाग एकीकृत कार्ययोजना बनाकर कार्य करें। उन्होंने कहा कि प्रदेश में वन आधारित पर्यटन, महानदी, इन्द्रावती नदियों प्रदेश के प्रमुख बांधों में वाटर स्पोर्ट्स को बढ़ावा दिया जाए। प्रदेश की शक्ति पीठों में पर्यटन सुविधाएं विकसित की जाएं। मुख्यमंत्री ने प्रमुख पर्यटन स्थलों में आस-पास के स्थलों को शामिल कर पर्यटन सर्किट और कारीडोर तैयार करने के निर्देश दिए। उन्होंने केन्द्र सरकार से सहायता के लिए प्रदेश की पर्यटन परियोजनाओं के नये प्रस्ताव तैयार करने के भी निर्देश दिए।

मुख्यमंत्री श्री साय आज मंत्रालय महानदी भवन में प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा देने के किए जा रहे कार्यों की समीक्षा कर रहे थे। बैठक में ईको टूरिज्म, एथेनिक टूरिज्म, एडवेंचर टूरिज्म, वेलनेस टूरिज्म, हेरीटेज टूरिज्म, वन्य जीव पर्यटन, वाटर स्पोर्ट्स की संभावनाओं पर विचार-विमर्श किया गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि बस्तर, सरगुजा सहित प्रदेश के प्रमुख पर्यटन स्थलों को ब्रांड के रूप में स्थापित किया जाए। 

-टूर एंड ट्रेवल एजेंसियों और जाने-माने होटल संस्थानों का लिया जाए सहयोग

मुख्यमंत्री ने बैठक में कहा कि कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान, गुरू घासीदास तमोर पिंगला राष्ट्रीय उद्यान, बारनवापारा अभ्यारण, अचानकमार अभ्यारण्य, टाटामारी व्यू प्वाइंट जैसे प्रमुख पर्यटन स्थलों के साथ उस क्षेत्र के समीप स्थित छोटे-छोटे पर्यटन स्थलों को सम्मिलित कर सर्किट और कारीडोर विकसित करने के लिए योजना तैयार की जाए। उन्होंने कहा कि प्रदेश के धार्मिक महत्व, ऐतिहासिक महत्व और पुरातात्विक और नैसर्गिक महत्व के स्थलों को चिन्हांकित कर पर्यटन की दृष्टिकोण से बेहतर डेस्टिनेशन के रूप में विकसित किया जाए। उन्होंने ईको टूरिज्म और साहसिक पर्यटन को बढ़ावा देने के भी निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए टूर एंड ट्रेवल एजेंसियों और जाने-माने होटल संस्थानों के साथ बैठक कर प्रदेश में पर्यटन को बढ़ाने की संभावनाओं की भी तलाश की जानी चाहिए।

-वाटर स्पोर्ट्स को दिया जाएगा बढ़ावा

मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि प्रदेश में जल क्रीडा गतिविधियों के विकास के लिए भी काफी संभावनाएं हैं। हमारी सरकार ने धमतरी में गंगरेल बांध, महासमुंद के कोडार बांध, कोरबा के मिनी माता हसदेव बांगो बांध, सरोदा बांध, बस्तर के चित्रकोट जलप्रपात में वाटर बोटिंग के लिए बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं। इन संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए प्रदेश की विभिन्न नदियों, बांधों में भी स्थल चिन्हांकित कर वाटर स्पोर्ट्स के रूप में विकसित किया जाए।

-बस्तर, चम्पारण, मधेश्वर मयाली, भोरमदेव में पर्यटन कारीडोर होंगे विकसित

मुख्यमंत्री ने बैठक में कहा कि बस्तर में चित्रकोट जलप्रपात, दंतेवाड़ा, ढोलकल, टाटामारी, बारसूर, कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में तीरथगढ़, कुटुमसरगुफा, धुडमारास, तामड़ा घूमर, महेन्द्रिघूमर जलप्रपात को शामिल कर बस्तर कारीडोर विकसित किया जाए। इसकी राष्ट्रीय स्तर पर ब्रांडिंग की जाए। इसी तरह जशपुर जिले में मधेश्वर मंदिर, मायली लेक, कैलाश गुफा को शामिल कर कारीडोर बनाया जाए। उन्होंने महाप्रभु वल्लाभार्च की प्राकट्यभूमि चम्पारण में गुजराती पर्यटक बड़ी संख्या में आते हैं, यहां शादी-विवाह जैसे आयोजन भी होते हैं। इसे राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के लिए पर्यटन सुविधाएं विकसित की जाए तथा व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाए। 

बैठक में स्वदेश दर्शन और  प्रसाद  योजना के तहत प्रदेश में संचालित विभिन्न पर्यटन परियोजनाओं की प्रगति की भी समीक्षा की गई। मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वदेश दर्शन के तहत भोरमदेव कारीडोर के लिए 145 करोड़ रूपए की राशि स्वीकृति प्रदान की गई है। इससे धार्मिक और नैसर्गिंग स्थलों को जोड़कर पर्यटन की दृष्टिकोण से बेहतर डेस्टिनेशन के रूप में विकसित किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि चित्रोत्पला फिल्म सिटी को विकसित करने के लिए फिल्म जगत के लोगों से मार्गदर्शन लिया जाए। नवा रायपुर में हमारी सरकार द्वारा चित्रोत्पला फिल्म सिटी बनायी जा रही है। इसके लिए केन्द्र सरकार द्वारा 95 करोड़ रूपए की स्वीकृति मिली है। 

-पर्यटन को उद्योग का दर्जा

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार की नई औद्योगिक नीति में पर्यटन को उद्योग का दर्जा प्रदान किया गया है। इन क्षेत्रों में पर्यटन सुविधाओं के विकास के लिए अनुदान का प्रावधान भी किया गया है, जिससे निवेशकों के सहयोग से पर्यटन अधोसंरचना का विकास हो सके। राष्ट्रीय स्तर पर निवेशकों से संपर्क कर इन संभावनाओं का भी दोहन किया जाए। उन्होंने कहा कि प्रदेश में सालाना 2 करोड़ पर्यटक पर्यटन स्थलों में आते हैं। मुख्यमंत्री ने पर्यटन क्षेत्र के स्थानीय निवासियों को नियमित रूप से रोजगार मुहैया कराने के उद्देश्य ये होम स्टे सहित छोटे-छोटे कुटीर उद्योग पर भी लोगों को जोड़ने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि पर्यटन क्षेत्रों के ग्रामीणों में होम स्टे व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित भी करना चाहिए।  बैठक में मुख्य सचिव अमिताभ जैन, प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख व्ही. श्रीनिवास राव, अपर मुख्य सचिव श्रीमती ऋचा शर्मा, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव सुबोध सिंह, पर्यटन विभाग के सचिव अन्बलगन पी., मुख्यमंत्री के सचिव राहुल भगत, बसवराजु एस., उद्योग विभाग के सचिव रजत कुमार, जल संसाधन विभाग के सचिव राजेश सुकुमार टोप्पो सहित संबंधित विभागों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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