बालाघाट। बालाघाट नगर में सुप्रसिद्ध काली मंदिर स्थापित है। यहाँ 10 वीं शं. की पुरातात्विक महत्व की खंडित प्रतिमाऐं सुव्यवस्थित रुप से रखी हुई है। जहाँ दोनों नवरात्रा के समय तथा प्रतिदिन पूजन अर्चन किया जाता है, साथ ही शादी-ब्याह के समय विशेष पूजा का महत्व है।
पूर्व में बालाघाट के भू-भाग पर जंगल था, कलचुरी,गोंड, मुगल, मराठा,भौंसले,अंग्रेज काल में राज्य रहा, धर्म-परायण के परिप्रेक्ष्य में विभिन्न प्रकार की प्रतिमाऐं कलाकारों द्वारा बनाया तो गया था, समय परिवर्तित के परिदृश्य में विभिन्न ऋतुओं में पुरातात्विक महत्व के अवशेष यत्र-तत्र बिखरते चले गए और अधिकांशत: खंडित हो गए। जैसे-जैसे क्षेत्र का विकास होता गया, इन पुरातात्विक महत्व की खंडित प्रतिमाओं पर ध्यानाकर्षण होता गया, जो जहाँ पुरातात्विक प्रतिमाऐं थी, उन्हें प्रबुद्धजनों ने व्यवस्थित रुप से रखा जरुर, परन्तु पूजन अर्चन, आस्था और विश्वास का केंद्र बन गया। भविष्य काल को देखते हुए, काली मंदिर में स्थापित समस्त प्रतिमाओं पंजीयन करवाया जाएगा, क्योंकि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में मंदिर नीजि संरक्षण में स्थापित है।
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