होम / दुर्ग-भिलाई / जिला अस्पताल में नवजात शिशु अदला-बदली का मामला, परिजन परेशान
दुर्ग-भिलाई
-कुरैशी परिवार अपने असली नवजात शिशु को प्राप्त करने अस्पताल का चक्कर लगाने विवश
दुर्ग । जिला अस्पताल में दो नवजात शिशु के अदला-बदली का मामला प्रकाश में आया है। एक नवजात शिशु के परिजनों का कहना है कि जो बच्चा उनके पास है, वह उनका नहीं है। उनका बच्चा बदल गया है। इस संबंध में परिजनों द्वारा जिला अस्पताल प्रबंधन को प्रमाण भी प्रस्तुत किए गए हैं, वहीं दूसरे शिशु के परिजन उक्त बच्चों को लौटाने से साफ इनकार कर रहे हैं। मामले में जिला अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही उजागर हुई है, लेकिन मामले के समाधान के बजाय जिला अस्पताल प्रबंधन अपना पल्ला झाड़ते नजर आ रहा है। जिसके चलते एक नवजात शिशु के परिजन अपने असली बच्चे को प्राप्त करने के लिए जिला अस्पताल का चक्कर लगाने विवश है। मिली जानकारी के मुताबिक 23 जनवरी को जिला अस्पताल में दो नवजात शिशु का जन्म हुआ था। दोनों ही नवजात लड़के हैं। इनमें से एक नवजात शिशु को केलाबाड़ी निवासी शबाना कुरैशी ने जन्म दिया था। शाबाना कुरैशी के भाई अमीर खान सेक्टर-6 भिलाई निवासी ने बताया कि परिवार को नवजात शिशु की अदला-बदली की जानकारी 8 दिन बाद तब पता चला जब डिस्चार्ज होने के बाद उन्होंने ऑपरेशन के बाद खींची गई तस्वीरें देखीं। इसके बाद परिजनों के होश उड़ गए। बच्चा अदला-बदली के संबंध में कुरैशी परिवार द्वारा दूसरे परिवार से संपर्क किया गया और उन्हें यह बात बताई गई, लेकिन दूसरे परिवार ने बच्चा बदलने से यह कहते हुए मना कर दिया कि अब 8 दिनों में बच्चे से लगाव हो गया है। बताया गया है कि 23 जनवरी को शबाना कुरैशी पति अल्ताफ कुरैशी और साधना सिंह ने दोपहर क्रमश: 1.25 बजे और 1.32 बजे बेटों को जन्म दिया। अस्पताल में नवजात शिशुओं की पहचान के लिए जन्म के तुरंत बाद उनके हाथ में मां के नाम का टैग पहनाया जाता है। जिससे किसी तरह की अदला-बदली न हो। इसी प्रक्रिया के तहत दोनों नवजातों की जन्म के बाद अपनी-अपनी माताओं के साथ तस्वीरें भी खींची गईं।हालांकि बाद में गंभीर लापरवाही सामने आई जब साधना सिंह लिखा हुआ बच्चा शबाना कुरैशी के पास चला गया और शबाना कुरैशी लिखा हुआ बच्चा साधना सिंह के पास चला गया।
इस गलती का खुलासा 8 दिनों के बाद तब हुआ जब शबाना कुरैशी के परिवार ने ऑपरेशन के तुरंत बाद ली गई तस्वीरों को देखा। तब परिवार ने ध्यान दिया कि उनके असली बच्चे के चेहरे पर तिल (काला निशान) नहीं था, जबकि जो बच्चा इस समय उनके पास है ,उसके चेहरे पर तिल है।
यह जानकारी मिलते ही शबाना कुरैशी के परिवार में हड़कंप मच गया। उन्होंने तुरंत जिला अस्पताल प्रशासन को इसकी जानकारी दी। जिससे अस्पताल में भी अफरा-तफरी मच गई। अस्पताल प्रशासन ने मामले की गंभीरता को देखते हुए साधना सिंह और उनके परिवार को अस्पताल बुलाया। दोनों परिवारों और डॉक्टरों के बीच चर्चा हुई, लेकिन कोई समाधान नहीं निकल पाया है। साधना सिंह और उनके परिवार का कहना था कि बीते 8 दिनों में बच्चे से भावनात्मक लगाव हो चुका है। इसलिए वे बच्चे की वापसी के लिए तैयार नहीं हैं। इस वजह से मामला उलझा गया है। शबाना कुरैशी का परिवार समाधान के लिए अस्पताल में चक्कर लगाता रहा, लेकिन कोई ठोस नतीजा नहीं निकला।जब मामला सुलझता नहीं दिखा, तो प्रसूति विभाग की विभागाध्यक्ष ने शबाना कुरैशी के परिवार को थाने में शिकायत दर्ज कराने की सलाह दी, हालांकि, सीटी कोतवाली पुलिस का कहना था कि इस मामले में पुलिस की कोई भूमिका नहीं है और कार्यवाही की जिम्मेदारी अस्पताल प्रशासन की बनती है। इस मामले में शबाना कुरैशी का परिवार अस्पताल की लापरवाही का खामियाजा भुगत रहा है, लेकिन कोई ठोस समाधान नहीं निकला है। इस मामले में चिकित्सालय के सिविल सर्जन डॉ.हेमंत साहू ने कहा कि यह पूरी तरह प्रसूति विभाग का मामला है और इसकी जानकारी विभागाध्यक्ष डॉ. ममता ही दे सकती हैं।
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