नईदिल्ली । वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने केंद्रीय बजट में इनकम टैक्स को लेकर बड़ा ऐलान किया है। अब 12 लाख तक की आय पर कोई टैक्स नहीं लगेगा। मानक कटौती को मिलाकर ये सीमा 12.75 लाख रुपये तक हो जाएगी।
इस दौरान संसद में मोदी-मोदी के नारे लगने लगे।
वित्त मंत्री ने बताया कि अगले हफ्ते संसद में नया इनकम टैक्स विधेयक पेश किया जाएगा।
अब पिछले 4 साल का आईटीआर एकसाथ फाइल कर सकेंगे।
नई घोषणा के बाद अब 4 लाख तक आय पर कोई टैक्स नहीं लगेगा।
4 से 8 लाख तक की आय पर 5 प्रतिशत, 8 से 12 लाख पर 10 प्रतिशत, 12 से 16 लाख पर 15 प्रतिशत, 16 से 20 लाख पर 20 प्रतिशत, 20 से 24 लाख पर 25 प्रतिशत और 24 लाख से ज्यादा की सालाना आय पर 30 प्रतिशत टैक्स लगेगा।
वरिष्ठ नागरिकों के लिए टीडीएस सीमा 50,000 से बढ़ाकर 1 लाख कर दी गई है।
बजट पेश होने से एक दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसके संकेत दिए थे। उन्होंने कहा था, मैं देवी लक्ष्मी से प्रार्थना करता हूं कि देश के गरीब और मध्यम वर्ग के लोगों को उनका आशीर्वाद मिले।
इससे पहले विशेषज्ञों ने बताया था कि सरकार आयकर दाताओं को नए टैक्स रिजीम अपनाने के लिए प्रेरित करना चाहती हैं। इस वजह से भी उम्मीदें थीं कि इनकम टैक्स को लेकर कुछ घोषणा हो सकती है।
बजट में घोषणा होने से पहले नई टैक्स रिजीम में 6 टैक्स स्लैब थे।
इसमें 3 लाख रुपये की आय पर 0 प्रतिशत टैक्स लगता था। इसके बाद 3 से 7 लाख रुपये की सालाना आय पर 5 प्रतिशत, 7 से 10 लाख रुपये तक की आय पर 10 प्रतिशत, 10 से 12 लाख आय पर 15 प्रतिशत, 12 से 15 लाख आय पर प्रतिशत और 15 लाख से ज्यादा आय पर 30 प्रतिशत टैक्स लगता था।
पुरानी व्यवस्था में 2.5 लाख रुपये तक की आय टैक्स फ्री है। 2.5-5 लाख रुपये की आय पर 5 प्रतिशत टैक्स लगता है।
हालांकि, 5 लाख तक की आय वालों को आयकर अधिनियम की धारा 87ए के तहत 12,500 रुपये की छूट मिलती है, जिससे 5 लाख तक की आय पर टैक्स शून्य हो जाता है।
इसके बाद 5-10 लाख आय पर 20 प्रतिशत और 10 लाख से ऊपर 30 प्रतिशत टैक्स है।
वित्त मंत्री ने कहा, सरकार अगले हफ्ते नया इनकम टैक्स बिल लाने जा रही है, जिससे टैक्स प्रणाली को और आसान और पारदर्शी बनाया जाएगा। अब सरकार की सोच है पहले भरोसा, फिर जांच। यानी, करदाता को बेवजह नोटिस और परेशानियां नहीं झेलनी पड़ेंगी। इसके साथ ही केवाईसी प्रक्रिया भी आसान की जाएगी, जिससे बैंक और अन्य वित्तीय कामों में कम कागजी झंझट होगा। कुल मिलाकर यह नया विधेयक करदाताओं के लिए राहत और सहूलियत लेकर आएगा।
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