छत्तीसगढ़

अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला नई दिल्ली के भारत मंडपम में लोकरंजनी द्वारा पारंपरिक लोकगीत नृत्यों की प्रस्तुति

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-20 नवंबर को दिल्ली के भारत मंडपम में छत्तीसगढ़ दिवस पर डॉ. पुरुषोत्तम चंद्राकर कृत लोकरंजनी की प्रस्तुति
-छ.ग. के राज्यपाल व मुख्यमंत्री की विशेष उपस्थिति में दिल्ली में होगा छत्तीसगढ़ दिवस का आयोजन
रायपुर ।  दिल्ली के भारत मंडपम में चल रहे 43वें अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला में 20 नवंबर को छत्तीसगढ़ दिवस का आयोजन होगा इस अवसर पर छत्तीसगढ़ के राज्यपाल मान. रमेन डेका जी और मुख्यमंत्री मान. विष्णुदेव साय जी विशेष रूप से उपस्थित रहेंगे। कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और परंपरागत लोक नृत्यों की प्रस्तुति डॉक्टर पुरुषोत्तम चंद्राकर कृत लोकरंजनी लोककला सांस्कृतिक मंच द्वारा दी जाएगी। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि छत्तीसगढ़ दिवस हमारे राज्य की संस्कृति परंपराओं और प्रगति को देश - दुनिया के सामने पेश करने का अवसर है। यह विकसित छत्तीसगढ़ के सपने को साकार करने की दिशा में अहम कदम है।
-विकसित छत्तीसगढ़ की झलक
इस वर्ष की थीम विकसित भारत 2047 को ध्यान में रखते हुए छत्तीसगढ़ ने अपने स्टॉल और कार्यक्रमों को तैयार किया है मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय जी के नेतृत्व में राज्य ने औद्योगिक निवेश रोजगार सृजन और आदिवासी क्षेत्र के विकास में महत्वपूर्ण प्रगति की है इस आयोजन में राज्य की संस्कृति के साथ-साथ विकास के प्रयासों को भी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय दर्शकों के सामने रखा जाएगा।
 -पारंपरिक लोक नृत्य की विशेष प्रस्तुतियां
शाम 5:30 बजे से नई दिल्ली के एम्फी थिएटर-1 भारत मंडपम (हॉल नंबर 5 के सामने) लोकरंजनी लोक कला मंच डॉक्टर पुरुषोत्तम चंद्राकर कृत छत्तीसगढ़ी सांस्कृतिक कार्यक्रम गौरा- गौरी, भोजली, राउत नाचा, सुआ,,पंथी और कर्मा जैसे पारंपरिक लोक नृत्यों की शानदार प्रस्तुति होगी। यह नृत्य छत्तीसगढ़ की लोक कला और सांस्कृतिक विविधता को जीवंत करेंगे गौर नृत्य की सामूहिक और भव्य प्रस्तुतियां गौरा - गौरी, की धार्मिक परंपरा सुआ नृत्य के भावपूर्ण गीत और राउत नाचा की ऊर्जा दर्शकों को छत्तीसगढ़ की जीवंत लोक परंपराओं से जोड़ेगी पंथी और करमा नृत्य अपनी आध्यात्मिकता और भक्ति भाव से कार्यक्रम में अलग रंग भरेंगे।
-छत्तीसगढ़ का पवेलियन विशेष आकर्षण का केंद्र
व्यापार मेले में छत्तीसगढ़ का पवेलियन इस बार विशेष आकर्षण का केंद्र बना हुआ है यहां ढोकरा कला, बस्तर की पारंपरिक कला और कोसा सिल्क जैसे पारंपरिक शिल्पो को प्रमुखता से प्रदर्शित किया गया है। इसके साथ ही राज्य के औद्योगिक उत्पादन हर्बल उत्पाद और ग्रामोद्योग की उपलब्धियां भी प्रदर्शनी का हिस्सा है।

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