रायपुर । छत्तीसगढ़ में नवंबर-दिसंबर में होने वाले नगरीय निकाय चुनाव में बैलेट पेपर से ही मतदान होगा। विधानसभा-लोकसभा चुनाव ईवीएम से संपन्न हुए थे। मगर निकाय चुनाव में नियमों के पेंच के कारण बैलेट पेपर का इस्तेमाल किया जाएगा। दरअसल, राज्य सरकारने अभी तक नगर पालिक निगम अधिनियम 1956 और छत्तीसगढ़ नगर पालिका अधिनियम 1961 में बदलाव नहीं किया है।
ईवीएम से चुनाव के लिए विधानसभा में अधिनियम के संशोधन का प्रस्ताव पारित कराना आवश्यक है। पिछली बार कांग्रेस की भूपेशबघेल सरकार ने नगरीय निकाय अधिनियम में बदलाव करके बैलेट पेपर से चुनाव कराया था। इसके पहले डा. रमन सिंह की भाजपा सरकार में ईवीएम से नगर निगमों में चुनाव कराए गए थे। ऐसे में इस बार भी नियम बदले नहीं गए तो बैलेट पेपर से ही चुनाव होगा। प्रत्यक्ष महापौर के चयन में भी संशोधन का रोड़ा। प्रत्यक्ष रूप से महापौर के चुनाव कराने के लिए भी अधिनियम में संशोधन की जरूरत पड़ेगी। अविभाजित मध्यप्रदेश में 1999 में कांग्रेसकी दिग्विजय सिंह सरकार ने राज्य में महापौर चुनने का अधिकार पार्षदों से छीनकर जनता के हाथ में दिया था। तब नगर निगम रायपुरमें तरुण चटर्जी पहले महापौर बने थे। वह 2000 से 2003 तक महापौर रहे। इसके बाद 2004 के चुनाव में भाजपा के सुनील सोनीचुनकर आए। भूपेश सरकार ने महापौर के चयन का अधिकार पार्षदों को सौंप दिया था।
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