उप पुलिस अधीक्षक पर सूचना आयोग ने किया 25000 का अर्थ दंड..

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RO No.12784/129

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- सूचना के अधिकार के तहत आवेदक को जानकारी उपलब्ध नहीं करना पड़ा महंगा, तत्कालीन जन सूचना अधिकारी थे दिलीप चंद्राकर
दुर्ग । छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयुक्त मनोज त्रिवेदी ने शिकायतकर्ता महेंद्र साहू, दुर्ग द्वारा प्रस्तुत शिकायत प्रकरण क्रमांक C/ 318/ 2020 में विचारण उपरांत आवेदक को जानकारी प्रदान नहीं करने का दोषी पाते हुए तत्कालीन जनसूचना अधिकारी सह डीएसपी दिलीप चंद्राकर पर आरटीआई एक्ट 2005 की धारा 20 के तहत 25000/-  का अर्थ दंड निरूपित किया है तथा पुलिस अधीक्षक दुर्ग को उनसे वसूली कर राशि शासकीय कोष में जमा कराया जाना सुनिश्चित करने के निर्देश भी दिए हैं। शिकायतकर्ता महेंद्र साहू को आयोग के उक्त आदेश की कॉपी हाल ही में प्राप्त हुई है।
शिकायतकर्ता महेंद्र साहू दुर्ग ने 11 सितंबर 2019 को उप पुलिस अधीक्षक कार्यालय I.U.C.A.W. (इन्वेस्टिगेशन यूनिट क्राईम अगेंस्ट वूमेन भिलाई) के जनसूचना अधिकारी से उन्हीं के कार्यालय से दिनांक 30.08.2018 को जारी पत्र क्रमांक 07 के संबंध में 6 बिंदुओं में जानकारी चाही थी, परंतु आवेदक को जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई। आवेदक के स्मरण पत्रों के बावजूद भी उसे जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई, जिससे क्षुब्ध आवेदक ने 20 जनवरी 2020 को आयोग के समक्ष शिकायत प्रस्तुत की थी। आयोग से तत्कालीन जनसूचना अधिकारी व उप पुलिस अधीक्षक रहे दिलीप चंद्राकर को अनेकों बार तलब किया गया। वे ना तो आयोग के समक्ष उपस्थित हुए और ना ही कोई सफाई प्रस्तुत की।
उक्त प्रकरण में मूल आवेदन दिनांक 11.09.2019 को जनसूचना अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत किए जाने के उपरांत प्रकरण 4 वर्ष से अधिक समय तक लंबित रहा है।
इसके पश्चात छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयुक्त मनोज त्रिवेदी ने ₹25000/-  के जुर्माने का दंडादेश पारित किया है।
यह जानकारी इंदरचंद सोनी सामाजिक कार्यकर्ता एवं R.T.I. एक्टिविस्ट ने दी है।