शिक्षक विधायक की हत्या : पाय लागी गुरुजी और फिर धांय, धांय, धांय... MLA का सीना कर दिया था छलनी, कृष्णानगर की घटना से हिला था लखनऊ

शिक्षक विधायक की हत्या : पाय लागी गुरुजी और फिर धांय, धांय, धांय... MLA का सीना कर दिया था छलनी, कृष्णानगर की घटना से हिला था लखनऊ

लखनऊ: तारीख- आठ सितंबर 1999। सुबह के करीब साढ़े दस बज रहे थे। जगह- कृष्णानगर थाने के पीछे समर बिहार कॉलोनी मोड़। रोज की तरह तिराहे पर उस दौरान भी भीड़ थी। इसी दौरान एक स्कूटर मोड़ पर आकर रुका। स्कूटर पर बैठे दो युवक बेसब्री से बार-बार पीछे मुड़ कर देखने लगे। पांच मिनट ही बीते होंगे कि समर विहार कॉलोनी से एक सफेद रंग की मारुति कार आती दिखी। स्कूटर चला रहे युवक ने हाथ देकर कार को रुकने का इशारा किया। कार रुकते ही स्कूटर पर पीछे बैठे युवक ने प्रणाम करते हुए कहा, पाय लागी गुरुजी और कमर में लगी पिस्टल निकालकर कार सवार पर पूरी मैगजीन खाली कर दी। कई राउंड फायरिंग से भगदड़ मच गई। कुछ ही मिनट में लखनऊ पुलिस कंट्रोल रूम के फोन घनघना उठे। दस मिनट के दौरान करीब सात फोन आए। हर फोन से यही सूचना दर्ज कराई जाती रही कि शिक्षक विधायक भगवान बक्श सिंह को गोली मार दी गई है। कंट्रोल रूम में तैनात सिपाही सकते में आ गए। वायरलेस से आलाधिकारियों के लिए संदेश प्रसारित किया कि विधायक भगवान बक्श सिंह को गोली मार दी गई है। उन्हें अस्पताल ले जाया गया है। जानकारी होते ही पुलिस अधिकारियों के होश उड़ गए। आईजी कर्मवीर सिंह, डीआईजी एके गुप्ता और एसएसपी जीपी शर्मा सहित पुलिस के आला अफसरों की गाड़ियां कृष्णानगर की तरफ दौड़ पड़ीं।

सुरक्षा लेने को नहीं थे तैयार
जिस जगह विधायक को गोली मारी गई, उनका घर वहां से चंद कदमों की दूरी पर था। घटना की जानकारी होने पर बड़ा बेटा संजीव रतन सिंह मौके पर पहुंचा और उन्हें पास के अवध अस्पताल ले गया। हालत देखते हुए डॉक्टरों ने उन्हें तत्काल पीजीआई ले जाने को कहा। हालांकि पीजीआई पहुंचने तक उनकी सांसें थम चुकी थीं। लॉ एंड आर्डर की समस्या न पैदा हो, इसलिए पुलिस ने विधायक का शव कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा। पोस्टमार्टम हाउस पर कुछ ही देर में तत्कालीन रक्षा मंत्री मुलायम सिंह यादव, भाजपा के वरिष्ठ नेता लालजी टंडन और पूर्व मुख्यमंत्री राम नरेश यादव सहित सरकार के साथ ही तमाम नेताओं का जमावड़ा लग गया। मूल रूप से बिसवां (सीतापुर) निवासी भगवान बक्श सिंह आलमबाग के बद्रीनारायण वोकेशनल इंटर कॉलेज में अध्यापक थे।

शिक्षक नेता होने के साथ ही हत्या के समय वह दूसरी बार शिक्षक कोटे से विधान परिषद सदस्य थे। लखनऊ के जाने पहचाने चेहरे भगवान बख्श सिंह को गुरुजी के नाम से जाना जाता था। परिवार के साथ कृष्णानगर की समर बिहार कॉलोनी में रहते थे। विधायक कोटे से रॉयल होटल में मिला आवास उनके क्षेत्र के लोगों और बाहर से आने वाले शिक्षकों के लिए था। और तो और उन्होंने विधायक के तौर पर मिलने वाली सुरक्षा के लिए भी मना कर दिया था। अधिकारियों के दबाव में शैडो लेने को तैयार हुए थे। तर्क था कि उनकी किसी से दुश्मनी नहीं है। लेकिन, घटना के समय उनके साथ शैडो नहीं था। भगवान बक्श ने उसे रात में ही अपने सरकारी आवास पर छोड़ दिया था। कर्तव्य में लापरवाही के आरोप में शैडो महेश प्रसाद को निलंबित किया गया था।

कॉम्पलेक्स निर्माण को लेकर हुआ था विवाद

घटना के समय मोड़ पर आसपास के काफी लोग मौजूद थे। सो, पुलिस को यह पता लगाने में देर नहीं लगी कि हत्या किसने की है। हत्या क्षेत्र के ही बदमाश बृजेश पाल ने की है। बृजेश के खिलाफ हत्या, हत्या के प्रयास और गैंगस्टर एक्ट जैसी धाराओं के तीन दर्जन से अधिक मामले कृष्णानगर और आसपास के थानों पर दर्ज थे। घटना के समय स्कूटर वकील राकेश सक्सेना चला रहा था और बृजेश पीछे बैठा था। बेटे संजीव रतन ने एफआईआर में राकेश सक्सेना और बृजेश पाल को नामजद करवाया। तहकीकात में इन दोनों की मदद में चार और लोग मनोज गुप्ता, भारती लाल, अरुण और लाला के नाम सामने आए। सभी कृष्णानगर के ही रहने वाले और बृजेश के साथी थे।

रिटायर्ड आईपीएस राजेश पाण्डेय बताते हैं कि हत्या की वजह तलाशने पर पता चला कि समर बिहार कॉलोनी के पास एक नजूल की जमीन थी। वकील राकेश ने उक्त जमीन पर झोपड़ी डालकर बिजली कनेक्शन लिया और फिर कोर्ट से यह करते हुए स्टे ले लिया कि मकान मालिक उसे निकालना चाहता है, जो कोई था नहीं। फर्जीवाड़े से हथियाई जमीन राकेश ने बृजेश पाल को बेची और उसने कॉम्पलेक्स बनवाने के लिए नींव खोदवानी शुरू कर दी। गेट समर बिहार कॉलोनी की तरफ होने के चलते स्थानीय लोगों ने विरोध शुरू किया। विधायक ने स्थानीय थाने पर बात की थी। इसके बाद बृजेश और वकील राकेश स्थानीय चौकी इंचार्ज मोहम्मद नईम के साथ विधायक के घर पहुंचे थे।

अपमान अखर गया
बकौल राजेश पाण्डेय, वहां तो बृजेश पाल ने कह दिया कि गेट कॉलोनी की तरफ नहीं बल्कि सड़क की तरफ करेगा, लेकिन अगली सुबह वह वायदे से मुकर गया। कॉलोनी के लोग फिर आने पर भगवान बख्श सिंह ने डीएम से बात की। कुछ ही देर में एसीएम के नेतृत्व में राजस्व की टीम मौके पर पहुंची और नापजोख के बाद जमीन नजूल की बताते हुए निर्माण गिरवा दिया। बृजेश और राकेश को यह अपना अपमान लगा और बदला लेने के लिए दोनों ने साथियों की मदद से विधायक की हत्या कर दी। घटना के करीब दस दिन बाद कृष्णानगर पुलिस ने मुखबिरों की सूचना पर बृजेश और राकेश को दिल्ली से गिरफ्तार कर लिया।

पूछताछ में दोनों ने घटना में शामिल अपने चार और साथियों के नाम बताए। पुलिस ने उन्हें भी गिरफ्तार कर लिया। मामला कोर्ट पहुंचा और सुनवाई शुरू हुई। इस दौरान मनोज गुप्ता को बिजली पासी किले के पास पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराया। दूसरे आरोपी बड्डन उर्फ लाला की जमानत के दौरान रंजिश में हत्या हो गई। अदालत ने बृजेश पाल और राकेश सक्सेना को उम्र कैद की सजा सुनाई।